मध्य प्रदेश

पधारो म्हारा मध्यप्रदेश

मुख्यमंत्री डॉ. यादव की सराहनीय पहल

मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव ने नव वर्ष में प्रदेश की जनता के समक्ष एक अनुकरणीय उदाहरण पेश किया है। प्रदेश का मुखिया होने के नाते मुख्यमंत्री डॉ यादव ने नए वर्ष की शुरुआत महाकाल दर्शन और मध्य प्रदेश में सतपुड़ा की रानी पर्यटक स्थल पचमढ़ी में सपरिवार दिन बिताकर की। पचमढ़ी में भोलेनाथ जी के दर्शन किए और पचमढ़ी की वादियों को नजदीक से निहारा। साथ ही प्रसिद्ध मढ़ई वन्य जीव पर्यटन स्थल का भ्रमण कर प्रदेश की जनता को मैसेज देने का प्रयास किया है कि नए वर्ष में प्रदेश छोड़ कर अन्य स्थानों पर मनोरंजन के लिए जाने के बजाय मध्य प्रदेश में ही इतने पर्यटन स्थल हैं, जहां पर्यटकों को नए वर्ष की शुरुआत में जाने से परहेज नहीं होना चाहिए। इससे न केवल स्थानीय पर्यटन बढ़ेगा , बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी। मध्य प्रदेश धार्मिक पर्यटन से तो समृद्धशाली है ही , वहीं मध्य प्रदेश में वन्य पर्यटन स्थल भी देश में सर्वाधिक है। मुख्यमंत्री की इस पहल को सभी ने सराहा है। बस इंतजार है आपकी परख का।

एसीएस पीछे हटे

कभी राज्य सरकार की आंख, कान व नाक रहे अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी ने एक आयोग में अपने पुनर्वास के लिए उठाए कदमों को पीछे खींच लिया है। अपर मुख्य सचिव स्तर इस के अधिकारी ने आयोग में पुनर्वास के लिए शुरूआत में काफी जोर लगाया और इसके लिए लाबिंग भी की, लेकिन मौजूदा सरकार के कामकाज को लेकर एसीएस मन में अब निराशा घर कर गई। उन्होंने आयोग में पुनर्वास के लिए उठाए कदमों या कहें, दिये आवेदन को वापस ले लिया है। सूत्रों का कहना है कि एसीएस को अब को लगने लगा था कि आयोग में पुनर्वास के लिए उन्हें ऐसी चुनौतियां से रूबरू होना पड़ेगा, जो उनके स्वर्णिम काल में सामने आते तक नहीं थे। बता दें कि उक्त अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी इसी साल सेवानिवृत होने वाले हैं और कभी शासन की होने वाली बैठकों में सरकार के मुखिया एसीएस का बड़ी शिद्दत से नाम लेकर बुलाते थे।

यहां भी चला शिवराज का जादू

केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का जादू प्रदेश में कम होने का नाम नहीं ले रहा है।  बीते दिनों खजुराहो में केन बेतवा नदी जोड़ो राष्ट्रीय परियोजना की आधारशिला कार्यक्रम में देखने को मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंचासीन अतिथियों का क्रम से नाम लिया तो कार्यक्रम में मौजूद हजारों की जनता ने अभिवादन भी किया, लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी ने मंच पर मौजूद केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम लिया तो मौजूद जनता ने शिवराज का जोरदार करतल ध्वनि से न केवल स्वागत किया, बल्कि मामा….. मामा…. के  नारे लगाकर सभा को गुंजित भी कर दिया। यह देखकर प्रधानमंत्री भी कुछ क्षणों के लिए रुक गए।  यह बात अलग है कि प्रधानमंत्री ने मंच पर मौजूद एक पदाधिकारी का नाम नहीं लिया केवल सांसद कह कर संबोधित किया। इससे उनके के समर्थकों में घोर निराशा भी देखी गई। राजनीतिक हल्कों में इसके कई मायने निकाले जा रहे हैं।

ई-फाइलिंग बनी मुसीबत !

नए वर्ष यानी की 1 जनवरी से मध्य प्रदेश के प्रशासनिक मुख्यालय वल्लभ भवन में ई-फाइलिंग की व्यवस्था लागू की गई है। प्रशासनिक कामकाज में गोपनीयता बनाए रखने के लिए लागू की गई की फीलिंग व्यवस्था से मंत्रालय का स्टाफ अभी पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं हुआ है और रोजमर्रा के काम में उन्हें ई फाइलिंग के जरिए आगे बढ़ाने में भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। मंत्रालय के सीनियर अधिकारियों का कहना है कि फाइल का हर मूवमेंट ई-फाइलिंग प्रोसेस में दर्ज किया जाए, लेकिन मंत्रालय का पुराना स्टाफ इसको कर नहीं पा रहा है या कहें कि ई-फाइलिंग के लिए कंप्यूटर ऑपरेट करना उसके बस की बात नहीं है। चूकि ई-फाइलिंग की मुख्य सचिव लगातार मॉनीटरिंग कर रहे हैं सो इसको लेकर कर्मचारियों को अधिकारियों की आए दिन नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है।

जल्द गिरेगी  सीई पर गाज

लोक निर्माण विभाग के एक मुख्य अभियंता पर जल्द ही गाज गिरने वाली है। रंगीले मुख्य अभियंता का रंगीन मिजाज फोटो इन दिनों विभाग में स्विमिंग पूल में उठती कृत्रिम लहरों की तरह हिलोरे मार रहा है। बताया जाता है कि सीई साहब ने नवागत पंजीकृत महिला ठेकेदार को तमाम नियमों को ताक में रखकर करोड़ों का भुगतान कर दिया और अपने मातहत अधिकारियों को भी इस अनियमित भुगतान में भागीदारी के लिए दबाव बनाने लगे।  मातहत अधिकारियों ने इसकी शिकायत उच्च स्तर पर कर दी और मामला सीएम सचिवालय तक पहुंच गया। विभाग के सूत्र बताते हैं कि सीई पर जल्द ही गाज गिरने वाली है और उनके द्वारा नियम विरुद्ध स्वीकृत किए गए करोड़ों के देयकों जांच भी होगी।

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