Mahatma Gandhi: बापू माफ करना.. ये नहीं जानते अहिंसा, सत्य की शक्ति
अजय तिवारी.
आज (30 जनवरी) का दिन देश के इतिहास में ऐसा दिन है, जिस दिन देश की आजादी के लिए अहिंसा की राह चुनने वाले पुरोधा को देश ने खो दिया था। अहिंसा से देश को आजादी तो मिली, लेकिन उस पर चलने वाला महामानव हिंसक विचारधारा (कट्टता) के चलते बलिदान हो गया है। मरते मरते कह गया ‘हे राम’।
महात्मा गांधी बापू का पूरा जीवन सत्य-अहिंसा के सिद्धांतों चला। बिना किसी हथियार के ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक अहिंसक आंदोलन खड़ा किया और भारत को आजाद कराया। बापू का मानना था अहिंसा से शक्तिशाली कोई हथियार नहीं हो सकता। हर समस्या का समाधान करने की ताकत अहिंसा में है। यह विचार न केवल हिन्दुस्तान बल्कि पूरी दुनिया को आज भी प्रेरणा देने वाली है।
सदैव स्मरणीय है बापू
बापू वैसे तो सदैव स्मरणीय है, लेकिन शहीद दिवस पर उनके विचारों की बात करते हैं। बापू ने कहा था ‘आप जो बदलाव दुनिया में देखना चाहते हैं, पहले खुद में लाएं’। अहिंसा सबसे बड़ी शक्ति है, यह किसी भी हथियार से अधिक प्रभावी है। कमजोर कभी क्षमा नहीं कर सकते, क्षमा करना बलवान की निशानी है। खुद को पाने का सबसे अच्छा तरीका है, खुद को दूसरों की सेवा में खो देना। धैर्य और सत्य के साथ चलें, जीत आपकी ही होगी। व्यक्ति अपने विचारों से निर्मित होता है, जैसा वह सोचता है, वैसा ही बन जाता है। शक्ति शारीरिक क्षमता से नहीं आती, यह एक अदम्य इच्छाशक्ति से आती है। स्वच्छता और स्वास्थ्य स्वतंत्रता से अधिक महत्वपूर्ण हैं। ईश्वर का कोई धर्म नहीं होता, बल्कि सच्चाई ही ईश्वर है। अगर आपको कोई बुरा करे तो बदले में उसे प्रेम दें, यही जीवन की सच्ची सीख है।
विचारधारा पर प्रहार बेवजह
देश की आजादी बाद उभरे कई सियासी दल बापू की विचारधारा और उनकी हत्या करने वाली विचारधारा को सही ठहराने पर तूले हैं। बापू की विचारधारा पर प्रहार कर रहे हैं। विभाजन के वक्त उनकी मन:स्थिति को समझे बिना बापू के फैसलों को सवालों के घेरे में ला रहे हैं। विराट व्यक्तित्व पर गांधीवादी विचारधारा का क, ख, ग न जानने वाले गांधीवाद पर अपने स्वार्थ की खातिर अपने तरीके से टीका टिप्पणी कर रहे हैं।
बापू के विचार सदैव प्रासंगिक रहेंगे
सच तो यह है कि महात्मा गांधी के विचार और सिद्धांत आज भी वही ताकत रखते हैं, जो स्वतंत्रता संग्राम के समय रखते थे। सत्य, अहिंसा, आत्मनिर्भरता और सेवा बापू के जीवन के मुख्य आधार थे, बदलाव के लिए अच्छी सोच के लिए प्रेरित करते हैं बापू के विचार। उनके दिखाए मार्ग पर चलकर समाज में शांति, सद्भाव और न्याय को स्थापित किया जा सकता है। बापू के स्मरण दिवस, शहीद दिवस (30 जनवरी) उनके आदर्शों को आत्मसात करने, सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलने का संकल्प लेने का दिन है।
लेखक भोपाल डॉट कॉम के प्रधान संपादक हैं