संतनगर Update

नेत्रदान करने वाले के परिजनों की लिखित सहमति ले- दास

नेत्रदान पखवाड़ा…… जनियानी ने कहा-सेवासदन नेत्र चिकित्सालय ने 26 सालों में 1918 को दी रोशनी

हिरदाराम नगर।BDC NEWS
नेत्रदान करने के इच्छुक व्यक्तियों के संकल्प पत्र भरने के साथ ही उनके परिवारजन की भी लिखित सहमति ले लेना उचित होगा । यह बात राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की मध्यप्रदेश इकाई की डायरेक्टर प्रियंका दास ने कही। वे एनएचएम मुख्यालय में ”नेत्रदान पखवाड़ा“ में आयोजित कार्यशाला में बोल रही थीं।

दास ने कहा कि शहरी अंचलों में तो अनेक लोग मृत्युपरांत नेत्रदान करवाते हैं, ग्रामीण क्षेत्रों में भी नेत्रदान को प्रोत्साहित करने के प्रयास होने चाहिये । उन्होंने निजी और शासकीय नेत्र चिकित्सा संस्थाओं को इस दिषा में प्रयत्न करने का सुझाव दिया ।
कर्नल डॉ. मदन देषपाण्डे ने कहा कि पब्लिक प्रायवेट पार्टनरशिप से समाज में नेत्रदान के प्रति रूझान बढ़ाया जा सकता है । दान करना हमारी संस्कृति है। डॉ. देशपाण्डे ने कहा कि कोरोना महामारी के पहले देश में प्रतिवर्ष 60 हजार नेत्रों का दान होता था जो घटकर अब लगभग 30 से 35 हजार हो गया है । प्राप्त कॉर्निया में से 75 प्रतिशत का उपयोग नेत्र रोपण में होता है, जबकि शेष 25 प्रतिषत का उपयोग चिकित्सकीय और शैक्षणिक प्रयोजन में होता है। स्वस्थ कॉर्निया मिलने पर नेत्ररोगी को प्रत्यारोपण का पूरा लाभ मिलने की संभावना होती है, इसलिये दुर्घटनाओं में कम उम्र के लोगों की मृत्यु होने पर उनका कॉर्निया यथासमय लेने के प्रयास होने चाहिये । डॉ. देशपाण्डे ने सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय को नेत्रदान के लिये नोडल अस्पताल बनाने का भी सुझाव दिया ।

1918 को दी रोशनी

सेवासदन नेत्र चिकित्सालय के प्रबंधन ट्रस्टी एलसी जनियानी ने कहा कि अस्पताल में 26 वर्ष में 1918 रोगियों के कॉर्निया प्रत्यारोपण किए गए हैं। उन्होंने कहा कि मृत्यु होने पर शरीर के साथ आंखें भी जल या मिट्टी में गाड़ देने से बचानी चाहिये । जनियानी ने कहा कि जिस व्यक्ति की आंख में नेत्र रोपण होता है, वह व्यक्ति सदैव दानदाता व्यक्ति के परिवार के प्रति कृतज्ञ रहता है । नेत्रदान एक महादान है । समाज में इसके प्रति रूझान बढ़ाने के लिये सामूहिक प्रयास आवश्यक है ।

120 लाख रोशनी विहीन

अस्पताल प्रबंधक कुशल धर्मानी ने बताया कि देश में 120 लाख दृष्टिबाधित व्यक्ति हैं इनमें से 96 लाख व्यक्तियों को इस बीमारी से बचाया जा सकता है । कुशल ने कहा कि जो व्यक्ति संकल्प पत्र भरते हैं उसके परिजन को भी उक्त संकल्प की जानकारी होना चाहिये । प्रबंधक भारती जनियानी ने कहा कि नेत्रदान से मृतक के चेहरे में कोई विकृति नहीं आती है ।

नेत्रदान किए सभी ने

कार्यशाला के अंत में एन.एच.एम. की मिषन डायरेक्टर सहित सभी कर्मचारियों ने मृत्युपरांत नेत्रदान के संकल्प पत्र भरे । जनियानी और कर्नल देषपाण्डे ने प्रियंका दास को नेत्रदान के संकल्प पत्र भरने का सर्टिफिकेट प्रदान किया । अंशुल उपाध्याय ने कार्यशाला में सहभागियों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की ।

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