ना खाऊंगा ना खाने दूंगा

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का नारा ” ना खाऊंगा ना खाने दूंगा” इन दिनों मध्यप्रदेश राज्य मंत्रालय में छाया हुआ है। प्रधानमंत्री मोदी के इस नारे का जिक्र करते हुए एक पर्चा रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों ने जारी किया है। इस पर्चे में ऐसी कई अपुष्ट जानकारियां हैं जिसकी शिकायत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को की गई। पर्चे में राज्य सरकार के करीब आधा दर्जन सीनियर आईएएस अधिकारी के खिलाफ गंभीर प्रकृति की शिकायतें हैं। प्रधानमंत्री को भेजी शिकायत में बताया गया है कि प्रदेश के सीनियर आईएएस अधिकारियों ने किस तरह खनिज माफिया, बिल्डर्स, शिक्षा माफिया, शराब लाबी और पेट्रोल पंप संचालकों आदि से सांठगांठ कर करप्शन को बढ़ावा दिया और करोड़ों की संपत्ति के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष मालिक बने बैठे हैं। बताया तो यह भी जा रहा है कि प्रदेश के सीनियर आईएएस अधिकारियों की प्रशासनिक कामकाज में सख्ती से परेशान रिटायर्ड अफसरों ने यह विकृत खेल खेला है। 2 पेज की शिकायत में ईमानदार अफसरों पर भी उंगलियां खड़ी की गई जो समझ से परे हैं। अन्ग्रेजी में प्रेषित इस शिकायत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा केंद्रीय वित्त मंत्रालय, संचालक ईडी नई दिल्ली, डीजी आयकर मुंबई व भोपाल सेक्रेटरी डीओपीटी नई दिल्ली को भी भेजी गई है।

परफॉर्मेंस और अफसर निशाने पर !

अगले साल 2023 में विधानसभा के आम चुनाव होने हैं। राज्य सरकार चुनाव में अपने परफॉर्मेंस को लेकर अब पूरी तरह मैदान पर उतर आई। मुख्यमंत्री से लेकर मंत्री तक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के परफॉर्मेंस को बारीकी से जांच रहें। इन सबके बीच अफसर अब निशाने पर हैं। राज्य सरकार के मंत्री से लेकर जनप्रतिनिधि भी अफसरों पर निशाना साधने लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा सरकार में योजनाओं की डिलीवरी और परफॉर्मेंस को लेकर जो तस्वीर मैदान से सामने आ रही है उससे सरकार के हाथ पैर फूल गए। यही वजह है कि सार्वजनिक मंचों से योजनाओं के परफॉर्मेंस का ठीकरा अफसरों पर फोड़ा जा रहा है। अफसर चाह कर भी मंत्री और जनप्रतिनिधियों के सामने चुप खड़े रहते हैं और सजा भुगते हैं। बताया जा रहा है कि आने वाले दिनों में अफसरों को इसी तरह परफॉर्मेंस के नाम पर सरकार के मंत्री और जनप्रतिनिधि जनता के सामने डांटते डपते रहेंगे। सरकार की जन हितेषी योजनाएं कागजों में चलती रहेगी और सरकार को अब यही चिंता सताने लगी है।

बड़न को छूट, छोट को सजा

पिछले दिनों राज्य सरकार ने छिंदवाड़ा नगर निगम के कमिश्नर को केवल इसलिए हटा दिया कि कमिश्नर ने कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व मंत्री कमलनाथ से प्रधानमंत्री आवास योजना के एक एक लाख रूपये के चेक हितग्राहियों को वितरित कर दिए। नगर निगम कमिश्नर में इसके लिए बकायदा कार्यक्रम भी आयोजित किया लेकिन यह आयोजन से जिला भाजपा की छाती पर सांप लोट गया और उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष से लेकर मुख्यमंत्री तक नगर निगम कमिश्नर की शिकायत कर दी। मामले ने जब तूल पकड़ा तो राज्य सरकार ने कमिश्नर को तत्काल हटा दिया। इसी तर्ज पर अगर देखा जाए तो भाजपा सरकार ने कमलनाथ को अब तक का सबसे dynamic मुख्यमंत्री बताने का रिटायर्ड आईएएस अफसर को इनाम दिया है । सरकार ने रिटायर्ड आईएएस अफसर को एक आयोग का कमिश्नर बनाकर नवाजा है। जूनियर आईएएस अफसरों का तो यह कहना है कि राज्य सरकार बड़ों को न केवल छूट देती है बल्कि पुनर्वास का तोहफा भी देती है जबकि छोटे अगर गलती करें तो उन्हें हटाने में देर नहीं करती।

सरकार की जांच एजेंसियों पर सवालिया निशान

भाजपा सरकार भले ही जीरो टॉलरेंस की बात करें, लेकिन हाल ही जबलपुर के दो मामलों ने सरकार की जांच एजेंसियों के कामकाज की कलई खोल दी है। पहला मामला जबलपुर आरटीओ से जुड़ा है। जिस के कर्मचारी के घर करोड़ों रुपए मिले तो दूसरा मामला एक बिशप के यहां मिली करोड़ों रुपए की संपत्ति का है। जिसकी आयकर और ईडी दोनों ही जांच कर रही है ।अब सवाल यह उठता है जब केंद्र की जांच एजेंसियां के निशाने पर यह दोनों मामले है तो राज्य सरकार की एजेंसियां क्या कर रही है? बताया जा रहा है कि RTO के कर्मचारी की रिश्वतखोरी की शिकायतें लोकायुक्त से लेकर EOW तक को की गई थी लेकिन दोनों ही जांच एजेंसियों ने रिश्वतखोर कर्मचारी पर कोई एक्शन नहीं लिया। हाई कोर्ट में एक वकील की याचिका पर रिश्वतखोर कर्मचारी के खिलाफ कार्यवाही हुई। इसी तरह का मामला जबलपुर के बिशप को लेकर है। जिसके संबंध अंडरवर्ल्ड तक से संबंध उजागर हुए हैं। बिशप पर आरोप है कि उसने संस्था के पैसों की ना केवल हेरफेर की है बल्कि बच्चों की स्कूल की फीस धार्मिक संस्थाओं को दी है। दोनों ही मामलों में सरकार की जांच एजेंसियों की कार्रवाई में काफी देरी हुई। दोनों ही मामलों की ईडी और आयकर विभाग ने परतें उखेड़ना शुरू कर दिया है।

अगला प्रशासनिक मुखिया कौन ?

मध्य प्रदेश का अगला प्रशासनिक मुखिया या मुख्य सचिव कौन होगा इसको लेकर अब कयास और तेज हो गए। मुख्य सचिव को लेकर उच्च स्तर पर मंथन लगभग पूरा हो गया है और मुख्य सचिव के लिए दो वरिष्ठ आईएएस अधिकारी अनुराग जैन और मोहम्मद सुलेमान का नाम प्राथमिकता से लिया जा रहा है। सूत्र बताते हैं कि संघ और संगठन की पसंद अनुराग जैन है जबकि मुख्यमंत्री की पसंद मोहम्मद सुलेमान। वर्तमान मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस का कार्यकाल नवंबर में समाप्त हो रहा है और उनको एक्सटेंशन दिए जाने की संभावनाएं भी खत्म हो गई है । इस संबंध में दिल्ली भेजी गई फाइल वापस आ गई है। सूत्र बताते हैं कि यदि समय पर नाम तय नहीं हुआ तो कुछ समय के लिए सरकार प्रभारी मुख्य सचिव से काम चला सकती है।

केंद्रीय नेता ने भी सरकार को घेरा

प्रदेश की भाजपा सरकार के कामकाज को लेकर पिछले दिनों संगठन के एक केंद्रीय नेता ने भी अंगुलियां उठाई। OBC मोर्चा के केंद्रीय नेता और सांसद चंदूलाल साहू ने भोपाल प्रवास के दौरान राज्य सरकार और उसके अफसरों की करनी पर चिंता जाहिर की है। सांसद चंदूलाल साहू ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार द्वारा कीर समाज को उसके परंपरागत व्यवसाय से इतर दर्शाया है। दूसरा व्यवसाय बताए जाने पर कीर समाज में आक्रोश है। पिछड़ा वर्ग की अनुसूची क्रमांक 12 में कीर समाज का परंपरागत व्यवसाय मछली पालन दर्शाया गया है। इसको लेकर सांसद ने बैठक में आश्वासन दिया है कि वह जल्द ही राज्य सरकार से चर्चा कर इसमें संशोधन कराएंगे। समाज के वरिष्ठ लोगों का कहना है कि मछली पालन कीर समुदाय का परंपरागत व्यवसाय कभी नहीं रहा है और कीर समाज की कोई उपजाति भी नहीं है। कीर समाज का मुख्य व्यवसाय खेती किसानी और कृषि मजदूरी रहा है।

mantralayanews.com

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