Bhojshala: ज्ञानवापी की तरह धार भोजशाला का एएसआई सर्वे

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धार. भोपाल डॉट कॉम
Bhojshala:
मध्य प्रदेश के धार भोजशाला को लेकर है। ज्ञानवापी की तरह एएसआई का सर्वे का फैसला आया है। हाई कोर्ट ने इसकी अनुमति दी है। . वकील विष्णु शंकर जैन ने जानकारी देते हुए कहा कि इंदौर हाई कोर्ट ने उनकी अपील पर सर्वे की इजाजत दे दी है। धार जिले की आधिकारिक वेबसाइट के मुताबिक, राजा भोज (1000-1055 ई.) परमार राजवंश के सबसे बड़े शासक थे. उन्होंने धार में यूनिवर्सिटी की स्थापना की। इसे बाद में भोजशाला के रूप में जाना जाने लगा।

कहा जाता है, भोजशाला को सरस्वती मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर को बाद में यहां के मुस्लिम शासक ने मस्जिद में परिवर्तित कर दिया। इसके अवशेष अभी भी प्रसिद्ध कमाल मौलाना मस्जिद में देखे जा सकते हैं।

मस्जिद में एक बड़ा खुला प्रांगण है जिसके चारों ओर स्तंभों से सज्जित एक बरामदा और पीछे पश्चिम में एक प्रार्थना गृह स्थित है. शिलाओं में कर्मावतार या विष्णु के मगरमच्छ अवतार के प्राकृत भाषा में लिखित दो स्तोत्र हैं.
ये शिलालेख 11 वीं-12 वीं शताब्दी के हैं । इसके ऊपर संस्कृत के दो पाठ अनुस्तुभ छंद में लिखे हैं. इनमें से एक में राजा भोज के उत्तराधिकारी उदयादित्य और नरवरमान की स्तुति की है। दूसरे लेख में बताया गया है कि ये स्तम्भ लेख उदयादित्य द्वारा स्थापित करवाए गए हैं.

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