मध्य प्रदेश

MP : मंत्री के बंगले की साज सज्जा पर 80 लाख फूके !

हर महीने हजारो करोड़ का कर्जा लेकर घी पीने वाली राज्य सरकार के एक कैबिनेट मंत्री के बंगले की साज सज्जा पर 80 लाख रुपए विभाग ने फूंक दिए हैं। साज सज्जा का खेल यहीं खत्म नहीं हुआ, मंत्री के एक चाहते ठेकेदार को इस काम का जिम्मा दिया गया जो विभाग में चर्चा का विषय बना हुआ है। सूत्र बताते हैं कि निर्माण विभाग से जुड़े एक मंत्री के चार इमली स्थित सरकारी बंगले पर 80 लाख रुपए से भी अधिक के बजट से साज सज्जा की गई है। जिस बंगले पर यह साज सज्जा की गई है, पिछली सरकार में इसी बंगले पर साज सज्जा के नाम पर लाखों रुपए खर्च किए गए थे। मंत्री ने जब बंगले में प्रवेश किया तो अधिकारियों को फर्नीचर बदलने से लेकर नए सिरे से कक्षों का निर्माण और परदे आदि महंगे कीमती सामान लगाने के निर्देश दिए। विभाग के अधिकारी मरता क्या नहीं करता की तर्ज पर आनन फानन में बजट न होते हुये भी काम कराया और बंगले पर खर्च करने की उदारता का उदाहरण पेश कर दिया। विभाग में मंत्री के बंगले पर खर्च राशि को लेकर काफी चर्चा है।

सचिव का गैर जमानती वारंट, मचा हडकंप

नए साल में राज्य शासन के एक सचिव स्तर के आईएएस अधिकारी का गैर जमानती वारंट से मंत्रालय में हड़कंप मच गया। नए साल के पहले हफ्ते में पुलिस के दो सिपाही सचिव का गिरफ्तारी वारंट लेकर मंत्रालय पहुंचे तो विभाग में हड़कंप मच गया। किसी तरह अधिकारियों की समझाइश पर पुलिस के दोनों सिपाही वापस लौटे और बाद में सचिव, जबलपुर हाईकोर्ट की इंदौर बैंच में उपस्थित हो गए और अपना वारंट कैंसिल करवाना पड़ा। सूत्र बताते हैं कि इंदौर के एक अनुदान प्राप्त स्कूल के शिक्षकों के वेतनमान को लेकर लंबे समय से अदालत में मामला चल रहा था। पिछले साल कोर्ट ने सचिव के खिलाफ जमानती वारंट जारी किया तो अधिकारियों ने विधानसभा का हवाला देकर उपस्थित होने में आनाकानी की। इस पर बेंच ने नाराजगी जाहिर की और सचिव के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी कर दिया। बता दें वैसे तो सचिव की विभाग में छवि काफी सख्त अधिकारी की है।

नेता को निपटाने घोर विरोधियों ने हाथ मिलाया

राजनीति की चौसर पर सब जायज होता है। मध्य प्रदेश में भाजपा के संगठन चुनाव में ऐसा ही देखने को मिला जब ग्वालियर जैसे बडे जिले में जिलाध्यक्ष को लेकर एक-दूसरे के घोर विरोधी रहे नेताओं ने हाथ मिला लिया और एक बड़े नेता को निपटाने के लिए उसके समर्थक पर हाथ रख दिया। बड़े नेताजी पहले से ही किसी और को अध्यक्ष बनाने के लिये प्रयासरत थे। ऐसे में उनके ही दूसरे समर्थक का नाम आने से वह भी भौंचक रह गये…देखना यह है कि बड़े नेताजी के ये दोनों समर्थक क्या आगे भी एक साथ बड़े नेताजी के साथ रह पाएँगे या फिर जो नहीं बन पाएगा वह उनका साथ छोड़ देगा.. बहरहाल विरोधियों ने चाल।खूब चली है।

सिस्टम से अधिकारियों की नींद उड़ी

सरकार में पद स्थापना के लिए सिस्टम भी काम करता है पर जब से नए प्रशासनिक मुखिया आए हैं। वह इस सिस्टम को तोड़ना चाहते हैं और काम को ही सिस्टम बनाने की के लिये प्रयासरत है.. अंदर खाने की यह खबर जब से जिले में सिस्टम के सहारे पैर पसारे अफसरों तक पहुंची है तब से उन अफसरों की नींद उड़ गई है। डर इस बात का है कि कहीं सिस्टम से आए हुए ये अधिकारी यदि सीएस के फार फॉरमेंस के पैमाने पर खरे नहीं उतरे। तो क्या वापस बुला लिए जाएँगे। पड़ौसी संभाग के जिले में ज्यादा ही घबराहट है। इसलिए वह जगह-जगह दरवाजा खटखटा रहे हैं।

सिपाहियों से चल रहा है गृह मंत्रालय !

मध्य प्रदेश की प्रशासनिक दूरी मंत्रालय यानी वल्लभ भवन में सरकार का सबसे महत्वपूर्ण गृह विभाग, पुलिस के सिपाहियों के भरोसे है। हालत यह है कि मंत्रालय में लंबे समय से नियुक्ति नहीं होने के कारण गृह विभाग में पुलिस के सिपाहियों को डेपुटेशन पर लेकर काम चलाया जा रहा है। गृह विभाग की शाखों को देखे तो यहां पर अधिकांश शाखों में अनुविभागीय अधिकारी मंत्रालय सेवा के बचे हैं। अनुविभागीय अधिकारियों के मातहत सहायक कर्मचारी पुलिस से और मंत्रालय में डेपुटेशन में सेवाएं दे रहे हैं। गृह विभाग में पुलिस के सिपाहियों को पहले भी डेपुटेशन पर लिया जाता था लेकिन उनकी संख्या नगन्य होती थी। अब तो उच्च पदों को छोड़ दे तो साहब ग्रेड के अधिकांश पद पर सिपाही बैठे मिलेंगे। कमोवेश यही स्थिति नगरीय प्रशासन विभाग की भी है। यहां पर भी नगर निगमों के संविदा कर्मचारी डेपुटेशन पर, सहायक ग्रेड के पदों पर सालों से जमे हैं। राज्य मंत्रालय में संविदा कर्मचारियों और सिपाहियों के लंबे समय तक जमे रहने से गोपनीयता भंग होने की भी आशंका बनी रहती है। मंत्रालय में पदोन्नति नहीं होने से और कर्मचारियों के साल दर साल रिटायर होने से बड़ी संख्या में पद रिक्त हो गए हैं। इस वजह से सामान्य प्रशासन विभाग में पदोन्नति के पद अनुविभागीय अधिकारी और सहायक अनुविभागीय अधिकारी के पद सीधी भारती से भरने का निर्णय लिया है। जिसका मंत्रालय अधिकारी कर्मचारी संघ ने पूर जोर विरोध कर दिया है। इस निर्णय के खिलाफ मंत्रालय अधिक कर्मचारी संघ ने आंदोलन का भी ऐलान कर दिया है। साथ ही मुख्यमंत्री से मिलकर संघ कड़ा विरोध भी जाता आएगा।

सीई की मुश्किलें बढ़ी

निर्माण विभाग के एक मुख्य अभियंता की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। मंत्री का संरक्षण प्राप्त मुख्य अभियंता गाज गिरने से किसी तरह बचा तो सीई के खिलाफ एक महिला ठेकेदार के पति ने मोर्चा खोल दिया है। महिला ठेकेदार के पति ने सीई के खिलाफ उसके घर को बर्बाद करने और उसकी पत्नी को उससे अलग करने तथा डराने धमकाने का गंभीर आरोप लगाया है। इन आरोपों को लेकर मंत्री से लेकर विभाग तक के अधिकारी सकते में है। बता दें कि सीई की पिछले दिनों महिला ठेकेदार के साथ सामने आई मौज-मस्ती की तस्वीरों को लेकर सीई अब अपना बचाव करते फिर रहे। उनका कहना है कि परिवार का झगड़ा है और मुझे टारगेट किया जा रहा है।

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