संतनगर की चौपाल

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रितेश कुमार

जो खर्चा करता है, वह चर्चा में रहता है

वह चर्चाओं में रहता है, जो खर्चा करता है। अर्थ का प्रवाह बंद होते ही वह चर्चाओं से बाहर हो जाता है। कुछ समय पहले तक हर रोज अखबारों में तस्वीरों और नाम के साथ नुमायां होने वाले इन दिनों नजर नहीं आ रहे हैं। उनकी सामाजिक, पर्यावरण को लेकर चिंता न तो बयानों में नजर आ रही है न मैदान में हैं। हालांकि उनकी जगह एक और नाम चर्चाओं में आ गया है, जिनके नाम से सोशल मीडिया फैंस ग्रुप भी बन गया है। उनकी सक्रियता की शुरूआत एक कथा वाचक के सानिध्य से हुई है। कहा जा रहा है- अर्थ का प्रवाह भी हो रहा है। अतिथि बनने लगे है, विचार रख्ने लगे हैं। वैसे भी संतनगर की जमीन समाजसेवियों के लिए उपजाई है, देर नहीं लगती प्रस्फुटित होने में।

जुनून या सुकून के लिए खुल रहा दफ्तर

समाजसेवा का जुनून कहे या समस्याओं का निवारण कर मिलने वाला सुकून। सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी सेवाएं देने के लिए अपना ठिकाना बनाने में देर नहीं करते। सिंधी समाज की एक ओर सामाजिक संस्था कहे, प्रतिनिधि संस्था कहें या प्रमुख संस्था कहे। कुछ भी कह लीजिए अपना दफ्तर बनाने वाली है। कार्यालय खोलने के पीछे उद्देश्य लोगों की बात सुनना है। यह साफ नहीं है जन समस्याएं सुनी जाएंगी या सामाजिक। सामांतर पंचायत जैसी नियमितता कितनी रहेगी, इसे लेकर अभी से चर्चा होने लगी है, क्योंकि कार्यालयीन होने जा रही पंचायत हाई प्रोफाइल जो है।

पहचान-नाम भले छोटी है, पर खुद के दम पर

‘पहचान और नाम भले छोटी है, पर खुद के दम की है, इसलिए कहते हैं जो जानते हैं हमे वह मानते हैं।’ भाजपा के एक नेता ने कुछ इस तरह का पोस्ट अपने फोटो के साथ इंट्राग्राम पर किया है। वैसे तो इस तरह के पोस्ट का ट्रेंड चल रहा है, लेकिन सियासत से जुड़े लोग सोशल मीडिया पर जो भी पोस्ट करते हैं, उसके मायने अलग होते हैं। वैसे स्क्रीन के बाहर उनकी पहचान बड़ी है और भाजपा में नाम भी बड़ा है। वह कुछ कराने का मद्दा रखते हैं। उनका अंदाजे बयां भी खूब है। कार्यकर्ताओं क्या व्यापारिक जगत में खासे पहचाने जाने वाले चेहरे हैं।

कॉरिडोर हट रहा, पहचान कायम रहेगी

कॉरिडोर भले हट रहा है, लेकिन उसके 13 साल पुराने अवशेष(रैलिंग) सिंगल डिवाइडर पर लग रहे हैं। 13 साल की उम्र पार कर चुकी रैलिंग का इस्तेमाल करने का  आडडिया जिसका है गजब का है। पुराना माल कितने दिन टिकेगा यह बात की बात है। साथ ही कॉरिडोर से काटकर अलग की गई रैलिंग बेल्डिंग कर खड़ी की गई हैं। बेल्डिंग मजबूत नहीं हुई तो लटक जाएगी। संतनगर में कॉरिडोर हटने के बाद बदली सूरत और बदली समस्याओं का इंतजार अभी बाकी है।

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