World Press Freedom Day : जान तक खतरे में डालकर सूचनाएं पहुंचाते हैं पत्रकार

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रंजीत अहिरवार, ब्यूरो दमोह
आज के समय में लोगों को घर बैठे ही देश-दुनिया की तमाम जानकारियां मिल जाती हैं। लेकिन क्या आपने सोचा है कि ये सूचनाएं लोगों तक कौन पहुंचाता है। तो जवाब है, पत्रकार। जिसको लेकर उनको काफी मेहनत करनी पड़ती है। कई बार तो ऐसा होता है कि उनके जान पर भी खतरा बना रहता है, लेकिन फिर भी वो जनता को सही जानकारी पहुंचाने के लिए अपनी जान भी दांव पर लगा देते हैं। हालांकि फिर भी पत्रकारों को अपने कर्तव्यों का पालन करने के लिए कई तरह की चुनौतियों का भी सामना करना पड़ता है।


पत्रकारों की पारदर्शिता बनी रहे, इसके लिए जरूरी है कि वो अपना काम स्वतंत्रता के साथ करे। इसी उद्देश्य के साथ हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है। तो आइए जानते हैं इसके इतिहास की पूरी कहानी-


1991 में यूनेस्को की एक कॉन्फ्रेंस में प्रेस स्वतंत्रता दिवस को लेकर सिफारिश की गई। जिसके बाद 1993 में संयुक्त राष्ट्र ने 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाने की घोषणा की। लेकिन इसकी शुरुआत तब हुई जब साल 1991 में अफ्रीकी पत्रकारों द्वारा प्रेस की आजादी के लिए अभियान छेड़ा गया था। जिसके बाद 3 मई को ही प्रेस की फ्रीडम को लेकर एक बयान जारी किया था। जिसको डिक्लेरेशन ऑफ विंडहोक के नाम से भी जाना जाता है। जिसके बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस घोषित किया गया। तब से लेकर अब तक हर साल 3 मई को विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस मनाया जाता है।

इस वर्ष के लिए थीम

हर साल संयुक्त राष्ट्र द्वारा आयोजित होने वाले विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस को लेकर थीम यानी विषय निर्धारित किया जाता है। जैसे इस वर्ष के लिए थीम है- ‘गृहों के लिए एक प्रेस, पर्यावरण संकट के सामने पत्रकारिता’। आज का दिन इस बात को याद दिलाता है कि जनता की पहुंच हर तरह की खबरों तक होनी चाहिए। इसके साथ ही सरकार को इस बात का समर्थन करते रहना चाहिए कि पत्रकार अपना काम सही और सुरक्षित तरीके से कर सकें।

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