death : साध्वी दीदी द्रोपती धनवानी नहीं रहीं, अंतिम संस्कार हुआ

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हिरदाराम नगर। रवि कुमार BDC NEWS 12 june 2024
death : साध्वी दीदी द्रोपती दीदी धनवानी का देवलोकगमन हो गया है। दरबार में जारी पाठ के दौरान अचानक बिगड़ी तबीयत बिगड़ने के बाद वह दुनिया से चली गईं। दो माह पहले भी दीदी को हार्ट अटैक आया था। इसके बाद भी वह दरबार में नियमित पाठ साहिब करती थीं।अपना सम्पूर्ण जीवन गुरुनानक देवजी की सेवा और सुखमनी व जपजी साहब के पाठ को समर्पित रहा।

निधन की खबर के बाद दरबार में अनुयायी जमा हो गए थे। दरबार में नम आंखों से अनुयायियों ने दीदी को विदाई दी। दीदी के निधन से संतनगर में शोक की लहर है। मिनी मार्केट स्थित दरबार में दीदी ने सेवाधारियों को सेवा का पाठ सिखाया था, वह आज दीदी के जाने से गमगीन था। दरबार के बाहर बड़ी संख्या में लोगों ने अंतिम दर्शन किए। उनकी अंतिम यात्रा उनके निवास स्थान मिनी मार्केट स्थित गुरूद्वारे से निकली।

पंचायत ने शोक व्यक्त किया
पूज्य सिंधी पंचायत संतनगर ने दीदी के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। पंचायत महासचिव माधु चांदवानी ने कहा कि दीदी का जाना समाज की अपूरणीय क्षति है। सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के पदाधिकारियों ने गहन शोक व्यक्त किया है।

द्रोपती धनवानी के नेत्रों का दान

संत हिरदाराम नगर निवासी 66 वर्षीय साध्वी द्रोपती धनवानी के निधन के बाद उनके भ्राता सुशील धनवानी ने अपनी बहन की आंखें सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय को दान में दे दी हैं । दिवंगत प्राणी के नेत्र, अब दो जरूरतमंद दृष्टिबाधित व्यक्तियों को प्रत्यारोपित किए जाएंगे। सेवा सदन ने अभी तक 2116 दृष्टिबाधित लोगों को निःशुल्क नेत्र प्रत्यारोपित कर नेत्र ज्योति प्रदान की है। प्रबंधन ट्रस्टी ए.सी. साधवानी ने साध्वी द्रोपती को श्रद्धान्जली अर्पित की है तथा दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना तथा परिवार जन के प्रति स्वजन के नेत्रों का दान करवाने पर कृतज्ञता प्रकट की है।
श्री साधवानी ने कहा कि साध्वी द्रोपती सेवानिवृत बैंक कर्मी थी । उन्होंने संत नगर वासियों को सेवा और सिमरन के मार्ग पर चलने की सीख दी ।साध्वी द्रोपती प्रायः अपने प्रवचनों में श्रद्धालुजन को श्री सुखमनी और जपुजी साहिब की शिक्षाओं को आत्मसात कर अपना जीवन सुख, शान्ति और आध्यात्मिक ज्ञान से परिपूर्ण रखने की शिक्षा दी । साध्वी द्रोपती द्वारा संचालित गुरूद्वारे में चौबीसों घण्टे गुरबाणी का पाठ और अखण्ड लंगर चलता रहता था ।

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