बदला नाम….. रानी कमलापति को भोपाल का सैल्यूट
भोपाल में पहचान बदल रही है…. राजाभोज एयरपोट (भोपाल एयरपोर्ट), रानी कमलापति स्टेशन (हबीबगंज स्टेशन), संत हिरदाराम नगर स्टेशन (बैरागढ़ स्टेशन), श्यामप्रसाद मुखर्जी नगर (कोलार) कई और पुरानी पहचानें बदला जाना पाइप लाइन में है… यहां हम हबीबगंज स्टेशन की पहचान पाने बनने वाली रानी कमलापति के बारे में बात करेंगे….
भोपाल। 14 नवंबर 2021
हबीबगंज स्टेशन नहीं अब रानी कमलापति स्टेशन कहिए बाबू…. 15 नवंबर को प्रदेश के पहले इंटरनेशल स्टेशन हबीबगंज को यह पहचान मिल गई है। वीरांगना रानी कमलापति को भोपाल का यह सम्मान है।
जानिए कौन थी रानी कमलापति
रानी कमलापति 18वीं शताब्दी की गोंड रानी थीं। उस वक्त गिन्नौरगढ़ के मुखिया थे निजाम शाह, जिनकी 7 पत्नियां थीं। खूबसूरत और बहादुर रानी कमलापति इन्हीं में से एक थीं और वह राजा को सबसे ज्यादा प्रिय थीं। उस दौरान बाड़ी पर निजाम शाह के भतीजे आलम शाह का शासन था। आलम की नजर निजाम शाह की दौलत और संपत्ति पर था। कमलापति की खूबसूरती से प्रभावित होकर उसने रानी से प्रेम का इजहार भी किया था, लेकिन रानी ने उसे ठुकरा दिया।
पति की हत्या के बाद बदले की ठानी
अपने चाचा निजाम शाह की हत्या के लिए भतीजा आलम शाह लगातार षड्यंत्र रचना रहता था। एक बार मौका पाकर दसने राजा के खाने में जहर मिलवा कर उसकी हत्या कर दी। उससे रानी और उनके बेटे को भी खतरा था। ऐसे में रानी कमलापति अपने बेटे नवल शाह को गिन्नौरगढ़ से भोपाल स्थित रानी कमलापति महल ले आईं। रानी कमलापति अपने पति की मौत का बदला लेना चाहती थीं. लेकिन न तो फौज थी और न ही पैसे थे। रानी कमलापति ने दोस्त मोहम्मद खान से मदद मांगी। दोस्त मोहम्मद ने इसके एवज में रानी से एक लाख रुपये की मांग की थी। रानी कमलापति को बदला लेना था, सो पैसे न रहते हुए भी उन्होंने हामी भर दी। दोस्त मोहम्मद खान कभी मुगल सेना का हिस्सा हुआ करता था। लूटी हुई संपत्तियों के हिसाब में गड़बड़ी के बाद उसे सेना से निकाल दिया गया था। फिर उसने भोपाल के पास जगदीशपुर में अपना कब्जा कर लिया था।
लिया पति की हत्या का बदला
कमलापति के साथ दोस्त मोहम्मद ने निजाम शाह के भतीजे बाड़ी के राजा आलम शाह पर हमला कर उसकी हत्या कर दी और इस तरह कमलापति ने अपने पति की हत्या का बदला ले लिया। करार के मुताबिक, रानी के पास दोस्त मोहम्मद को देने के लिए एक लाख रुपये नहीं थे। ऐसे में रानी ने भोपाल का एक हिस्सा उसे दे दिया। लेकिन रानी कमलापति के बेटे नवल शाह को यह अच्छा नहीं लगा, उसकी और दोस्त मोहम्मद के बीच लड़ाई हो गई। बताया जाता है कि दोस्त मोहम्मद ने नवल शाह को धोखे से जहर देकर मार दिया।
क्यों पड़ा था नाम हबीबगंज स्टेशन
बता जाता है कि नवाब हबीबुल्लाह द्वारा सन 1979 में क्षेत्र की जमीन रेलवे को दान दिए जाने के कारण इस स्टेशन का नाम उनके नाम पर हबीबगंज रख दिया गया था, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया जाता। ऐसा कहने वाला का तर्क है कि जिन नवाब हबीबउल्लाह खान का जिक्र इतिहास में मिलता है, वह नवाब सुल्तान जहां बेगम के पोते व अंतिम नवाब हमीदुल्लाह खान के भतीजे थे जो कि सन 1930 में ही इंतकाल फरमा गए थे। ऐसे में यह सोचना कि इंतकाल के 49 बरस बाद सन 1979 में जमीन पर लौट कर उन्होंने यह जमीन रेलवे को दान दी पूरी तरह गलत है। इतिहासकार कहते हैं कि भोपाल के इतिहास में हबीबउल्लाह नाम के किसी प्रभावी व्यक्ति का कोई उल्लेख नहीं मिलता है।
- इतिहास के पन्नों से