जरा हटके

अलगाववादी स्क्रिप्ट पर आधारित किसान’ नाटक का पटाक्षेप ज़रूरी

  • भूपेन्द्र शर्मा

सही कहा है कवि रहीम ने।पंजाब-हरियाणा शंभू बॉर्डर पर जमा भीड़ तंत्र किसानों की‌ समस्याओं के निराकरण की मांग के लिए एकत्र नहीं हुआ है। इन आंदोलनकारियों का काला सच कुछ और है। ‘किसान आंदोलन’ शीर्षक तो केवल सरकार विरोधी वातावरण निर्मित करने के लिए सार्वजनिक तौर से खड़े रहने का आधार है। इन आंदोलनजीवियों को कृषि एवं किसानों को लेकर इतनी ही चिंता रही होती, तो जब 10 साल केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह (सरदार) थे, तब किसानों के ये शुभचिंतक सामने क्यों नहीं आए?

पंजाब में कथित किसान आंदोलनकारी गुट के कुटिल मंसूबों की परतें धीरे-धीरे खुलती जा रही हैं! शंभू बॉर्डर पर जुड़े ये कथित किसान भी अरसे से देशी-विदेशी ज़मीन पर तैयार की जा रही अलगाववादी पटकथा के ही पात्र हैं। यू ट्यूब चैनल ‘प्रारब्ध’ पर प्रस्तुत कनाडा से प्रमोद कोठारी की रिपोर्ट का सार जानकार आपके पैरों तले ज़मीन खिसक जाएगी। यह बात उस समय की है, जब देश में कोई किसान आंदोलन या क़ानून नहीं था। प्रमोद बताते हैं कनाडा एयरपोर्ट पर पंजाब के एक किसान परिवार से बावस्ता सरदार (जिनसे मेरा परिचय भी‌ है), प्रधानमंत्री मोदी को गाली बकने लगे। मैंने पूछा मोदीजी को गाली क्यों दे रहे हो? वह बोलता है, असल बात यह‌ है कि अभी तक भारत में जिस तरह गठबंधनों की तोड़-मोड़ और  अराजकतापूर्ण सरकार चल रही थी तथा जिस तरह राजनीतिक अस्थिरता का माहौल था, उसके अनुसार हमारा पूरा रेफरेंडम तैयार था कि हम 2020 तक भारत को ‘सिविल वार’ में धकेल देंगे और खालिस्तान की नींव खोदकर पत्थर गाड़ देंगे। लेकिन इस आदमी (मोदीजी) ने आकर हमारी योजना की धज्जियां उड़ दीं। इसने भारत को एक स्थिर राजनीतिक नेतृत्व दिया है। यह हमारे लिए सबसे बड़ी समस्या बन गई है। इसने हिंदुओं को जातिवाद से ऊपर उठाकर देश के लिए, राष्ट्र के लिए एकजुट कर दिया है। इसने हमें परमानेंट डैमेज कर दिया है। आज विश्व के किसी भी देश में स्थिर राजनीतिक नेतृत्व नहीं है। वहीं इसने अपने नेतृत्व में भारत को 15-20 साल के लिए लीडरशिप दे दी है। इतना ही नहीं, इसने सैकंड लाइन से लेकर फोर्थ लाइन आॕफ लीडरशिप भी तैयार कर दी है। और ये सब  ईमानदार नेता हैं।

सरदार कहता है कि यह समस्या सिर्फ़ शंभू बॉर्डर पर बैठे लोगों की नहीं है,  पूरे विश्व की है। जिस समय पूरी दुनिया एक मजबूत लीडरशिप के लिए जूझ रही है, उस समय में इसने एक सशक्त लीडरशिप कैसे खड़ी कर दी! यह हमारे लिए समस्या है। अभी भारत में जो हो रहा है, वह इसलिए क्योंकि हमारी प्लानिंग पर पानी फिर गया है। हम उम्मीद कर रहे थे कि 2020 नहीं, तो अधिकतम 2025 तक भारत को सिविल वार में धकेल देते। उसका लाभ उठाकर हम आसानी से अपना अलग देश ‘खालिस्तान’ बनाने में सफल हो जाते।सरदार भारत में आंदोलनकारी कथित किसानों की उग्रता का कारण भी मोदी द्वारा भारत को एक विकसित राष्ट्र की ओर ले जाना तथा सनातन संस्कृति को विश्व स्तर पर बढ़ाना बताता है। उसके अनुसार दुनिया में विशाल मंदिरों का निर्माण हो रहा है। हर देश में ‘हरे राम हरे कृष्ण’ भजन गाया जा रहा है। हम बीते 40 साल से गुरुग्रंथ साहिब का प्रचार करने में लगे हैं। उस पर यह सनातन संस्कृति भारी पड़ गई और पूरे विश्व में उसका डंका बज रहा है। विदेशी सनातन धर्म अपना रहे हैं। ऐसे में तो हम खो जाएंगे!

यही कारण है कि शंभू बॉर्डर पर आसमान में ‘खालिस्तान जिंदाबाद’ लिखे विशाल गुब्बारे उड़ रहे हैं, ‘खालिस्तानी झंडे’ फहर रहे हैं!  आंदोलनकारी हर प्रकार के साधन और संसाधन के साथ दिल्ली में उपद्रव मचाने को ब्याकुल हैं। जनता के मन में यह प्रश्न उठता रहा है कि आखिरकार हर बार किसान आंदोलन का केंद्र पंजाब ही क्यों होता है? लेकिन अब जनता की समझ में यह अच्छी तरह आ गया है। मीडिया पर आंदोलनकारी खालिस्तान की मांग करते दिख रहे हैं। एक सरदार कहता है कि सिंधु बॉर्डर पर पुलिस ने बैरिकेड लगा रखे हैं। कोई बात नहीं, बॉर्डर पूरी तरह बंद कर दें। हम पाकिस्तान की सीमा खोलकर भारत से अलग हो जाते हैं। हम अपना अलग देश ‘खालिस्तान’ बनाएंगे। पाकिस्तान से मिल जाएंगे। यूट्यूब चैनल्स पर देश और हिंदुओं के विरुद्ध ऊल-जुलूल टिप्पणियां की जा रही हैं। एक वीडियो में एक निहंग सरदार आंदोलनकारी कहता है- किसानों की फ़ौज आ रही है दिल्ली में घुसने। हम पंजाब को आज़ाद करा खालिस्तान बनाना चाहते हैं। देश को विखंडित करने वाली ये करतूतें राष्ट्रद्रोह नहीं तो और क्या हैं? यह जनता ही तय करे।

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