OBC कांग्रेस के सामने पुराना रिकॉर्ड बचाने की चुनौती

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भाजपा को याद है 2018 में लगा जोरदार झटका


भोपाल। ए कुमार
भाजपा और कांग्रेस के लिए “मिशन 2023” में सत्ता की शर्त बहुत हद तक आदिवासी फैक्टर होगा। कांग्रेस के सामने आदिवासी जनाधार बचाने की चुनौती है,वहीं भाजपा पिछले चुनाव में छीनी 15 सीटों को हासिल करने के लिए पूरी ताकत लगाएगी, क्योंकि भाजपा का संगठन अच्छी तरह से जानता है कि सत्ता में बने रहने के लिए आदिवासियों का साध रहना जरूरी है।
चलिए बात करते हैं भाजपा की आदिवासी वोट बैंक अपने पक्ष में रखने की रखने की। प्रदेश में पहली बार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की मौजूदगी में आदिवासी गौरव दिवस मनाया गया। अमित शाह को शंकर शाह-रघुनाथ शाह के बलिदान दिवस पर जबलपुर बुलाया गया। सरकार ने आदिवासी युवाओं को रोजगार देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। संगठन आदिवासी क्षेत्रों पर फोकस कर रहा है, बूथ स्तर पर मजबूत प्रकरण के प्रयास किए जा रहे हैं।
कांग्रेस 2023 में आदिवासियों को बांधे रखने के लिए पूरी ताकत लगा रही है। 11 अक्टूबर को आदिवासी क्षेत्रों के विधायकों के साथ संगठन के जिलाध्यक्षों की प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ ने बैठक बुलाई है। किस तरह संगठन को आगे बढ़ना है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार आदिवासियों को धोखा दे रही है। भाजपा के धोखों को भी आदिवासियों को बताया जाएगा। कमलनाथ सरकार में आदिवासियों के लिए जो योजनाएं बनाई गईं थीं वह बताई जाएंगी।
प्रदेश में आदिवासी गणित
मध्यप्रदेश में 47 सीटें आदिवासियों के लिए हैं। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में भाजपा को आदिवासी सीटों पर करारा झटका लगा था। 2013 के चुनाव में 31 सीटें जीतने वाली भाजपा को केवल 16 सीटें ही आदिवासी बाहुल्य विधानसभा सीटों पर मिली थीं। कांग्रेस के खाते में 30 सीटें आई थीं। यह वजह रही थी कि भाजपा सत्ता में जादुई आंकड़े से पिछड़ गई थी और कांग्रेस की कमलनाथ सरकार बनी थी।

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