
वटवृक्ष के नीचे निंदकों की बैठक.. विकास पर तूं-तूं, मैं-मैं
अजय तिवारीदोपहर हो रही थी वट वृक्ष की छाया में जाकर बैठ गया… देखा “विकास की चौपाल” लगी है। कोई कह रहा है चप्पे-चप्पे को देख लो आपको समझ में आ जाएगा विकास। दूसरे ने कहा भाई जो सड़कें बनी है, क्या वही चप्पे-चप्पे हैं। इधर-उधर देखना मना है क्या? दूसरी ओर से जवाब आया…