करवां चौथ 2022… 13 अक्टूबर को, कई शुभ संयोग बन रहे
गुरूदेव तिवारी
पति की लंबी आयु के लिए सुहागिन कारवां चौथ का व्रत रखती हैं। निर्जला व्रत तक सौभाग्य, खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करती हैं। इस बार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस साल करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा।
करवा चौथ पर शुभ संयोग
करवा चौथ के दिन चंद्रमा उच्च राशि वृषभ में संचरण करेंगे। 13 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 41 मिनट तक कृतिका नक्षत्र और उसके बाद रोहिणी नक्षत्र शुरू होगा। दोपहर 01 बजकर 55 मिनट तक सिद्धि योग रहेगा। इन सभी योगों को बेहद शुभ माना गया है। करवा चौथ कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 12 अक्टूबर की रात 2 बजे से शुरू होगी, जो कि 13 अक्टूबर की रात 03 बजकर 09 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि में करवा चौथ व्रत 13 अक्टूबर को रखा जाएगा।
शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त- 04:41 शाम से 05:31 बजे तक।
- अभिजित मुहूर्त- 11:44 सुबह से 12:30 दोपहर त ।
- विजय मुहूर्त- 02:03 दोपहर से से 02:49 बजे तक।
- गोधूलि मुहूर्त- 05:42 शाम से से 06:06 बजे तक ।
- अमृत काल- 04:08 शाम से से 05:50 बजे तक।
करवा चौथ पूजन
करवा चौथे पर शिव परिवार यानी भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश, कार्तिकय की पूजा का विधान है। पूजा की शुरूआत प्रथम पूज्य भगवान गणेश की पूजा अर्चना के साथ होती है। गणेशजी की पूजा अर्चना की पूजा के बाद शिव, पार्वती, कार्तिकेय की पूजा करें। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है। चंद्रमा को अर्घ्य दें। चंद्र दर्शन के बाद पति को छलनी से देखें। इसके बाद पति पत्नी को पानी पिलाकर व्रत तुड़वाता है।
करवा चौथ की कथा
श्री गणेशाय नमः !
एक साहूकार के सात लड़के और एक लड़की थी। एक बार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को सेठानी सहित उसकी सातों बहुएं और उसकी बेटी ने भी करवा चौथ का व्रत रखा। रात्रि के समय जब साहूकार के सभी लड़के भोजन करने बैठे तो उन्होंने अपनी बहन से भी भोजन कर लेने को कहा। इस पर बहन ने कहा- भाई, अभी चांद नहीं निकला है। चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देकर ही मैं आज भोजन करूंगी।
साहूकार के बेटे अपनी बहन से बहुत प्रेम करते थे, उन्हें अपनी बहन का भूख से व्याकुल चेहरा देख बेहद दुख हुआ। साहूकार के बेटे नगर के बाहर चले गए और वहां एक पेड़ पर चढ़ कर अग्नि जला दी। घर वापस आकर उन्होंने अपनी बहन से कहा- देखो बहन, चांद निकल आया है। अब तुम उन्हें अर्घ्य देकर भोजन ग्रहण करो। साहूकार की बेटी ने अपनी भाभियों से कहा- देखो, चांद निकल आया है, तुम लोग भी अर्घ्य देकर भोजन कर लो। ननद की बात सुनकर भाभियों ने कहा- बहन अभी चांद नहीं निकला है, तुम्हारे भाई धोखे से अग्नि जलाकर उसके प्रकाश को चांद के रूप में तुम्हें दिखा रहे हैं।
साहूकार की बेटी अपनी भाभियों की बात को अनसुनी करते हुए भाइयों द्वारा दिखाए गए चांद को अर्घ्य देकर भोजन कर लिया। इस प्रकार करवा चौथ का व्रत भंग करने के कारण विघ्नहर्ता भगवान श्री गणेश साहूकार की लड़की पर अप्रसन्न हो गए। गणेश जी की अप्रसन्नता के कारण उस लड़की का पति बीमार पड़ गया और घर में बचा हुआ सारा धन उसकी बीमारी में लग गया।
साहूकार की बेटी को जब अपने किए हुए दोषों का पता लगा तो उसे बहुत पश्चाताप हुआ। उसने गणेश जी से क्षमा प्रार्थना की और फिर से विधि-विधान पूर्वक चतुर्थी का व्रत शुरू कर दिया। उसने उपस्थित सभी लोगों का श्रद्धानुसार आदर किया और तदुपरांत उनसे आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस प्रकार उस लड़की के श्रद्धा-भक्ति को देखकर एकदंत भगवान गणेश जी उसपर प्रसन्न हो गए और उसके पति को जीवनदान प्रदान किया। उसे सभी प्रकार के रोगों से मुक्त करके धन, संपत्ति और वैभव से युक्त कर दिया।
करवा चौथ माता की जय !
करवा माता की आरती
ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।
जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया.. ओम जय करवा मैया।
सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।
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यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी.. ओम जय करवा मैया।
कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।
दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती.. ओम जय करवा मैया।
होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।
गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे.. ओम जय करवा मैया।
करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।
व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे.. ओम जय करवा मैया।