भूले गए थे, पद मिला तो अतिथि देवो भव:

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अतिथि लिस्ट संतनगर में अपडेट होती रहती है। पद मिलने के साथ अतिथि देवो भव: सुनाई और दिखाई देने लगता है। कभी संतनगर के कार्यक्रमों में अतिथि रहते थे वे। पद विहीन हुए तो भुला दिए गए। पद क्या मिला, लोगों को उनकी याद आ गई। न केवल एक कार्यक्रम में अतिथि बनाया, बल्कि अपने मतलब की बातें भी कहीं। मसलन जमीन चाहिए, पार्किंग बना दीजिए, सीहोर की तरफ व्यावसायिक विकास कीजिए। याद आए अतिथि भी संतनगर के मिजाज को अच्छे से जानते हैं। पुराने हैं, इसलिए वह बड़ी पुड़िया पकड़ा कर चले गए। कहा- मैं जहां पद पर  बैठा हूं, वहां से संतनगर के अंदर एक उपनगर और बनाने का काम करूंगा। जो भी हो, हम तो यही कहेंगे वक्त होत बलवान।

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किसकी कहां जमीन पूरी कुंडली है माननीय के पास

पूरी कुंडली है बाबू माननीय के पास। संतनगर में किसकी कहां जमीन है, यह बता दिया है माननीय ने। एक कार्यक्रम में धार्मिक स्थल के लिए सरकारी जमीन की मांग रखी गई। मांग पर जो वक्तव्य आया वह अंदाजे माननीय था। कहा गया- संतनगर में तालाब किनारे कई लोगों की जमीनें हैं, समाज के लिए दान कर दें। पहले आप, फिर हम देखेंगे सरकारी जमीन कैसे मिलेगी। कार्यक्रम में कई लोग मौजूद थे, जिनकी जमीन तालाब के किनारे हैं और वह सक्षम भी हैं, लेकिन जैसे ही दान की बात आई तो एक-दूसरे को देखने लगे। यह भी कह दिया-टेकरी पर आपका अधिकार है, वहां मंदिर क्यों नहीं बन सकता। टेकरी पर दाव हिम्मत की बात है- इसलिए कहा आप सिंधी समाज से मांग उठाई, हिन्दू समाज की आवाज हम मिलवा देंगे।

हॉर्डिग्स हटवाया तो मात देने चली गोटी

चर्चा है नहले पर देहले की। बोरवन पार्क में एक कांग्रेस नेता को भाजपा नेता के हॉर्डिंग्स पसंद नहीं आए। हटावा दिए गए, तर्क दिया गया सरकारी जमीन पर प्रचार प्रसार कैसा। भाजपा नेता को कांग्रेसी नेता की हरकत नागवार गुजरी उनने भी दांव चला। शह मात कहते हुए परदे के पीछे रहकर एक शिकायत थाने में करवा दी। पोस्टर कोई बड़ी बात नहीं है। भाजपा नेता कह रहे हैं मामले में उलझा दिया, अपनी करनी बार-बार याद आएंगी नेताजी को। चर्चा तो बोरवन में सुर ताल की भी खूब हो रही है। शोर पर रोक लगी गुनगुनाने पर नहीं, इसलिए सुबह किशार-रफी के नगमें तो गए माइक न सही।

दबाव-प्रभाव में उलझी लोगों की मौजूदगी

राजधानी में एक कार्यक्रम में एक लाख लोग जुटने वाले हैं। उसकी तैयारियों को लेकर संतनगर में गुफ्तगू करने के लिए बैठक हुई, लेकिन केवल 125 लोग जुटने पर समाज के बड़े चेहरे पर नाराजगी देखी गई। कहा- संतनगर में सामाजिक संगठनों की सूची तो लंबी है, लेकिन चेहरे एक हैं। एक-एक व्यक्ति आधा दर्जन संगठनों में पद लेकर बैठा है। पारिवारिक दायित्व संभालने के बाद कोई एक-दो संस्थाओं में काम कर सकता है, लेकिन पद की लालसा क्यों? वैसे संतनगर में दबाव और प्रभाव किसी भी कार्यक्रम में लोगों की मौजूदगी न मौजूदगी तय करते हैं। कुछ दबाव के चलते आते हैं कुछ प्रभाव के चलते नहीं आते।

बड़ी देर करती नेताजी आपने आते-आते

नेताजी ने विरोध करने के लिए सड़क पर उतरने में देर कर दी। अपनों का भी साथ नहीं जुटा पा रहे हैं। बिना मशवरा करें फ्लाई ओवर एपीसोड में उतर गए, जब अपनो को फोन किया तो जवाब मिला हमे जो करना था कर लिया और जो करना है करेंगे। आपको जो करना है आप करें। नेताजी की लेट लतीफी को लेकर कई तरह की चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है- जब भोपाल से आए लोगों ने पूछा तो हमारे नेताजी कहां हैं, तब वह मोर्चे पर आए। उनके आंदोलनभरे अंदाज को दुकानदारों ने भी गंभीरता से नहीं लिया, क्योंकि उनके पहले जिसका साथ मिला दुकानदारों ने प्रचार प्रसार किया, लेकिन नेताजी के आगमन पर कुछ सोशल मीडिया पर नहीं डाला।

अजब, गजब है बाबू संतनगर पुलिस

गजब का थाना है संतनगर। एक मामले की एफआईआर बाद में हुई। पहले फरियादी के साथ पुलिसिया तेवर दिखाने वाले दो पुलिस कर्मी निपट गए। चर्चा है मामले में एफआईआर नहीं समझौता करने की पहल हुई थी, इसलिए दबाव बनाया गया। जब फरियादी नहीं माने तो मारपीट की गई। आला अफसरों तक मामला पहुंचा। जांच के बाद हुई कार्रवाई हुई। इसके बाद भी एफआईआर तब हुई, जब आला अफसरों ने दखल दिया। एफआईआर कर ली अब गिरफ्तार कब होगी, यह तो पुलिस ही बात सकती है।

अजय तिवारी

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