भोपालमेरी कलम

Alok Chatterjee : ‘मैं बाजार में बिकने वाला पेंटर नहीं हूं’

प्रीति झा तिवारी

आलोक चटर्जी… फानी दुनिया के रंगमंच पर अपना किरदार निभाकर अलविदा कह गए। कहा था, मैं सिर्फ नाटक करना चाहता हूं। उनके जीवन के ‘नाटक’ का परदा गिर गया। आलोक कहते थे, “मैं एक परफॉर्मर बनने के लिए दिल्ली गया था। अगर मुझे फिल्में करनी होती तो मैं एफटीआईआई पुणे चला जाता। मैं अपनी जिंदगी थिएटर के लिए जी रहा हूं। मैंने एनएसडी से पढ़ाई की है, जिसकी वजह से थिएटर मेरे खून में है। मैं बाज़ार में बिकने वाला पेंटर नहीं हूं।


आलोकजी से बात करते वह संवाद जहन में है वह कहा करते थे.. कुछ किए बिना जयजयकार नहीं होती और कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती, अपने कर्तव्य के प्रति ज़िद्द जुनून, आत्मविश्वास, ही हमें बनाता है एक अजय योद्धा।


नाट्य यात्रा… आलोकजी ने कई मशहूर नाटकों में भूमिका निभाई। विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘ए मिड समर नाइट्स ड्रीम’ का निर्देशन किया था। आर्थर मिलर के नाटक ‘डेथ ऑफ सेल्समैन’ का निर्देशन करने करने के साथ ही अभिनय भी किया थाद्ध विष्णु वामन शिरवाडकर का मशहूर नाटक ‘नट सम्राट’ में उनका अभिनय कभी भुलाया नहीं जा सकेगा। ‘शकुंतला की अंगूठी’, ‘स्वामी विवेकानंद’, और ‘अनकहे अफसाने’ नाटकों के लिए हमेशा आलोकजी रंगमंच में जिंदा रहेंगे।

सम्मान मिले… सर्वश्रेष्ठ अभिनय के लिए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से आलोकजी को गोल्ड मेडल मिला था। साल 2019 में तत्त्कालीन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। मध्य प्रदेश स्कूल ऑफ ड्रामा का डायरेक्टर रहे।

  • दमोह में जन्में चटर्जी एनएसडी से गोल्ड मेडलिस्ट थे।
  • दमोह में आठवीं तक पढ़ाई की इसके बाद जबलपुर में रहे।
  • जबलपुर से भोपाल आए, नई दिल्ली से एनएसडी की ड्रिगी हासिल की।


रंगमंच की यूनर्विसिटी थे ‘आलोक दादा’

भोपाल के रंगमंचीय दुनिया में आलोक चटर्जी एक नाम नहीं विश्वविद्यालय थे। बीमारियों से जूझते हुए भी रंगमंच पर अपना किरदार निभाते रहे। सोशल मीडिया पर आलोक नामा के जरिये अपनी बात रखते रहे। उनका जाना एक ऐसी शून्यता है, जो कभी पूर्ण नहीं होगी, उनके शार्गिद.. उनके चाहने वालों में हमेशा जिंदा रहेंगे आलोक दादा.. विनम्र श्रद्धांजलि.
लेखिका. प्रसिद्ध रंगकमी हैं।

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