राजस्थान में फंसा कांग्रेस हाईकमान,गहलोत समर्थकों ने दी सीधे चुनौती
– पर्यवेक्षकों से बात भी नहीं की… गहलोत के पंसद का हो सीएम बनाने को लेकर दबाव… राहुल के पसंदीदा पायलेट मंजूर नहीं… चयरपर्सन बनने से पहले सियासी ताकत दिखाई अशोक गहलोत ने
जयपुर. भोपाल डॉट कॉम
कांग्रेस राजस्थान में फंस गई है। अशोक गहलोत कांग्रेस का अध्यक्ष तो बनना चाहते हैं, लेकिन राजस्थान के सीएम की कुर्सी पर सचिन पायलेट मंजूर नहीं है। हाईकमान को अपने समर्थकों के तेवर से संकेत भी दे दिए है। गहलोत गुट ने अशोक गहलोत के पार्टी सुप्रीम बनने के बाद विधायक दल बैठक में सीएम का फैसला होने की बात कही है।
गांधी परिवार का अध्यक्ष बनने से इनकार के बाद चेयरपर्सन की चेयर पर बैठने वालों में पहला नाम राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का है। नामांकन के पहले सीएम पद से इस्तीफा देने की बात राहुल गांधी कह चुके हैं, राजस्थान में उनकी पसंद सचिन पायलेट हैं, लेकिन गहलोत अपने समर्थकों के जरिये हाईकमान से भिड़ गए हैं। गहलोत गुट ने विधायक दल की बैठक का बहिष्कार कर दिया है। कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने के बाद य19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा। दबाव गहलोत के बाद गहलोत का पसंदीदा चेहरा है सीएम बनना चाहिए। स्थिति इतनी दबावभरी है कि विधायक दिल्ली से भेजे गए पर्यवेक्षकों से भी नहीं मिले हैं। राजस्थान में जो चल रहा है उस पर सोनिया गांधी को पर्यवेक्षक अपनी रिपोर्ट देंगे।
गहलोत गुट इस्तीफा, दावा
गहलोत समर्थकों 70 विधायकों ने रविवार शाम विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी को अपना इस्तीफा दिया है। वे दावा कर रहे हैं कि उनके खेमे में 92 विधायक हैं। बागियों से सीएम नहीं बनना चाहिए। गहलोत गुट का कहना है कि नया सीएम सरकार बचाने वाले 102 विधायकों में से ही होना चाहिए, यानी सचिन पायलट को सीएम न बनाया जाए।
धोखा देने वाला सीएम नहीं
राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन बनेगा ये उलझा हुआ सवाल बन गया है। गहलोत गुट ने आलाकमान से साफ कह दिया है कि उसे याद रखना चाहिए कि दो साल पहले बीजेपी के साथ मिलकर राजस्थान में गहलोत सरकार को गिराने की साजिश की गई थी, तब 102 विधायकों और सहयोगियों ने मिलकर सरकार को बचाया था।
हाईकमान की होगी फजीहत!
सचिव पायलेट ने कहा है कि हाईकमान के फैसले का इंतजार है। हाईकमान तय करेगा कौन राजस्थान का सीएम होगा। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि राजस्थान में यदि हाईकमान दबाव में आया तो चेयरपर्सन की कुर्सी छोड़ने से पहले ही गांधी परिवार की बड़ी फजीहत होगी। जिसे पार्टी का अध्यक्ष बनाए जाने की प्रक्रिया है, उसकी यह चुनौती इस बात का संदेश भी है, वह अपने तरीके से काम करेंगे।
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