गवर्नमेंट एम्प्लॉई को कार्रवाई का आधार जानने का है अधिकार
- राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह का एक और अहम फैसला
- महिला पुलिसकर्मी की अपील पर राहुल सिंह ने की सुनवाई
- सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी की लापरवाही हुई उजागर
- राज्य सूचना आयुक्त ने लगाया 25 हजार का जुर्माना
- अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिए भी कारण बताओ नोटिस किया जारी
भोपाल. भोपाल डॉट कॉम
विभागीय कार्रवाई में अक्सर कर्मचारी एक तरफ़ा पक्षपात पूर्ण कार्रवाई की शिकायत करते हैं। ग्वालियर की एक महिला पुलिसकर्मी शुभांगी कटारे के मामले में राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह नें एक अहम फैसला में कहा कि व्यक्ती को स्वयं के विरूद्ध हुई कार्रवाई का आधार जानने का अधिकार है। जानकारी को जानबूझकर नहीं देने पर दोषी अधिकारी के विरूद्ध पेनल्टी के नोटिस के साथ ही सिंह ने शुभांगी को कार्रवाई की पूरी फ़ाइल दिखाने के आदेश भी जारी किए हैं।
जाँच रिपोर्ट ग़लत पर उसके बाद भी हो गई कार्रवाई*
RTO आवेदिका शुभांगी कटारे ने सुचना आयोग मे सुनवाई के दौरान बताया कि-” एक आधारहीन शिकायत पर उप पुलिस अधीक्षक लाईन ग्वालियर द्वारा मेरे विरूद्ध जांच संस्थित की गयी। उक्त जांच में मेरे कथन को रिकार्ड पर नहीं लिया गया और एकतरफा कार्यवाही करते हुए मेरे विरूद्ध द्वेषभाव पूर्ण तरीके से अनुशासनिक कार्यवाही की गयी। उक्त जांच में कोई साक्ष्य उपलब्ध ना होने के बावजूद भी गलत तरीके से जांच रिपोर्ट में साक्ष्य और तथ्यों का उल्लेख करते हुए मेरे विरूद्ध अनुशासनिक कार्यवाही की गयी थी।”
शुभांगी ने कहा गया कि उनके विरूद्ध प्रारंभिक जांच में लगाये गये आरोपों के आधार पर ही एक अन्य शिकायत पर विभाग द्वारा विभागीय जांच भी की गयी। पर उस विभागीय जांच में सभी आरोप आधारहीन पाये जाने पर विभागीय जांच को नस्तीबद्ध किया गया। लेकिन इसी विभागीय जांच में पूर्व में की गयी प्रारंभिक जांच के दोषपूर्ण होने की टीप भी दर्ज की गयी थी। लेकिन इसके बावजूद शुभांगी के विरूद्ध की गई कार्रवाई को समाप्त नहीं किया गया।
सूचना आयोग ने पाया कि जानबूझकर दबाई जाँच की जानकारी
सूचना आयोग ने सभी दस्तावेज़ों को देखने के बाद आयुक्त राहुल सिंह ने पाया कि शुभांगी को विलंब से आधी अधूरी अपूर्ण जानकारी उपलब्ध करायी गयी है। सिंह ने कहा कि शुभांगी द्वारा उनके स्वयं के विरूद्ध पूर्ण हो चुकी प्रारंभिक जांच से संबंधित दस्तावेज आरटीआई आवेदन में मांगे गये थे। सिंह ने स्पष्ट किया कि शासन द्वारा निर्धारित प्रारंभिक जांच एवं विभागीय जांच में आरोपी अधिकारी/कर्मचारी को जांच के बिन्दु एवं वे सभी तथ्य जिसके आधार पर जांच संस्थित की गयी हो या उसे आरोपी बनाया गया हो। या अन्य तथ्य जिसके आधार पर आरोप सिद्ध करते हुए जांचकर्ता द्वारा उक्त अधिकारी कर्मचारी के विरूद्ध कार्यवाही की गयी हो। ऐसी सभी जानकारियां न्याय के नैसर्गिक सिद्धांत के तहत आरोपी व्यक्ति को स्वतः उपलब्ध कराने का प्रावधान है। पर इस प्रकरण में आरटीआई दायर होने के बावजूद शुभांगी को जानकारी से जानबूझकर कर वंचित रखा गया।
जानकारी के आदेश के पेनल्टी का नोटिस जारी
सिंह ने ग्वालियर पुलिस को शुभांगी को उसके विरुद्ध की गई कार्रवाई की पूरी फाइल दिखाने के निर्देश जारी किए हैं फाइल को देखने के बाद शुभांगी द्वारा चेन्नई दस्तावेजों की प्रतिलिपि भी उन्हें देने के निर्देश हैं। वही जानकारी को जानबूझकर रोकने के लिए सिंह ने तत्कालीन लोक सूचना अधिकारी / उप पुलिस अधीक्षक लाईन ग्वालियर को जिम्मेदार मानते हुए उनके विरूद्ध ₹25,000 के जुर्माने अथवा अनुशासनात्मक कार्यवाही के लिये कारण बताओ नोटिस जारी किया है।