संतनगर का प्राचीन झूलेलाल मंदिर: आस्था के साथ जल सेवा है पहचान
रितेश नाथानी
आजादी के बाद सिंध से आए विस्थापितों ने अपने आराध्य श्री झूलेलालजी की अराधना के लिए छोटा सा आस्था स्थल बनाया था, जो संतनगर (बैरागढ़) के पुलिस थाने के ठीक सामने है। यहां, पूजा अर्चना के साथ जल सेवा शुरू हुई थी। लोगों का कहना है कि मंदिर के पास कुआं था, जिससे सेवादारी लोगों को पानी पिलाता था। मौजूदा मंदिर जीर्णोंद्धार के बाद का है। यह मंदिर न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत (सेवा) का भी प्रतीक है।
इतिहास और महत्व:
यह मंदिर कई दशकों से सिंधी समुदाय की आस्था का केंद्र रहा है। भगवान झूलेलाल, जिन्हें उदरोलाल के नाम से भी जाना जाता है, सिंधी समुदाय के संरक्षक संत हैं। इस मंदिर में उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। मंदिर की स्थापना के बाद से, यह सिंधी समुदाय के धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बन गया है।
सांस्कृतिक विरासत:
झूलेलाल मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह सिंधी समुदाय की सांस्कृतिक विरासत का भी प्रतीक है। मंदिर में नियमित रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं, जिनमें झूलेलाल जयंती और चेटीचंड प्रमुख हैं। इन आयोजनों में सिंधी समुदाय के लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं और अपनी सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखते हैं।
धार्मिक अनुष्ठान:
मंदिर में नियमित रूप से भगवान झूलेलाल की पूजा-अर्चना की जाती है। भक्त यहां आकर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। मंदिर में आरती, भजन और कीर्तन जैसे धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं, जिनमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं। मंदिर का शांत और पवित्र वातावरण भक्तों को आध्यात्मिक शांति प्रदान करता है। मंदिर की दीवारों पर भगवान झूलेलाल के जीवन से जुड़ी घटनाओं को दर्शाने वाली कलाकृतियाँ हैं, जो भक्तों को आकर्षित करती हैं।
माधु चांदवानी ने बताया
मंदिर के संचालक माधु चांदवानी ने बताया कि मंदिर में नियमित धार्मिक आयोजन होते हैं। यहां की पहचान जल सेवा जारी है। मंदिर के पास राहगीरों के शीतल जल की मशीन लगी हुई है, पहले यहां मटके रखे होते थे।
भोपाल डॉट कॉम, संतनगर