वाह क्या बात है…. शराबबंदी: रख सकते हैं, पी सकते हैं, बिक नहीं सकती शराब
अजय तिवारी, प्रधान संपादक भोपाल डॉट कॉम
मध्यप्रदेश की मोहन सरकार का दावा है कि प्रदेश पूर्ण शराब बंदी की ओर बढ़ रहा है। पहला कदम 17 धार्मिक स्थलों वाले नगरों में शराब बेचने पर रोक के साथ उठा लिया गया है। लेकिन, पहला कदम ही जिस तरह उठाया गया है, वह यह सवाल उठाने वाला है। कैसी शराब बंदी जब रखने पर रोक नहीं है। पीने पर रोक नहीं है। केवल शराब की दुकानों के वोट नहीं दिखेंगे रोक के नाम पर। तब रख सकते हैं। पी सकते है तो लाना भी प्रतिबंध के दायरे से बाहर होगा। कुछ किलोमीटर दूर से लाइए धड़ल्ले से ‘घर को मधु शाला’ बनाए। प्रदेश सरकार की धार्मिक आस्था की चिंता यह गजब की चिंता और शराब बंदी की राह पर चलने का कदम दिखावी, प्रचार के लिए उठाया हुआ लगता है। मय प्रेमियों का ख्याल सरकार ने पूरी तरह रखा है।
प्रदेश में शराब बंदी को लेकर आवाज उठाने वालों की बात करें तो पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का नाम लिया जा सकता है। उमा ने न केवल शराब बंदी की मांग की, बल्कि राजधानी भोपाल में एमपी नगर की एक शराब की दुकान पर पत्थर फेंक कर विरोध जताया। अयोध्या नगर की दुकान को शिफ्ट करने को लेकर धरने की धमकी दी। सरकार ने अयोध्या नगर वाली दुकान को मंदिर से चार कदम दूर सड़क के दूसरी तरफ बसा दिया। अहाते बंद होने से पूरी सड़क का अहाते बनने दिया। प्रशासन ने खुले में शरानी पीने पर सख्त कार्रवाई की बाद तो की, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। उमा भारती की शराब बंदी की मांग शिवराज सरकार पूरी करने की शुरूआत नर्मदा किनारे शराब बंदी कर की गई थी, हालांकि किनारे की शराबखोरी से मुक्त नहीं हुए। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने धार्मिक स्थलों पर शराब बंदी को लेकर अपनी ओर अपनी सरकार की सराहना की, लेकिन यह भी कहा पूर्ण शराब बंदी में लंबा वक्त लगेगा।
सच तो यह है कि शराब का विक्रय सीधा राज्य की अर्थ व्यवस्था से जुड़ा है। इसलिए सरकार के लिए आसान फैसला नहीं है। नई आबकारी नीति में युवाओं के लिए अलग मिजाज के ठिकाने, रेस्तरों में बीयर वाहन की अनुमति 17 नगरों से होने वाले राजस्व की भरपाई कर देगी। कहा जा रहा है अभी प्रदेश में 450 वार है जो नई आबकारी नीति आने क बाद दो गुना हो जाएंगे। एक ओर शराब बंद का ढोल बजेगा, वहीं दूसरी ओर जाम से जाम टकरा के पियो कह रही है सरकार। धार्मिक नगरों के शराब बंदी के फैसले का शोर बहुत होगा। सरकार का हर नुमाइंदा कहेगा हम ही सरकार कर सकती है। विपक्ष भी नहीं चुकेगा यह कहने से खाने के दांत कुछ और दिखाने के कुछ और। भारत में शराबबंदी बिहार, गुजरात, मिजोरम और नागालैंड राज्यों में शराब प्रतिबंधित है। लेकिन सच तो तो यह है कि इन राज्यों में भी आसपास से शराब लाकर पी जा रही है। देश में सबसे ज्यादा शराब पीने वाला राज्य छत्तीसगढ़ है और सबसे महंगी शराब कर्नाटक में बिकती है।