हिरदाराम नगर। BDC news रवि नाथानी
यह सवाल उठना लाजमी है क्या संवेदनशील मामलों में भी सियासी सक्रियता सत्ता में होने, न होने पर निर्भर होती है। यह सवाल इसलिए उठा रहा है कि संतनगर में रेप मामले के बाद जिस तरह कांग्रेस के सुरों में तल्खी दिखी और भाजपा ने चुप्पी साधी… वह सवाल उठाने को मजबूर करने वाला है।
कांग्रेस की सक्रियता
कांग्रेस के कदम तो रेप पीड़िता के घर तक पहुंचे। परिजनों से मुलाकात तो ठीक थी, लेकिन रेप की पीड़िता से बात भी गई। एक-दो नेताओं ने नहीं, बल्कि कांग्रेस मंडली ने। कांग्रेस विधायक कुणाल चौधरी नेशनल क्राइम रिपोर्ट के आंकड़ों का हवाला देते हुए भाजपा सरकार को कोसते रहे। वह यह भूल गए जिस रिपोर्ट की बात वह कर रहे थे, वह कांग्रेस के शासन काल 2019 की थी। कभी भाजपा में रहे और पूर्व विधायक रहे जितेन्द्र डागा ने तो यहां तक कह दिया अपने मामाजी को राज है, भंजियों के साथ ऐसा होता ही रहेगा।
भाजपा की चुप्पी
भाजपा के वह नेता भी मामले में सामने नहीं आए, जो फोटो खिंचवाने के लिए तरह-तरह के जतन करते हैं। सत्ता में भाजपा के होने से भाजपाइयों की संवेदनशीलताओं में चुप्पी की मजबूरी दिखी। भाजपा के मौजूदा जनप्रतिनिधि और पूर्व जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता से तो ऐसा लगा, जैसे कुछ हुआ ही नहीं। बयानों के ढेर लगा देने वाले समाजसेवी भी चुप रहे। सामाजिक संगठनों पर यह सीधा आरोप है वह जाति के चश्मे से मामले को देखते रहे।
पुलिस से सवाल
मामले के बाद यह भी पुलिस से सुनने को मिला कि पीड़िता घुम्मकड़ जाति की है, यदि यह दलित श्रेणी में आती होगी तो आरोपियों पर धराएं बढ़ाएंगे। पुलिस के बड़े अफसरान की ओर से यह बयान आया, प्रदेश में दलित श्रेणी में कौन-कौन आता है, यदि यह बात पुलिस करे तो ठीक बात नहीं है।
चलते-चलते…
कुछ को दबाना, कुछ को उछालना, कुछ में मुखर होना, कुछ में चुप्पी साधना राजनीति का तो संस्कार है। अब समाजिक संगठन भी इसी राह पर चलने लगे हैं.. कम से कम संवेदनशील मामलों में तो मानवीयता का चश्मा लगाएं जनाब।