कमलनाथ का गढ़ भेदना आसान नहीं है भाजपा लिए
विधानसभा चुनाव से प्रदेश के इकलौते कांग्रेस के सांसद नकुल चल रहे सॉफ्ट हिन्दुत्व के रास्ते पर
भोपाल. नरेश तोलानी
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश की 29 संसदीय सीटों में से कांग्रेस केवल एक सीट जीत पाई थी। कमलनाथ के गढ़ में उनके बेटे नकुल नाथ ने जीत दर्ज की। आमतौर पर कांग्रेस धर्मनिरपेक्षता का दम भरती है, लेकिन पार्टी में सॉफ्ट हिन्दुत्व की राह पर चलते हुए कई नेता नजर आ रहे हैं। ऐसे ही नेताओं में एक नाम नकुल नाथ का भी है।
विधानसभा चुनाव से ठीक पहले छिंदवाड़ा में धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का कथा पंडाल था। अयोध्या में श्रीराम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के समय नकुल नाथ ने 4.30 करोड़ राम नाम पत्रक लिखवाए, इस कारज में कमलनाथ भी शामिल हुए थे। राम नाम पत्रक अयोध्या पहुंच चुके हैं। वे अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन करने की अपील संसदीय क्षेत्र में कर रहे हैं।
छिंदवाड़ा यानी कांग्रेस और कमलनाथ का गढ़ रहीं है। हालांकि वर्ष 1952 में कांग्रेस के रायचंद भाई शाह चुनाव जीते, कांग्रेस का जीत का सिलसिला जारी रही। कमल नाथ वर्ष 1980 में पहली बार सांसद चुने गए थे। वर्ष 2014 तक कमल नाथ यहां से नौ बार सांसद निर्वाचित हुए। साल 2019 में कमलनाथ की विरासत नकुल नाथ ने संभाली, वह अकेल कांग्रेस से लोकसभा चुनाव जीतने वाले थे।्र
दावे अपने-अपने
मौजूदा राजनीति परिदृश्य और मप्र विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत में कांग्रेस के सामने यह सीट बचाने की चुनौती है। एक मीडिया चैनल ने अभी चुनाव होने पर लोकसभा में हार-जीत का गणित सामने रखा है। सर्वे में यह तथ्य सामने आया है कि कांग्रेस दो और भाजपा 27 सीटों पर विजयी होगी। हालांकि भाजपा सभी सीटें जीतने का दावा कर रही है। कांग्रेस कह रही है, परिणाम आने दीजिए सब सामने आ जाएगा। विधानसभा चुनाव में किए वादे मौजूदा सरकार पूरा नहीं कर रही है, मोहभंग की स्थिति है।