संतनगर की चौपाल

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@ रितेश नाथानी

एक नेता, एक शॉल सत्कार की कतार

सत्कार शॉल में भी एकजुटता। एक नेता, एक शॉल सत्कार करने वाले एक बाद एक। सिंधी पंचायत कार्यालय में ऐसी ही एकजुटता दिखी। एक साल घूम-घूमकर सियासी अतिथि के कंधे पर आता रहा। लोग कुछ भी कहें, लेकिन सामाजिक संस्था का हर काम संदेश देने वाला होता है। सत्कार में भी एक शॉल से मितव्ययिता का संदेश दिया गया। समाजसेविसयों का कहना है शॉल नहीं भावनाएं देखिए। उसमें तो कोई कमी नहीं रखी। आत्मीयता में सत्कार की पराकाष्ठा कर दी। अतिथि भी भावनाएं देखते हैं शॉल की गिनती नहीं करते। शॉल नहीं भरोसा था, जो अतिथि को उम्मीद देने वाला था। शॉल उड़ाने में कुछ तो ऐसे भी थे, जो भरे या यूं कहें डरे मन से आगे आए।

कुर्सी रखी गई, वे कौने में बैठ गए

समाजसेवियों ने एक व्यापारिक संगठन के पदाधिकारी के लिए बीच में कुर्सी भी लगा दी, यह बताने के लिए आप हमारे लिए कितने कदावर हैं, लेकिन वह नहीं बैठे।  बीच बैठ जाते तो कहीं दूसरा संदेश चला जाता। दूरियां बनाए रखना जरूरी होता है। यह भी सही है व्यापारिक संगठन के नुमाइंदे होने के नाते हर दल से संपर्क में रखना पड़ता है। न जाने कब कौन सत्ता में आ जाए। लेकिन, मौजूदा समीकरणों और प्रभाव को दरकिनार नहीं किया जा सकता। संतनगर के प्रभाव की बात करे तो चाहे सामाजिक संगठन हों, एक दल के नेता हो, प्रभावी लोग हो- एक के प्रभाव में हैं। उसे प्रभाव से बाहर निकलने की कम ही हिम्मत करते हैं।

विरोध और जल्दबाजी कमजोर हुई

फिलहाल एलिवेटेड ब्रिज का विरोध और काम की जल्दबाजी कमजोर हो गई है। चौड़ाई को लेकर भरोसा और आशंका कम नहीं हो रही है। सद्बुद्धि यज्ञ हो गया है, हालांकि इस बात का खुलासा नहीं किया गया कि किसकी सद्बुद्धि। लेकिन, जग जाहिर है जो  ब्रिज बनाना चाहते हैं बात उनकी ही होगी। विरोध करने वाले तो यज्ञ कर रही  थे उनकी तो बात हो ही नहीं सकती। वैसे कहा जाता है, विरोध का खत्म करना हो तो लंबा खींच दो। वक्त के साथ विरोध और विरोधी शांत हो जाते हैं। वैसे चुनाव काल जो चल रहा है, अभी शांत हो जाओ, चुनाव के बाद तो जो चाहेंगे वह कर लेंगे, यह भी सोच लिया गया होगा।

सितबंर में बड़े बयान के लिए बुलाया

संतनगर में शिकायत, नोटिस और बयान आम हैं। सितंबर माह में एक मामले में बयान होने वाले हैं। बयान के बाद क्या होगा, यह तो जांच एजेंसी ही जाने लेकिन शिकायत कर्ता के तेवर से लग रहा है। ‘निपटाकर मानूंगा’- अपनी कथनी को वह करनी में बदलेंगे। मामला जांच से जुड़ा है, इसलिए किसकी शिकायत, किसकी जांच और किसने के बयान का खुलासा नहीं करूंगा। लेकिन जो भी होगा बड़ा होगा। शिकायत कर्ता को बयान देने बुलाया, यह बात संतनगर की हवा में घुम रही है। कहा जा रहा है। अब आएगा… पहाड़ के नीचे। क्योंकि मामला जिन से जुड़ा है, उन्होंने कइयों को निपटाया है।

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