MP NEWS: रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बढ़ा बाघों का कुनबा

WhatsApp Channel Join Now
Google News Follow Us


दमोह/तेंदूखेड़ा. रंजीत अहिरवार BDC NEWS
Tiger Reserve : बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ-बाघिन का जोड़ा रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में शिफ्ट किया गया है। इन्हें एन-4 और एन-5 नाम दिया गया है। इससे प्रदेश के सबसे बड़े टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़कर 21 हो चुकी है। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से बाघ-बाघिन के जोड़े को दमोह जिले के वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में छोड़ा गया है।
इस जोड़े को उस स्थान पर छोड़ा गया है, जहां अब तक किसी भी बाघ ने ठिकाना नहीं बनाया था। इसके साथ ही अब रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़कर 21 हो गई है। पूरा जंगल इस समय बाघों की दहाड़ से गूंज रहा है। बाघ-बाघिन पूरी तरह स्वस्थ है और नए माहौल में ढल रहे हैं। बाघ को एन-4 और बाघिन को एन-5 नाम दिया
वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर और नौरादेही अभयारण्य के डीएफओ अब्दुल अंसारी ने बताया कि बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से दो बाघों को लाया गया है। इनमें एक नर और एक मादा है। बाघों को लाने के पूर्व बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के विशेषज्ञों ने उन्हें ट्रेंकुलाइज किया था। रात सुरक्षित रूप से महका गांव में नदी किनारे छोड़ा गया। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से आए बाघों को एन-4 और एन-5 नाम दिया गया है।
बाघों को खुले जंगल में छोड़ने के दौरान बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के उपसंचालक पीके वर्मा, संजय टाइगर रिजर्व के वन्य प्राणी चिकित्सक अभय सेंगर, एनजीओडब्लूसीटी की ओर से डॉ. प्रशांत देशमुख, उपवन मंडल अधिकारी ताला के फतेह सिंह निनामा, उप वन मंडल अधिकारी बरमान रेखा पटेल, गेम परिक्षेत्र अधिकारी डोंगरगांव, गेम परिक्षेत्र अधिकारी सर्रा, गेम परिक्षेत्र अधिकारी मुहली, गेम परिक्षेत्र अधिकारी तारादेही, गेम वन परिक्षेत्र अधिकारी नोरादेही के अलावा वीरांगना रानीदुर्रगवती टाइगर रिजर्व का पूरा अमला मौजूद रहा।
तीन जिलों में फैला है टाइगर रिजर्व
रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व प्रदेश का सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है, जो सागर, दमोह और नरसिंहपुर जिलों में फैला है। पूर्व में झलौन रेंज दमोह वनमंडल में आती थी, जो अब वह भी टाइगर रिजर्व की रेंज बनेगी। साथ ही यहां नए नियमों का पालन भी करना होगा। बांधवगढ़ टाईगर रिजर्व से बुधवार रात ही बाघ-बाघिन को रेस्क्यू किया गया था और उन्हें वीरांगना रानी दुर्गावती टाइगर रिजर्व की डोंगरगांव रेंज में छोड़ा गया है। बाघ-बाघिन की आयु पांच से छह वर्ष के बीच बताई जा रही है। दोनों के गले में रेडियो कॉलर आईडी भी लगाई गई है। नए क्षेत्र में आसानी से इनकी लोकेशन टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को मिलती रहेगी।
दमोह की सीमा में छोड़े गए बाघ-बाघिन
बाघ-बाघिन को नौरादेही के डोंगरगांव रेंज के विस्थापित गांव महका में छोड़ा गया है। उम्मीद की जा रही है कि यह जोड़ा भी इस नए टाइगर रिजर्व को उसी तरह आबाद करेगा, जैसा 2018 में लाए गए बाघ किशन और बाघिन राधा ने किया था। छह वर्षों के अंदर ही यहां बाघों का पूरा परिवार बन गया है। एक ही परिवार के 18 बाघ इस टाइगर रिजर्व की शान है। एक और बाघ एन-3 को यहां लाया गया था, जो दूसरे जंगल से यहां आकर बस गया है। बाघों को जिस जगह छोड़ा गया है, वह महका गांव कभी दमोह जिले का राजस्व ग्राम था। प्रोजेक्ट टाइगर की वजह से पूरे गांव का विस्थापन किया गया है।
भोपाल डॉट कॉम, ब्यूरो

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *