संतनगर की चौपाल
आयोजन से पहले कराया
प्री इवेंट शूट भाई ने
प्री वेडिंग शूट शादी पहले का ट्रैंड बन गया है। एक रस्म की तरह यह मध्यम आय वर्ग में होने लगा है, लेकिन पहली बार सामाजिक आयोजन से पहले प्री इवेंट शूट संतनगर में हुआ। वजह यह रही.. आयोजन का फ्रंड पेज सामाजिक है पर अंदर आयोजक का “हैप्पी बर्थ डे टू यू है”। आयोजन में उनके समग्र क्रिया कलाप को दिखाने के लिए शूट कराया गया। जगह चुनी गई सबसे बड़े मैदान को। बड़े-बड़े नेताओं की तरह हॉर्डिंग्स भी बन रहे हैं, जो आयोजन में नुमायां होंगे। आयोजक महोदय पूरे जोश में हैं। पहला आमंत्रण कार्ड वह आराध्य के सामने रख आए हैं, आग्रह कर रहे आप आइए जरूर, लेकिन कार्ड बांटने के काम के लिए एक अन्य को रख लिया। उनका तर्क है, मैं कार्ड क्यों बांटू? मैं तो आयोजक हूं। जो भी वह कर रहे हैं सही है, क्योंकि वह कोई भी आयोजन करें अर्थ के लिए हाथ नहीं फैलाते।
सिंधी समागम, संतनगर
और आयोजन ध्वजा
दुनिया-देश का सबसे बड़ा सिंधी समागम राजधानी भोपाल में हुआ। खूब रंग जमा, पूरे भोपाल में आयोजन की पताके लहराती रहीं। एक बात समझ से परे रही सिंधी बाहुल्य संतनगर में आयोजन को लेकर माहौल नहीं दिखा। केवल दो बड़े हॉर्डिंग्स ही नजर आए। आयोजन पताकें नजर नहीं आई, प्रचार-प्रसार भी औपचारिकता वाला नजर आया। आयोजकों भी संतनगर में ऐसी कोई शख्सियत नहीं दिखी जो मंच का हिस्सा बन सकती थी। दोनों तरफ से खामोशी वाली स्थिति रही। हालांकि समाज के लोगों की भागीदारी जरूर रही, जो होना भी चाहिए थी। कहा जा रहा है, ढपली पर राग तो अपना था, लेकिन सुर दूसरे के थे, मकसद भी दूसरा था। आयोजकों के संख्या के दावे को लेकर सवाल उठ रहे हैं। आयोजन को सफल रहा, लख-लख बधायुं तो कहा ही जा सकता है।
कांग्रेसी कार्यकर्ता भी
बड़बोलेपन पर उतरे
एक कांग्रेसी कार्यकर्ता ने एक विचारधारा पुरूष को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट डाल दी। विचारधारा पुरूष से प्रभावित लोग थाने पहुंच गए। थाना प्रमुख को आवेदन थमा दिया और कहा केस दर्ज करना है, लेकिन थोड़ा रूकना, वो माफी मांग लेगा तो एफआईआर नहीं करेंगे। सियासी बयान और पोस्ट का आजकल खासा शोर है। नेता बोलने से पहले नहीं सोचते.. उनके बोलने के बाद जो लाठी लेकर पीछे पड़ते हैं, वह भी हंमामा खड़ा करने से पहले नहीं सोचते। लठ्म-लठ्ठा होती रहती है। बड़े नेता तो ठीक है, राजनीति में उनको तो यह सब चलता है। ऐसा लगता है महापुरूषों, इतिहास पुरूषों के बारे में जाने न जाने बोलना है बस फैशन सा बन गया है। विधानसभा-लोकसभा चुनाव तक यह सब चलेगा क्योंकि मुंह बचाने लगता क्या है?
फोन आया, खड़े हो गए
छोटे साहब संतनगर के
एक अप्रैल से मदिरा प्रेमियों के लिए बहुत कुछ बदल गया है। पीने के ठिकानों पर गाज जो गिरी है, नए ठिकाने आसान नहीं होंगे। घर पर पार्टी शार्टी आसान नहीं है। चौराहे जाम से जमा टकराकर शाम गुजारी नहीं जा सकती। सरकार का फरमान है, इसलिए पुलिस के आला अफसर अभी खासे गंभीर हैं। किसी ने बड़ साहब को शिकायत कर दी, साहब आहाते चल रहे हैं संतनगर में। छोटे साहब को फोन आया.. इलाके की शिकायत मिली है। ऐसा होना नहीं चाहिए। जैसे बड़े साहब का फोन आया छोटे साहब कुर्सी से प्रोटोकॉल का पालन करते नजर आए, अपना पक्ष कुर्सी से खड़ा होकर रखा। जो भी कहा हो बड़े साहब से, लेकिन मैदानी कार्रवाई दिखेगी। इसके साथ फूनवा करने का पता भी जरूर लगाया जाएगा।
अजय तिवारी