वायरल खबर चर्चाओं में… अनुशासहीनता, प्रबंधन पर सवाल

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सवाल शिक्षिकाओं ने प्रबंधन को साइड कर, मानवाधिकार आयोग, सीएम हेल्प की शरण क्यों ली… प्रबंधन ने मामला दबाया तो प्रिंसिपल ने क्यों संभाल मोर्चा

न्यूज पोस्ट मार्टम

हिरदाराम नगर। अजय तिवारी

संतनगर के एक निजी विद्यालय की खबर वायरल हो रही है, जो राजधानी के किसी अखबार में प्रकाशित हुई है, संस्था का नाम न्यूज में नहीं है, वायरल कटिंग में अखबार का नाम नहीं है, इसलिए बताने में असमर्थ हूं खबर किस अखबार में प्रकाशित हुई है।

खबर चूंकि विद्यालय से जुड़ी है और वाइस प्रिंसिपल द्वारा शिक्षिकाओं की प्रताड़ना की है, दिलचस्प बात यह है कि शिक्षिकाओं ने प्रबंधन के सामने अपनी समस्या प्रबंधन के सामने न रखकर मानवाधिकार आयोग और सीएम हेल्प लाइन में शिकायत की, यह बात समाचार में कही गई है। खबर की बात माने तो संकुल प्राचार्य ने जांच भी की, लेकिन जांच दबा दी गई। समाचार में उल्लेख नहीं है, लेकिन प्रबंधन ने मामले को सीएम हेल्प लाइन और मानवाधिकार ले जाने पर शिक्षिकाओं से जवाब तलब किया होगा, वाइस प्रिंसिपल से बात भी की होगी। कार्रवाई नहीं हुई है, यह बात इस लिए कह रहे हैं क्योंकि समाचार में प्रिंसिपल द्वारा प्रबंधन समिति तक यह मामला फिर उठाया है।

समाचार से उठते सवाल

खबर के पढ़ने पर सवाल उठना लाजमी है…. प्रबंधन ने जब मामला दबा दिया तो अब प्रिंसिपल साहब क्यों मोर्चा संभाल रहे हैं। प्रबंधन को जो करना था वह कर चुका है। यहां यह बताना जरूरी है, स्कूल का प्रबंधन जिन हाथों में है, वे मैनजमेंट में टॉप लोग हैं। एक नहीं कई सामाजिक, शैक्षणिक संस्थाओं का दशकों से संचालन कर रहे हैं।

खबर के फार्मेट की बात करें तो पूरी खबर में विश्वसनीयता की कमी है। संस्था का नाम नहीं है। मामले में किसी का पक्ष नहीं है।… साफ है खबर किसी खास मकसद को पूरा करने के लिए अखबार के जरिये पाठकों को तक पहुंचाई गई। हो सकता है मामले में किसी का पक्ष मजबूत करना मकसद रहा हो।

चलते-चलते

तफ्तीश में संस्था का नाम भी ज्ञात हुआ है….. वाइस प्रिंसिपल का नाम भी, लेकिन अज्ञात बने रहने का कारण अनुशासन का पाठ पढ़ाने वाले विद्यालय से जुड़ा है, इसलिए सार्वजनिक नहीं कर हैं, समाचार लेखन का तरीका गजब है… समाचार की जगह सिंगल कॉलम में छपने वाले वीकली टीट‌्स-विट्स का हिस्सा होता तो बेहतर होता, क्योंकि अखबार में छपे कॉलम की अपनी कीमत होती है और उसका आकार प्रकार पाठकों के साथ न्याय करने वाला होना चाहिए।

 

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