आज़ादी-ए-नामा… 200 साल की गुलामी की जंजीरें यूँ ही नहीं टूटी
आजादी अमृत महोत्सव विशेष
गोरों ने भारत पर लगभग 200 सालों तक राज किया था। साल 1757 से ही भारतीयो और अंग्रेजों के बीच संघर्ष का इतिहास है। फूट डालो राज करो की नीति के साथ अंग्रेजों ने भारत को गुलाम रखा। चलिए आजाद भारत के लिए संघर्ष के सफर को याद करते हैं।
1757 के प्लासी के युद्ध को देखे तो बंगाल के शासक सिराजुदौला के सेनापति मीरजाफर को राबर्ट क्लाइव ने अपनी ओर मिला लिया था। मीरजाफर की गद्दारी से ही अंग्रेज जीते थे।
1857 में अंग्रेजों के खिलाफ क्रांति हुई। 29 मार्च 1857 में चर्बी के कारतूस के खिलाफ भारतीय सैनिकों ने विद्रोह किया था। मंगलपांडे ने ,कारतूस चलाने से इंकार कर दिया था। जब सार्जेंट हडसन मंगल पांडेय को पकड़ने के लिए बढ़ा था तब मंगल पांडेय ने उसे गोली मार दी। बगावत के लिए मंगल पांडेय को फांसी मिली थी।
मंगल पांडेय की चिंगारी पूरे भारत में फैल गई थी। दिल्ली में बक्त. खान ने अंग्रेजों को चोट दी, कानपुर में नाना साहेब और तात्या टोपे ने, झांसी में रानी लक्ष्मी बाई ने।
1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश शासन की नीतियोँ में बदलाव किया। 1 नवम्बर 1858 में रानी विक्टोरिया ने ऐलान किया भारत का शासन ब्रिटिश और उनके सेक्रेटरी आफ स्टेट से चलाया जायेगा। गवर्नर जनरल को वायसराय बनाया गया।
1907 में आजादी की लड़ाई लड़ रही कांग्रेस में दो दल बन चुके थे। एक था गरम दल और दूसरा था नरम दल। नरम दल का नेतृत्व गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता और दादा भाई नौराजी कर रहे थे ।
- गरम दल का नेतृत्व बाल गंगाधर तिलक, लाल लाजपत राय और विपिन चंद्र पाल कर रहे थे । गरम दल पूर्ण स्वराज की आवाज उठा रहा था।
- नरम दल ब्रिटिश राज में स्वशासन चाहता था। विचारधारा अलग होने के बाद दोनों दल एक हो गए थे।
- 1919 में रौलट एक्ट ट्रायल के बिना जेल में डाल देना का विरोध हुआ, क्रांति की गरमाहट इसके बाद तेज हो गई।
- जलियां वाला बाग़ नरसंहार इसे दबाने के लिए सामने आया। 19 अप्रैल 1919 को पंजाब के जलियां वाला बाग़ में ब्रिटिश दमन हुआ। जनरल डायर ने निहत्थों पर अंधाधुंध गोलियां चलवा दी थीं।
- 1920 1922 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन
- 1929 के प्रांरभ में गांधीजी के नेतृत्व में अवज्ञा आंदोलन
- अगस्त 1942 में गांधी जी ने अंग्रेज भारत छोड़ो का नारा दिया
- अंग्रेजों से लड़ने सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिन्द फ़ौज बनाई
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आजाद हुए बंटवारे के साथ
आजाद भारत की अंतरिम सरकार के लिए होने वाली बैठक में मुस्लिम लीग संघटक सभा शामिल नहीं हुई थी।
मुस्लिम लीग अलग देश पाकिस्तान की मांग कर रही थी।
लार्डमाउन्ट बेंटन ने भारत और पाकिस्तान के रूप में भारत के विभाजन की योजना रखी थी।
विकल्प न होने के चलते भारत को योजना स्वीकार करना पड़़ी थी -
आजाद भारत के बोल
14 अगस्त 1947 की मध्य रात आजाद हुआ था भारत। 15 अगस्त की सुबह स्वाधीनता का उजाला लेकर आई थी।
‘मध्यरात्रि के घंटे की चोट पर जब दुनिया सो रही होगी। हिंदुस्तान जीवन और आज़ादी के लिए जाग उठेगा। एक ऐसा क्षण जो इतिहास में दुर्लभ ही आता है। जब हम अपने पुराने कवच से नये जगत में कदम रखेंगे, जब एक युग की समाप्ति होंगी और जब राष्ट्र की आत्मा लम्बे समय तक दमित रहने के बाद अपनी आवाज पा सकेगी। हम आज दुर्भाग्य का एक युग समाप्त कर रहे है और भारत अपनी दोबारा खोज आरंभ कर रहा है।’
जवाहर लाल नेहरू
पहले प्रधानमंत्री