Damoh News : अस्पताल के 100 मीटर के दायरे में शोर पर रोक

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शासकीय जिला चिकित्सालय …. “कोलाहल प्रतिबंधित क्षेत्र” (जोन ऑफ साइलेन्स) घोषित

दमोह रंजीत अहिरवार BDC NEWS 13 जून 2024

प्रतिदिन प्रातः 06 बजे से रात्रि 12 बजे तक की अवधि के लिये किया गया प्रतिबंधित
आदेश का उल्लंघन पाये जाने पर सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत होगी नियमानुसार विधिक कार्यवाही
शासन से प्राप्त निर्देशों के पालन एवं लाउडस्पीकर, डी.जे., संबोधन प्रणाली से होने वाले शोर के कारण शासकीय जिला चिकित्सालय दमोह में इलाजरत मरीजों पर होने वाले दुष्प्रभाव तथा शासकीय चिकित्सकों को कार्य करने में होने वाले व्यवधान को दृष्टिगत रखते हुये म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 की धारा 18 के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए शासकीय जिला चिकित्सालय दमोह के 100 मीटर की परिधि को प्रतिदिन प्रातः 06 बजे से रात्रि 12 बजे तक की अवधि के लिये “कोलाहल प्रतिबंधित क्षेत्र” (जोन ऑफ साइलेन्स) घोषित किया है।


इस आदेश का उल्लंघन पाये जाने पर म.प्र. कोलाहल नियंत्रण अधिनियम 1985 एवं ध्वनि प्रदूषण (विनियमन और नियंत्रण) नियम, 2000 एवं भारतीय न्याय संहिता तथा पुलिस अधिनियम एवं विनियम के सुसंगत प्रावधानों के अंतर्गत नियमानुसार विधिक कार्यवाही की जायेगी।


यह आदेश तत्काल प्रभावशील होकर तब तक लागू रहेगा जब तक कि इसे बदल न दिया जाये अथवा विखण्डित न कर दिया जाये।जारी आदेश में कहा गया है इस क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति किसी वाहन/यान से कोई हार्न इस प्रकार नहीं बजायेगा, जिससे चिकित्सालय के मरीजों के लिये संत्रास उत्पन्न न हो, इस परिधि में सार्वजनिक कार्यक्रमों अथवा अन्य प्रयोजनों से ध्वनि विस्तारक यंत्रो को चलाया, चलवाया, स्थापित, संचालित नहीं किया जाएगा। इस परिधि से होकर गुजरते समय जुलूस, जलसे, धरना प्रदर्शन, बारात, रैली अथवा अन्य कार्यक्रमों के दौरान डीजे अन्य तीव्र ध्वनि विस्तारक यंत्रों, संगीत को चलाया नहीं जाएगा और मंद ध्वनि विस्तारक यंत्रों के वाल्यूम को इस प्रकार नियंत्रित किया जायेगा ताकि जिला चिकित्सालय के क्रियाकलापों, मरीजों को कोई विघ्न न पहुंचे और किसी प्रकार का न्यूसेंस कारित न हो।


आदेशानुसार इस विनिर्दिष्ट परिधि में किसी प्रकार के धरने/प्रदर्शन, आम सभा, सार्वजनिक कार्यक्रम आदि आयोजित करने की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी। इस परिधि के भीतर स्थित धार्मिक स्थानों, परिसरों पर जहां परंपरागत रूप से ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग किया जा रहा है, वहां उसके वाल्यूम को इस प्रकार विनियमित किया जाएगा, जिससे जिला चिकित्सालय में मरीजों को किसी प्रकार का कष्ट, कठिनाई, न्यूसेंस उत्पन्न न हो।

ब्यूरो भोपाल डॉट कॉम

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