हुजूर रामेश्वर के लिए अभेद किला… डागा का गुस्सा भारी पड़ेगा
हुजूर में रामेश्वर-डागा और नरेश का त्रिकोण… रामेश्वर-डागा के पास विधायकी का अनुभव.. नरेश के सामने भाजपा के गढ़ का मिथक तोड़ने की चुनौती.. डागा नहीं बैठे तो मुकाबला कांग्रेस के लिए होगा मुश्किलभरा..
अजय तिवारी, भोपाल डॉट कॉम
विधानसभा चुनाव 2008 में हुजूर विधानसभा सीट पर भाजपा से विधायक बने थे जितेन्द्र डागा। भाजपा की कद्दावर नेता सुषमा स्वराज ने डागा का टिकट दिलवाया था। डागा को टिकट सभी को अंचभित करने वाला था, क्योंकि वे हुजूर विधानसभा क्षेत्र में चर्चित नेता नहीं थे, नया चेहरा होने के बाद भाजपा के गढ़ में उनकी जीत हुई थी। कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मीणा को हरा कर डागा विधायक बने थे। अपने कार्यकाल में डागा ने हुजूर विधानसभा क्षेत्र में अच्छी पकड़ बनाई थी। साल 2013 में भोपाल विकास प्राधिकरण के पूर्व सीईओ एमजी रूसिया की मौत के मामले में नाम आने पर इस साल हुए चुनाव डागा भाजपा का चेहरा नहीं रहे। डागा की जगह बीजेपी ने रामेश्वर शर्मा को उम्मीदवार बनाया। शर्मा के सामने कांग्रेस राजेंद्र मंडलोई को उतारा, जो 50 हजार से अधिक मतों से हारे थे। वर्ष-2018 में भाजपा ने फिर शर्मा को उम्मीदवार बनाया, जिनका सामना दिग्विजय सिंह के समर्थक नरेश ज्ञानचंदानी से हुआ। चुनावी दिनों में एक बयान के चलते एक पूरा समाज शर्मा से दूर हुआ, जिसके चलते कांग्रेस की हार का अंतर 50 हजार से कम होकर 15 हजार रह गया था। 2018 के चुनाव के वक्त ही भाजपा से नाराज पूर्व विधायक जितेंद्र डागा ने कांग्रेसी हो गए। डागा को उम्मीद थी, 2023 में कांग्रेस का चेहरा होंगे, लेकिन कांग्रेस ने दिग्विजय की पंसद ज्ञानचंदानी पर फिर दांव खेला है। कांग्रेस से टिकट न मिलने पर डागा बागी हो गए हैं। उनको मनाने के फिलहाल कांग्रेस की ओर से प्रयास नहीं हुए हैं।
डागा का चुनाव मैदान में होने का मतलब भाजपा के उम्मीदवार रामेश्वर शर्मा और कांग्रेस के नरेश ज्ञानचंदानी दोनों को टक्कर देने वाला होगा। डागा के भाजपा में उनके पुराने समर्थक हैं और कांग्रेस में रहते हुए विधानसभा क्षेत्र में अपनी टीम बना ली है।
रामेश्वर शर्मा…
भाजपा से 10 साल से हुजूर विधानसभा के विधायक हैं। अपने अभी तक कार्यकाल में जमीनी सक्रियता और विकास के प्रोजेक्ट से मतदाताओं में उनकी पैठ है। विधानसभा क्षेत्र के हर इलाके में नियमित आवाजाही, संवाद और सीधा जुड़ा प्लस प्वॉइंट है। काम कैसे होता है, किस तरह कराया जाता है, यह रामेश्वर शर्मा ने अपने कार्यकाल में बताया है। कट्टर हिन्दू नेता की छवि है, कांग्रेस के बड़े से बड़े नेताओं पर बयानी प्रहार करने का कोई मौका नहीं चुकते। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह की पसंद हैं।
नरेश ज्ञानंचदानी…
सियासत में उतरने से पहले कपड़ा कारोबारी रहे हैं। कांग्रेस में सफर अपने अंदाज में कर रहे हैं। स्थानीय संगठन से अपने वजूद से सक्रिय रहे। मौजूदा कांग्रेस में दिग्विजय सिंह की पंसद हैं। समाजसेवी संस्थाओं से जुड़ाव, लेकिन एक चेहरे के रूप में है। पूर्व उपमहापौर थद्धाराम ज्ञानचंदानी के बेटे हैं, इसलिए कांग्रेस की विचारधारा विरासत में मिली है। आक्रमक राजनीति पर भरोसा नहीं करते। साल 2018 में हुजूर विधानसभा में प्रचार के चलते हर क्षेत्र को पहचानते हैं। समर्थकों की बात करें तो उनके पास कार्यकर्ताओं की वैसी टीम नहीं है, जिसे मजबूत कहा जा सके।
जितेन्द्र डागा…
डागा की पहचान दबंग राजनीति वाली रही है। अपनी हर बात बेधड़क रखते हैं। भाजपा और कांग्रेस दोनों के कार्यकर्ताओं में सेंध मारी की ताकत रखते हैं। चुनाव के लिए ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों को एक फेरा बतौर कांग्रेसी लगा चुके हैं। कट्टर परंपरा वोटरों को छोड़ दिया, वे भाजपा और कांग्रेस दोनों के वोटों में सेंध लगा सकते हैं। डागा खुद कह चुके हैं निर्दलीय, निर्दलीय होता है। लेकिन हुजूर से दंबगाई को हराने का चुनाव है। सबक सिखाने का चुनाव है। लड़ाई पूरी ताकत से लडूंगा।