मंत्रालय गपशप…. मध्यप्रदेश का राजनीतिक और प्रशासनिक आईना
पूर्व मंत्री के समर्थकों में अति उत्साह
भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की नसीहत के बाद भी भाजपा के स्वयंभू नेता बैनर-पोस्टर की राजनीति या कहें शक्ति प्रदर्शन से परहेज नहीं कर पा रहे हैं और अपनी ताकत दिखाने के लिए पोस्टर-बैनर का सहारा लेते हैं। जी हम बात कर रहे हैं एक पूर्व मंत्री की जिनका जन्मदिन 15 अप्रैल को है और उनके समर्थकों ने भोपाल में जगह जगह जन्मदिन पर बधाइयों के बैनर पोस्टर लगाये है। भाजपा कार्यालय जाने वाले रास्ते के हर खंबे पर पूर्व मंत्री के जन्मदिन की बधाई की पोस्टर लगे हैं। पूर्व मंत्री के समर्थक इसलिए भी उत्साहित हैं कि पूर्व मंत्री को भाजपा के एक बड़े नेता ने खास तवज्जो दी है। भाजपा के बड़े नेता की तवज्जो से उत्साहित पूर्व मंत्री के समर्थक यह मान कर चल रहे हैं कि हमारे नेता अब कप्तानी करेंगे ? हालांकि संभावना पूरी होती नहीं दिख रही है क्योंकि पूर्व मंत्री जी बेल्ट से आते हैं उसे बेल्ट में पार्टी के कई प्रभावशाली नेता है जो समर्थकों की संभावना पर पानी फेर दें।
एमडी की सख्ती
मध्य प्रदेश सरकार के एक सार्वजनिक उपक्रम के निगम प्रबंध संचालक की सख़्ती से निगम के सारे अधिकारी व कर्मचारी त्राहिमाम त्राहिमाम है। प्रबंध संचालक ने निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों पर न केवल नकेल कसी है बल्कि निगम में सत्कार के नाम पर होने वाले लाखों रुपए के व्यय पर रोक लगा दी है। सूत्र बताते हैं प्रबंध संचालक ने निर्देश दिया कि उनसे मिलने आने वाले आगंतुकों का भी सत्कार केवल पानी से हो। वहीं एमडी ने स्टेशनरी के अनावश्यक खर्चों पर भी लगाम लगाई साथ ही निगम के पैसे बचाने के लिये एमडी ने संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों की गैर हाजिरी पर वेतन काटने का निर्देश दिया है। जबकि पूर्व में जितने भी प्रबंध संचालक रहे हैं संविदा कर्मचारियों की गैर हाजिरी पर वेतन नहीं कटता था। संविदा कर्मचारी तर्क देते हैं कि वह नियमित कर्मचारियों से ज्यादा काम निगम में करते हैं और निगम में देर तक रुकते हैं और छुट्टी वाले दिन भी सेवा प्रदान करते हैं। बता दे कि एमडी साहब की नवोदित आईएएस लाबी तूती बोलती थी लेकिन अब सरकार ने उन्हें लूप लाइन वाले निगम में भेज दिया है।
आयुक्त अड़े, बिजली देयक दो !
सामान्य प्रशासन विभाग से इनकार के बावजूद राज्य सरकार के एक आयोग के आयुक्त बिजली देयक भुगतान के लिए अड़ गए हैं। आयुक्त ने इसके लिए बाकायदा एक नोटशीट आयोग के प्रमुख को भेजी है। जिसमें उन्होंने उच्च न्यायिक सेवा के अधिकारियों की तरह ही बिजली देयक भुगतान करने की मांग की है। आयुक्त महोदय के बार-बार विद्युत देयक मांगने की मांग पर अड़े होने से आयोग के सचिव असमंजस में है और वह जीएडी के परिपत्र का हवाला देकर उनकी मांग को ठुकरा चुके हैं। आयुक्त अब इस मसले को आयोग के मुखिया के समक्ष पहुंचाना चाहते हैं ताकि उन्हें विद्युत देयक का भुगतान हो सके।
नॉन टेक्निकल स्टाफ की बेइज्जती
प्रदेश के निर्माण भवन में बीते दिनों नॉन टेक्निकल स्टाफ के साथ दुर्व्यवहार का मामला सामने आया है। दुर्व्यवहार विभाग के मंत्री के सामने हुआ। विभागीय मंत्री, एसओआर का विमोचन करने निर्माण भवन पहुंचे थे। विमोचन कार्यक्रम में भीड़ न होने पर ऑफिस के नॉन टेक्निकल कर्मचारियों को मीटिंग हॉल में इकट्ठा कर लिया गया। मीटिंग हॉल में 70-80 लोगों के बैठने की व्यवस्था थी लेकिन बाद में काफी इंजीनियर्स आ गये। कार्यक्रम के दौरान इंजीनियर मीटिंग हॉल के बाहर लॉबी में खड़े थे और नॉन टेक्निकल स्टाफ कार्यक्रम में अंदर था। अजीब स्थिति बनने पर मंच संचालक ने घोषणा की कि कार्यक्रम से नॉन टेक्निकल स्टाफ बाहर चला जाए क्योंकि इंजीनियरों को अंदर बैठने की जगह नहीं और वह बाहर खड़े हैं ? दूध से मक्खी की तरह बाहर करने के फरमान पर बेचारे कर्मचारी क्या करते, वह अपमान का घूंट पीकर एक-एक करके धीरे-धीरे कार्यक्रम से खिसक गए।
हंगामा में गए कलेक्टर !
राज्य सरकार ने कुछ जिलों के कलेक्टर्स को बदला है। इसमें एक कलेक्टर का जाना पहले से तय था। इसकी इबारत उनके पारिवारिक विवाद से लिखी गई। बीते दिनों परिवार में इतना विवाद बढ़ गया कि कलेक्टर साहब की मेम ने जोरदार हंगामा करके न केवल जिले के प्रशासनिक अमले को खिला दिया बल्कि इस हंगामे की सूचना मंत्रालय तक आ गई। सीएम ने मामले में कलेक्टर को जिले से हटा दिया। हंगामा का कारण किसी से छिपा नहीं है क्योंकि हाल ही में कई शहरों में शराबबंदी लागू की गई है।