गैस पीड़ितों के मुआवजे को लेकर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

WhatsApp Channel Join Now
Google News Follow Us

गैस पीड़ित संगठनों ने 646 अरब मुआवजे का आग्रह किया कोर्ट


भोपाल । BDC NEWS
गैस प्रभावितों से जुड़ी खबर है यह। 29 अगस्त को देश की सर्वोच्च अदालत सुनवाई करेगी। दरअसल प्रभावितों की सही गिनती और मुआवजे में सुधारे के लिए याचिका SC में दायर की गई थी। सुनवाई से पहले राजधानी में गैस प्रभावितों से जुड़े संगठनों ने मीडिया से बात की और कोर्ट से मुआवजे के लए 646 अरब रूपये दिलाए जाने का आग्रह किया।


गैस पीडित संगठनों ने कहा कि सुनवाई के दौरान सरकार जानबूझ कर सुप्रीम कोर्ट में कम आकंड़े पेश कर सकती है उससे गैस प्रभावित उचित मुआवजे के हक से वंचित हो जाएंगे। मीडिया से चर्चा करते हुए भोपाल ग्रुप फॉर इनफॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढ़ींगरा ने सुनवाई का स्वागत किया। ढ़ींगरा ने कहा, सरकार मौत सही आंकड़ा नहीं पेश कर रही है। 93% पीड़ितों के स्वास्थ्य नुकसान को अस्थाई बता रही है। जबकि सरकारी दस्तावेज में यह आंकड़ा 23 हजार है।

संगठनों के नुमाइंदो ने क्या कहा?

  • पिछले कुछ सालों में कम से कम चार मौकों पर राज्य और केंद्र सरकारों के मंत्रियों और अधिकारियों ने यह माना है कि सुधार याचिका में गैस हादसे की वजह से पहुंचे नुकसान के आंकड़े गलत थे।

वाब खान, अध्यक्ष भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा

  • मामले में राज्य और केंद्र सरकार के साथ याचिकाकर्ता हैं। हम अतिरिक्त मुआवजे के लिए 646 अरब रुपयों की मांग कर रहे हैं जबकि सरकारें मात्र 96 अरब में समझौता करना चाहती हैं। हम ये नहीं होने देंगे।


रशीदा बी, अध्यक्ष भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ

  • यदि राज्य और केंद्र की सरकारें सुनवाई से पहले अपने वादे के मुताबिक याचिका में आंकड़ें नही सुधारती हैं तो न्याय मिलना मुमकिन नहीं होगा। यह जानबूझकर कर सर्वोच्च न्यायालय को गुमराह करना कहा जाएगा


बालकृष्ण नामदेव अध्यक्ष, गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा


क्या है मांग और मामला
बता दे साल 1984 में यूनियन कार्बाइड से गैस रिसाव हुआ था, जिसमें हज़ारों लोगों की जान गई थी। गैस कांड से प्रभावितों को दी जाने वाली राशि को लेकर कई बार सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। 1989 में, सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने 750 करोड़ रूपए के समझौते का फैसला किया। 1991 में, यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास मामले को सुनने और मुआवजा तय करने की कोई शक्ति नहीं है। लेकिन कोर्ट ने 1989 के अपने फैसले को बरकरार रखा। 2007 में कोर्ट ने भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन द्वारा मुआवजे की राशि में पांच गुना वृद्धि की मांग करने वाले एक मामले का फैसला किया। इसके बाद 2010 में केन्द्र सरकार ने उपचारात्मक याचिका दायर की। इसमें जिसमें मांग की गई कि 1989 का समझौता ‘गंभीर रूप से बिगड़ा हुआ था। इस मामले में यूनियन कार्बाइड से ​​7,400 करोड़ से अधिक के अतिरिक्त मुआवजे की मांग की गई। कोर्ट अब इन्हीं पहलुओं पर अगले 29 अगस्त को सुनवाई करेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *