मध्य प्रदेश

शपथ लेने के बाद अफसरों के साथ बैठक की फुर्सत नहीं ‘माननीय’ को

आशीष चौधरी

जागो मंत्री जी… जागो….
मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव सरकार में राज्य शासन के एक विभाग का भगवान ही मालिक है। मालिक हम इसलिए कह रहे हैं कि विभाग के मुखिया या कहे कि मंत्री ने शपथ लेने के बाद विभागीय अधिकारियों के साथ आज तक कोई महत्वपूर्ण बैठक नहीं की। बैठक से आशय यह है कि मंत्री की अधिकारियों के साथ परिचयात्मक बैठक भी आज तक ठीक से नहीं हुई। विभाग के अधिकारी बताते हैं कि विभाग इतना महत्वपूर्ण है लेकिन मंत्री उतने ही गैर जिम्मेदार तौर पर अपनी कार्यप्रणाली प्रदर्शित कर रहे हैं। विभाग के ज्यादातर निर्णय शीर्ष स्तर से ही लिए जा रहे हैं। आपको बता दें इस विभाग ने न केवल एनडीए सरकार में बल्कि यूपीए सरकार में भी बेहतर परफॉर्मेंस की बदौलत कई अवार्ड जीते। विभाग ने अपनी कार्यप्रणाली से विकास दर भी चमत्कारिक तौर पर हासिल की।

नई परंपरा या डेकोरम

पिछले दिनों राज्य मंत्रालय यानी वल्लभ भवन में एक नई परंपरा देखी गई. मुख्य सचिव अनुराग जैन ने मान्य परंपराओं से हटकर नई परंपरा की शुरुआत की और सेवानिवृत हो रहे डीजीपी सुधीर सक्सेना को मंत्रालय में  विदाई दी। विदाई कार्यक्रम में मंत्रालय के तमाम आला अधिकारी मौजूद थे। विदाई कार्यक्रम को लेकर प्रशासनिक हल्को में कई तरह की चर्चा है।  चर्चा है कि मुख्य सचिव ने डीजीपी का विदाई कार्यक्रम मंत्रालय में आयोजित कर एक तरह से डेकोरम ही मेंटेन किया है। मुख्य सचिव ने विदाई कार्यक्रम के जरिए एक संदेश आला अधिकारियों को दिया है कि वह कर्तव्य पालन को लेकर कितने सख्त है और शिष्टाचार ( डेकोरम ) को निभाने वाले हैं।

तय थी हार ?

मोहन सरकार के वन मंत्री रामनिवास रावत की हार को लेकर राजनीतिक हल्को में तमाम तरह के कयास लगाए जा रहे हैं और भाजपा के पराजित प्रत्याशी रामनिवास रावत ने अपनी हार का ठीकरा भी दूसरों पर फोड़ना शुरू कर दिया है लेकिन इस सब के बीच यह बात भी उभर कर सामने आई है कि विजयपुर में संगठन ने चुनाव लड़ने से पहले ही हार मान ली थी। बताया जाता है कि संगठन ने हार के अंतर को कम करने के लिए रावत के पक्ष में हर संभव प्रयास किया लेकिन संगठन के तमाम प्रयास काम नहीं है। भाजपा के एक कद्दावर नेता ने तो इस हार को अपनी प्रतिष्ठा से जोड़ लिया है। प्रदेश संगठन के ही एक शीर्ष पदाधिकारी ने चुनावी नतीजे सामने आने के बाद दबी जुबान में कहा कि क्षेत्र के आदिवासी इलाकों में रामनिवास रावत को लेकर नकारात्मकता थी और संगठन ने इस बात को दिल्ली तक पहुंचा दी थी।

अगला नंबर सिरोंज का

राजनीति के मंच से नेतागण शिकवे शिकायत करते हैं या फिर तारीफ में कसीदे करते हैं लेकिन मध्य प्रदेश के तेजतर्रार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने विदेश दौरे से लौटने के बाद स्टेट हैंगर पर स्वागत में आयोजित सभा में जब उनकी पार्टी के विधायक का नाम लेकर यह कहा कि अगला नंबर सिरोंज का है। तब लोगों के कान खड़े हो गए और अपने अपने स्तर पर कयास लगाए जा रहे हैं कि इस अगला नंबर के मायने क्या है? चर्चा है कि सिरोंज को जिला बनाया जा सकता है या फिर विधायक की बल्लेबल्ले होने वाली है.. खैर मुख्यमंत्री का आशय जो भी हो पर उनकी इस एक लाइन ने राजनीतिक बाजार में ठंड के माहौल में गर्मी पैदा कर दी है… वैसे जानकारों का यह भी कहना है कि विधायक जी सिरोंज को जिला बनाए जाने के पक्षधर नहीं है।

उधार का गुलदस्ता से स्वागत

मध्य प्रदेश के एक प्रभावशाली मंत्री और उनका स्टाफ भी पद के गुमान में भूल गये कि मुख्यमंत्री के स्वागत सत्कार में प्रोटोकॉल भी कुछ होता है। मंत्री महोदय अपने स्टाफ के साथ विदेश यात्रा से लौटे मुख्यमंत्री का स्वागत करने पहुंच गए लेकिन जब उन्हें पता चला कि स्वागत करने के लिए उनके पास गुलदस्ता तक नहीं है। तब चेहरा तमतमा गया… गुस्से से लाल पीले मंत्रीजी के सामने ही स्टाफ ने इधर-उधर नजरें दौड़ाई। तभी उनको  भोपाल में प्राधिकरण में पदाधिकारी रहे नेताजी दिख गए तो उन्होंने उनसे अनुनय विनय कर और गुलदस्ते का पैसा देने का कहकर एक गुलदस्ता गिडगिडाते हुए माँग लिया।  नेताजी को भी मंत्रि जी पर तरस आ गया और मंत्री जी के स्टाफ को गुलदस्ता दे दिया.. तब जाकर मंत्री महोदय मुख्यमंत्री का गुलदस्ते से स्वागत कर पाए।

7 साल बाद मिली स्कॉलरशिप

इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी तक कर रही एक इंजीनियरिंग छात्रा को स्कॉलरशिप के लिए 7 साल इंतजार करना पड़ा। उज्जैन निवासी इंजीनियरिंग छात्रा को 7 साल बाद मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बाद स्कॉलरशिप मिली। सूत्र बताते हैं कि पिछले दिनों छात्रा ने 181 सीएम हेल्पलाइन में इस बाबत शिकायत की तो पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में तूफान बच गया। वर्ष 2017 से छात्रा की स्कॉलरशिप किन फाइलों में अटकी है इसकी खोज खबर शुरू हो गई ? तब जाकर यह बात सामने है कि कॉलेज वालो ने छात्रा की स्कॉलरशिप के लिए जो दस्तावेज भेजे थे उसमें कमी थी। लेकिन कॉलेज वाले छात्रा को शासन से ही स्कॉलरशिप मंजूर नहीं होने का हवाला देकर टालते रहे। 181 सीएम हेल्पलाइन में इसकी शिकायत के बाद तेजी से कार्रवाई हुई तो कॉलेज वालों ने ही छात्रा के तमाम दस्तावेज विभाग को भेजे और स्कॉलरशिप मंजूर हुई। विभाग के अधिकारियों ने कालेज प्रबंधन को जमकर लताड़ भी लगाई  और नोटिस इशू करने की बात कही।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *