HC : फीस में प्राइवेट स्कूलों की मनमानी नहीं चलेगी
उच्च न्यायालय ने प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर सरकार से जानकारी मांगी है….. कोर्ट ने सरकार से पूछा है फीस रेग्युलेटरी एक्ट का क्या हुआ…
जबलपुर। बीडीसी न्यूज, 02 अक्टूबर
मध्यप्रदेश हाइकोर्ट ने प्राइवेट स्कूलों की फीस को लेकर सरकार से ब्योरा मांगा है। जबलपुर खंडपीठ में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन की याचिका खारिजर कर दी है। कोर्ट ने नवंबर 2020 के आदेश को दिए आदेश का पालन करने का कहा है। कोर्ट ने कहा है कि स्कूलों को कितनी फीस ले रहे है यह पब्लिकली करने को कहा है।
मामले में अध्यक्ष जागृत पालक संघ मध्यप्रदेश के वकील का बयान आया है। वकील चंचल गुप्ता ने बताया कि जागृत पालक संघ, एसोसिएशन ऑफ अनएडेड प्राइवेट स्कूल और सोसाइटी ऑफ एजुकेशन एंड वेलफेयर एसोसिएशन समिति सागर की याचिकाओं को डबल बेंच के समक्ष याचिकाकर्ताओं ने रखा अपना पक्ष। स्कूल एसोसिएशन की ओर से उनके अधिवक्ताओं ने मांग रखी कि अब शासन के आदेशानुसार स्कूल खोले जा चुके हैं। उन्हें पहले की तरह पूरी फीस वसूलने और फीस बढ़ाने की छूट मिलनी चाहिए। जागृत पालक संघ के एडवोकेट अभिनव मल्होत्रा ने तर्क दिया कि पेंडेमिक पूरी तरह से खत्म नहीं हुआ है। स्कूलों का संचालन पूरी तरह वर्किंग में नहीं है। इसके बाद भी मनमानी फीस बढ़ा दी गई है, जो न्यायालय की अवेहलना है।
मध्यप्रदेश में फीस रेग्युलेटरी एक्ट 2018 में लागू हो चुका है। उसके प्रावधानों के पालन में निजी स्कूलों को एक्ट लागू होने के 90 दिनों के अंदर अपनी पिछले वित्तीय वर्षों के ऑडिटेड बेलेंस शीट भी जिला समिति के समक्ष प्रस्तुत करना थी, लेकिन सालों बाद भी इसका पालन नहीं हुआ है।
फीस रेग्युलेटरी एक्ट का क्या हुआ
हाईकोर्ट ने शासन को निर्देश दिया है कि फीस रेग्युलेटरी एक्ट को लागू करने के संदर्भ में इंदौर जिले में जो भी कार्यवाही की गई है, उसकी जानकारी 1 हफ्ते में कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें। याचिका की अगली सुनवाई होने तक न्यायालय द्वारा पूर्व में दिया गया निर्णय ही मान्य होगा, जिसके अनुसार निजी स्कूल केवल शिक्षण शुल्क ही ले सकेंगे। फीस में किसी तरह की वृद्धि नहीं कर सकेंगे और न ही फीस के अभाव में बच्चों को पढ़ाई, परीक्षा या किसी अन्य सुविधा से वंचित करेंगे।