संतनगर Update

योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति से ही स्थाई स्वास्थ्य लाभ संभव – बाबा रामदेव

– कोरोना दुनिया को योग, आयुर्वेद का महत्व समझाया- सिद्धभाऊ
– संत हिरदाराम योग एवं नेचर क्योर हॉस्पिटल द्वारा राष्ट्रीय संगोष्ठी

हिरदाराम नगर। बीडीसी न्यूज
संत हिरदाराम प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान महिला चिकित्सा महाविद्यालय एवं संत हिरदाराम योग एवं नेचर क्योर हॉस्पिटल, आरोग्य केन्द्र योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा पर छह दिनी अंतरराष्ट्रीय संगोष्टी आयोजित कर रहा है।
आईसीएचडब्लू-2021 का शुभारंभ संत हिरदाराम चिकित्सा महाविद्यालय के निर्देशक हीरो ज्ञानचंदानी ने दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण के साथ किया। कार्यक्रम के प्रारंभ में संत हिरदाराम प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग विज्ञान महिला चिकित्सा महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ हेमांशु शर्मा स्वागत विचार रखे।

 उद्घाटन सत्र में योग गुरू स्वामी रामदेवजी मुख्य अतिथि थे। बाबा रामदेव ने कहा कि आज कॉर्पोरेट कल्चर में चिकित्सा का क्षेत्र एक व्यवसाय में बदल गया है । जहाँ कई गैर जरूरी उपचार सिर्फ इसलिए किए जाते हैं, जिससे डॉक्टर्स की आय बढ़ सकें। इन गैर जरूरी उपचार के द्वारा मनुष्य के शरीर को जहरीला कर दिया जाता है। आज हेल्थ इंडस्ट्री 100-200 हज़ार करोड़ की है। स्वामीजी ने कहा कि मैं उन डॉक्टर्स के लिए सादर नमन करूंगा जो भगवत स्वरूप हैं और दूसरों को अपना जीवन समर्पित करके जीवन दान दे रहे हैं। मनुष्य यदि शांति के पथ पर चलकर प्रकृति का अनुसरण करता है तो वह सदैव स्वस्थ्य रहेगा। प्रकृति का अनुसरण नहीं करेंगे तो विकृति होगी। नैचुरोपैथी और योग स्वस्थ्य जीवन के मूलमंत्र हैं। हमारे वेदों में उपनिषदों में प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग का उल्लेख है। उन्होंने कहा कि हमें आज अपनी जड़ों से जुड़ना ज़रूरी हो गया है और प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग हमारी स्वस्थ्य जीवन शैली की जडें हैं। हमें चाहिए कि हम इन्हें जाने, समझें और इन्हें अपनाएँ साथ ही हम स्वयं को भी जानें, और ना सिर्फ जानें बल्कि स्वयं को जगाएँ भी। स्वामी रामदेव ने शहीद हेमू कालानी एज्यूकेशनल सोसायटी की प्रयासों की सराहना की। उन्होंने सिद्धभाऊजी के मार्गदर्शन में चल रहे संत हिरदाराम मेडिकल कॉलेज के जागरूकता कार्यक्रमों को भी सराहा। बाबा रामदेव ने कहा कि सिध्दभाऊ सच्चे संत हैं जो पूरी तरह से जनसेवा में समर्पित रहते हैं और बेहतर स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा एवं योग के क्षेत्र में देश का सर्वश्रेष्ठ महाविद्यालय एवं अस्पताल संचालित हो रहा है।
कोरोना दुनिया के लिए सबक

सोसायटी के अध्यक्ष एवं संतजी के उत्तराधिकारी सिद्धभाऊ ने कहा कि इस कोरोना काल ने पूरे विश्व को बहुत अच्छा सबक सिखाया है। व्यक्ति कितना भी धनवान हो, कितना भी बड़ा पदाधिकारी हो लेकिन इंसान की सबसे बड़ी निधि है उसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता। यह निधि जिसके पास सबसे ज्यादा हो वह सबसे बड़ा धनवान है। हमारी जितनी भी एन्टीबायोटिक थी उनमें से 75 प्रतिशत के खिलाफ बैक्टीरिया ने रेजीस्टेन्स प्राप्त कर लिया है। जैसे जैसे हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाएगी एन्टीबायोटिक अपना असर कम करती जाएंगी। परमेश्वर हमें सचेत कर रहे हैं कि हम उठें जागें और योग, प्राणायाम, प्राकृतिक चिकित्सा, सात्विक आहार एवं अपक्व आहार द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं, उसे प्रबल करें ताकि कोरोना या उससे भी बड़ा कोई संक्रमण या बीमारी हमें छू भी ना सकें। योग एवं आयुर्वेद के लिए बाबा रामदेव को कामों के लिए उन्हें नमन किया। अंत में आरोग्य केन्द्र के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. गुलाब राय टेवानी ने आभार व्यक्त किया।

विशेषज्ञों ने कहा-

  •  सत्र में एन.आई.एन. की डायरेक्टर डॉ. के. सत्यलक्ष्मी ने कहा कि मैं नैचुरोपैथी एवं योग को धन्यवाद देती हूं, जिसने विश्व में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अपना एक मुकाम बनाया है। स्वस्थ्य रहने के लिए योग एक बेहत्तर साधन है। जो हमें सिर्फ स्वस्थ्य ही नहीं रखता बल्कि कई बीमारियों से दूर भी रखता है।
  •  सी.सी.आर.वाय.एन. के डायरेक्टर डॉ. राघवेन्द्र राव ने कहा कि भारत योग की भूमि है। 2014 में यू.एन. द्वारा योग दिवस को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता दिए जाने के बाद योग पूरे विश्व में अपनी लोकप्रियता के शिखर पर है। अब मेडिकल साइंस ने भी योग को मान्यता देते हुए अपना लिया है।
  •  मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टीट्यूट आफ योगा के डायरेक्टर डॉ. ईश्वर वी. बासवारड्डी ने कहा कि इस महाविद्यालय में जब मैं आई.सी.एच.डब्लू. 2019 में शामिल हुआ तब उस सम्मेलन में मैंने पाया कि इस संतनगरी के महाविद्यालय परिसर में वास्तविक ऊर्जा स्पष्ट दिखाई देती हैं।
  • इनिग्मा के केन्द्रीय अध्यक्ष डॉ. नवीन के.वी. ने कहा कि इनिग्मा का प्रत्येक सदस्य इस आयोजन से जुड़ा हुआ है। योगा और नैचुरोपैथी भारतीय संस्कृति का एक अभिन्न अंग है। किंतु 1989 में बी.एन.वाय.एस. को चिकित्सा को व्यावसायिक पाठ्यक्रम के रूप में मान्यता मिली। हमारा प्रयास है कि प्राकृतिक चिकित्सा को शिखर पर पहुंचा सकें।

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