भोपाल

आप की मांग- शहरी राेजगार गारंटी कानून बनाए सरकार

भोपाल। BDC news
आम आदमी पर्टी मध्यप्रदेश अध्यक्ष पंकज सिंह ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा, देश वित्त संकट में है, स्थिति बड़ी नाजुक है, देश अघोषित आपातकाल की स्थिति में है, ऐसे में देश और प्रदेश की सरकारों को इसपर गंभीरता से काम करने की जरूरत है, नहीं तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।
*मध्यप्रदेश में बेरोजगारी दर बढ़कर 27% हो गयी है, *पिछले वर्ष 2019 में बेरोजगार युवाओं का आंकड़ा 28 लाख था, प्रदेश के 48 बेरोजगार पंजीकरण कार्यालय के अनुसार, ये आंकड़ा बढ़कर 30 लाख से अधिक हो गया है, आम आदमी पार्टी शिवराज सरकार से ये मांग करती है कि बिना किसी देरी के बेरोजगारी की समस्या के समाधान के लिए मध्यप्रदेश में शहरी रोजगार गारंटी कानून बनाया जाए।
जहां एक ओर भूमंडलीकरण ने व्यावसायिक प्रतिद्वन्दिता को बढ़ाया है जिसमें तकनीक के विकास, कम से कम श्रम के इस्तेमाल से अधिक से अधिक मुनाफा कमाने की प्रवत्ति ने बड़े पैमाने पर बेरोजगारी को बढ़ावा दिया है और सिमटते औद्योगीकरण के दौर में शहर से बस्ती वाले, रेहड़ी-पटरी वाले, बेघर मजदूर, निर्माण मजदूर, घरेलू कामगार, रिक्सा चालक, कूड़ा बिनने वाले एवं कच्ची बस्ती में रहने वाले लोग ज्यादा प्रभावित हुए हैं। वहीं दूसरी तरफ कोरोना महामारी के चलते देशभर में करोड़ो लोग बेरोजगार हुए हैं और सबसे ज्यादा प्रभावित असंगठित क्षेत्र में काम करने वाला मजदूर तबका हुआ है।
कामगारों की समस्याओं को समझने के लिए दिल्ली समेत देश अलग-अलग शहरों में  UNDP की एक परियोजना के तहत साझा मंच ने शहरी रोजगार योजना बनाने के लिए कई शोध* (शिक्षा,स्वास्थ, न्यूनतम मजदूरी इत्यादि)  कार्यशालाय की जिसके तहत ये बात सामने आई की शहर में मुख्यतः तीन प्रकार के रोजगार हैं
(1) वेतन भोगी रोजगार
(2) स्वरोजगार
(3)अर्ध रोजगार
इस अध्यन से तीन महत्वपूर्ण मांगे सामने आईं :-
1)कानून पहचान का हक
2) वैध जगह एवं साधन
3) आसान शर्तों पे कर्ज
 *कामगार तबको के इन्हीं  अध्ययनों के आधार पर
 *राष्ट्रीय शहरी रोज़गार अधिकार कानून का प्रारूप तैयार किया गया।
सिंह का कहना है कि आज देश में इस पर व्यापक खुली सकारात्मक चर्चा की आवश्यकता है, जिससे वित्त संकट के इस नाजुक समय से उभरा जा सकता है।
बेरोजगारी और वित्त संकट की इस गंभीर स्थिति से उभरने के लिए बेहद जरूरी है कि इस प्रारूप कानून के सभी अति महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गंभीरता से विचार कर इस ओर सरकार को जल्द ठोस कदम उठाना चाहिए।
सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) ने देश में बेरोजगारी पर सर्वे रिपोर्ट जारी किया है।
इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, तीन मई को समाप्त हुए सप्ताह में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 27.1 फीसदी पर पहुंच गई है, इससे पहले जारी सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2020 में देश में बेरोजगारी दर बढ़कर 23.5 फीसदी पर पहुंच गई थी। सिर्फ अप्रैल महीने में बेरोजगारी दर में 14.8 फीसदी का इजाफा हुआ था। मार्च महीने के मुकाबले अप्रैल में बेरोजगारी दर में तेज बढ़ोतरी हुई थी। 130 करोड़ की आबादी वाले देश में कई उद्यम बंद हो गए हैं। बेरोजगारी की दर शहरी क्षेत्रों में सबसे अधिक बढ़ी है। कोविड-19 के मामलों की वजह से रेड जोन वाले क्षेत्रों में यह दर 29.22 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों  में 26.69 प्रतिशत है।
बेरोजगार लोगों की संख्या और बढ़ सकती है। मध्यप्रदेश में बेरोजगारी दर 27 प्रतिशत से अधिक है और मध्यप्रदेश सरकार ने ये माना है कि प्रदेश में अन्य राज्यों में काम कर रहे मजदूरों की एक बड़ी संख्या लगभग 7 लाख 50 हजार से अधिक है, जो वापस प्रदेश लौट आये हैं, जिनको प्रदेश सरकार ने रोजगार देने का वचन दिया था, ऐसे में प्रदेश सरकार को उनके रोजगार की भी व्यवस्था करनी चाहिए।
सीएमआईई ने अनुमान लगाया है कि अप्रैल में दैनिक वेतन भोगी श्रमिकों और छोटे व्यवसायी सबसे ज्यादा बेरोजगार हुए हैं। सर्वे के अनुसार 12 करोड़ से ज्यादा लोगों को नौकरी गंवानी पड़ी है। इनमें फेरी वाले, सड़क के किनारे सामान बेचने वाले, निर्माण उद्योग में काम करने वाले कर्मचारी और कई लोग हैं जो रिक्शा का ठेला चलकर गुजारा करते थे।
अजीम प्रेमजी यूनिवर्सिटी के सर्वे में देश में रोजगार के मोर्चे पर चौंकाने वाले आंकड़े आए हैं। सर्वे के मुताबिक देश में दो तिहाई से ज्यादा लोगों का रोजगार खत्म हो गया है और वो बेरोजगार हो गए हैं। इनमें से सबसे ज्यादा खराब हालात शहरी क्षेत्र में देखने को मिली है। शहरी इलाकों में 10 में से 8 लोगों का रोजगार खत्म हो गया है, यानी 80 फीसदी बेरोजगार हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में बेरोजगारी का आंकड़ा थोड़ा कम है। यहां करीब 57 फीसदी लोग प्रभावित हुए हैं यानि 10 में से 6 लोगों का रोजगार छिन गया है।

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