गणेश जी की आरती: भगवान गणेश के आदर्श और आशीर्वाद का प्रतीक

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गणेश जी की आरती: भक्ति और शुभता का प्रतीक

भारतीय संस्कृति में भगवान गणेश को सबसे प्रिय और आदरणीय देवता माना जाता है। वह ज्ञान, विज्ञान, कला, विवाह, शुभ आरंभ, विघ्न निवारण आदि के देवता के रूप में पूजे जाते हैं। भगवान गणेश की आरती उनकी भक्ति में लोगों द्वारा की जाती है, जो उनके आशीर्वाद से अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का आभास करते हैं। आइए, इस लेख में हम गणेश जी की आरती, उसे किस समय करना चाहिए, इससे क्या लाभ होता है, कुंडली के कौन से ग्रह सही होते हैं, और आरती की महत्ता के बारे में विस्तार से जानते हैं।

गणेश जी की आरती

गणेश जी की आरती एक प्रमुख धार्मिक रीति है, जिसे भगवान गणेश की पूजा के दौरान उनकी भक्ति में अर्पित किया जाता है। इस आरती में गणेश जी की महिमा, उनकी शक्ति, और उनके आशीर्वाद की प्रार्थना की जाती है। गणेश जी की आरती के गाने से भक्तों का मन शांत होता है और वे उनके प्रति श्रद्धालु होते हैं।

गणेश जी की आरती में उनकी विशेषताओं, रूप, गुण, और कार्यों की महिमा का वर्णन किया जाता है। इसके अलावा, उनके नामों का जाप भी किया जाता है, जो उनके विभिन्न स्वरूपों और कार्यों को दर्शाते हैं।

गणेश जी की आरती का गाना भगवान गणेश के प्रति भक्ति और समर्पण का प्रतीक है। यह आरती भगवान गणेश की महिमा, गुण, और कृपा का गान करती है और उनकी प्रार्थना करती है कि वे हमें विघ्नों से मुक्ति, सफलता, और सुख-शांति प्रदान करें। गणेश जी की आरती को गाने से भक्तों का मन शांत होता है और उन्हें अपने दिनचर्या में सकारात्मकता और उत्साह का अनुभव होता है।

गणेश जी की आरती का अर्थ

गणेश जी की आरती का अर्थ है भगवान गणेश की पूजा करना और उनकी महिमा का गान करना। यह आरती सभी दिन गायी जाती है, सुबह और शाम को। गणेश जी की आरती को गाने से प्रार्थना करने वाले को भगवान गणेश का आशीर्वाद मिलता है और उनके जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं।

किस समय आरती करना चाहिए

गणेश जी की आरती का समय सुबह और शाम को स्थिर होता है। सुबह की आरती में गणेश जी की पूजा के द्वारा नए दिन की शुरुआत होती है, जबकि शाम की आरती में उनके प्रति श्रद्धालुओं की शुभ निवासनी की प्रार्थना की जाती है। आरती के दौरान धूप, दीप, चमकदार फूल, नैवेद्य आदि का उपयोग किया जाता है, जो भगवान की आरती को विशेष बनाता है।

गणेश जी की आरती से क्या लाभ होता है

  1. आत्म-शांति: गणेश जी की आरती का गाना मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है। इससे मानसिक स्थिति में सुधार होता है और व्यक्ति अपने आप को ताजगी और प्रेरणा से भरा महसूस करता है।
  2. शुभ दृष्टि: गणेश जी की आरती का गाना करने से भगवान की कृपा बनी रहती है और व्यक्ति को शुभ दृष्टि मिलती है। उनके आशीर्वाद से कठिनाईयों का समाधान होता है और जीवन में समृद्धि आती है।
  3. अशुभता का नाश: गणेश जी की आरती से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और जीवन में सकारात्मकता का आभास होता है। इससे भय, चिंता, और दुर्भाग्य का अनुभव कम होता है।
  4. भक्ति और आदर्श: गणेश जी की आरती को गाने से भक्त उनकी पूजा के दृष्टिकोण से सशक्त होते हैं। यह उनके आदर्शों और धार्मिक भावनाओं को मजबूत करता है।
  5. विघ्न निवारण: गणेश जी की आरती का गान करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाली विभिन्न बाधाओं और विघ्नों का नाश होता है। भगवान गणेश ही विघ्नहर्ता हैं और उनकी कृपा से समस्याएं दूर होती हैं।

कुंडली के कौन से ग्रह सही होते हैं

गणेश जी की आरती का गाना कुंडली में किसी भी ग्रह के दुर्बल होने की स्थिति में फायदेमंद होता है। कुंडली में गणेश के शुभ ग्रहों के बल से व्यक्ति को सकारात्मकता, सफलता, और सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसके अलावा, अगर किसी की कुंडली में कोई ग्रह अशुभ स्थिति में है तो भी गणेश जी की आरती से उसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।

आरती क्यों की जाती है

आरती का अर्थ है दिव्य प्रकाश या दिव्य प्रदीप का दर्शन कराना। गणेश जी की आरती का गाना उनकी पूजा और भक्ति में अपने आप को समर्पित करने का एक तरीका है। इससे उनकी कृपा बनी रहती है और भक्त को उनके प्रति अपनी श्रद्धा का अनुभव होता है।

आरती का गाना ध्यान, श्रद्धा, और अनुभव का प्रतीक है। यह धार्मिक संस्कृति में सामूहिक आदर्श बताता है और समृद्धि, सुख, और शांति की प्राप्ति के लिए आशीर्वाद की प्रार्थना करता है।

इस प्रकार, गणेश जी की आरती का गाना एक शुभ और धार्मिक कार्य है, जो भक्तों को उनके प्रिय देवता के प्रति श्रद्धा और समर्पणा का अनुभव कराता है। इसके द्वारा वे अपने जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का आभास करते हैं और उनके जीवन में विघ्नों का नाश होता है। गणेश जी की आरती को नियमित रूप से करके व्यक्ति अपने जीवन को सकारात्मक और सफल बना सकता है।

जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥

गणेश जी की आरती का गाना भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है। इससे भगवान गणेश की कृपा प्राप्ति होती है और जीवन में समृद्धि और खुशियां आती हैं। यह आरती भगवान के प्रति भक्ति और निष्काम कर्म की शिक्षा देती है, जो व्यक्ति को धार्मिक और आदर्श जीवन जीने में मदद करती है। इसलिए, गणेश जी की आरती को नियमित रूप से करना चाहिए ताकि जीवन में सफलता और खुशियां प्राप्त हो सकें।

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