क्या हुआ तेरा वादा: 21 माह बाद भी पूरे नहीं हुए सिंधियों से किए वादे
- 31 मार्च 2023 के सिंधी सम्मेलन में सरकार (शिवराज सिंह) ने की थी घोषणा
- न सिंधी विस्थापितों को पट्टों का मालिकाना हक मिला, ना बढ़ा अकादमी का बजट
भोपाल. विशेष संवाददाता BDC NEWS
राष्ट्रीय स्वयं प्रमुख मोहन भागवत और सिंधी समाज के धर्मगुरू के सामने सिंधी समाज से किए वादे पूरा करना भी प्रदेश सरकार को याद नहीं। यूं भी कह सकते हैं कि भाजपा सरकार को चेहरा बदलने के बाद वादे महज घोषणा तक सीमित कर दिए गए हैं। 31 मार्च 2023 सिंधी समाज के लिए वादों वाला दिन था। उम्मीद बंधी थी, एक प्रतिशत प्रीमियम लेकर भूमि के पट्टों का मामला निपट जाएगा। सिंधी अकादमी को पांच करोड़ रूपये भाषा, साहित्य और संस्कृति के विकास के लिए मिलने लगेंगे, लेकिन 21 माह बाद भी एक भी वादा पूरा नहीं हुआ है।
राजधानी में हेमू कालाणी के जन्मशताब्दी वर्ष पर साल 2023 में सम्मेलन आयोजित किया गया था, जिसमें समाज का सबसे बड़ा समागम हुआ था। सम्मेलन को भगवान दास सबनानी ने आकार दिया था। समाज के विशिष्ठजन सम्मेलन का हिस्सा थे। जिन्होंने समाज की पट्टा समस्या, सिंधी अकादमी का बजट और तमाम अपेक्षाएं रखी थीं। तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने घोषणा की थी कि एक प्रतिशत प्रीमियम लेकर सिंधी विस्थापितों को कब्जे की भूमि का मालिकाना हक दिया जाएगा। उसी दिन आदेश जारी करने की बात कही थी।
वादों के भरोसे सिंधी समाज
सम्मेलन में सिंधी बलिदानियों के संग्रहालय बनाने और उनकी जीवन पाठ्यक्रम में शामिल करने और सिंधी अकादमी का बजट पांच करोड़ करने का वादा किया था। वादे पूरा होने की बात करें तो अकादमी का बजट 40 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ हुआ है, लेकिन पांच करोड़ नहीं। एक करोड़ में 20% राशि जारी नहीं की गई है। समाज के बुद्धिजीवियों का कहना है कि दशकों से वादों के भरोसे सिंधी समाज को रखा गया है।
यह किए गए थे वादे
- एक प्रतिशत प्रीमियम लेकर सिंधी विस्थापितों को कब्जे की भूमि के पट्टे दिए जाएंगे।
- सिंधी बलिदानियों के सम्मान में संग्रहालय बनाए जाएंगे।
- मनुआभान की टेकरी पर बलिदानी हेमू कालाणी की प्रतिमा लगाई जाएगी।
- सम्राट दाहिर सेन, हेमू कालाणी सहित एक अन्य बलिदानी की जीवनी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल की जाएगी।
- सिंधु साहित्य अकादमी का बजट बढ़ाकर पांच करोड़ रुपये करने की घोषणा की।
किस तरह होना था पट्टा का निराकरण
सिंधी विस्थापितों को कब्जे की भूमि का मालिकाना हक देने के लिए शिविर लगाए जाने थे, जिनमें निर्धारित प्रीमियम जमा करने पर संबंधित भूमि के पट्टे दिए जाने थे। 45 वर्ग मीटर तक भूखंड निशुल्क, 150 वर्ग मीटर तक व 150 से 200 वर्ग मीटर तक एक % और 20 वर्ग मीटर तक व्यावसायिक उपयोग के भूखंड पर पांच % तक प्रीमियम राशि ली जानी थी।
वादे किए जाते हैं, पूरे नहीं होते
- पट्टों का मामला प्रक्रिया में उलझा हुआ है। शासन-प्रशासन के स्तर पर दिखावा हो रहा है। ऐसा लगता है, वादा कर सिंधी समाज को धोखा देना आदत बन गया है। समझ से परे है शीर्ष स्तर पर की घोषणा क्यों पूरी नहीं हो रहीं।
माधु चांदवानी, अध्यक्ष पूज्य सिंधी पंचायत
70 साल वाद भी हक नहीं मिला
- सिंधी समाज की यह बड़ी विडंबना है। उससे वादे तो सभी ने किए, लेकिन निदान तक नहीं पहुंची। सात दशक से अधिक समय होने के बाद भी पट्टों के मालिकाना हक नहीं मिल सकें हैं। अकादमी का बजट अपेक्षा के हिसाब से न के बराबर है, जो बजट है उसमें अधिक हिस्सा पगार व अन्य खर्चों में चला जाता है।
विष्णु गेहानी, शिक्षाविद