बच्चों को पढ़ाया सिद्धभाऊ ने पशु पक्षियों को दाना—पानी देने का पाठ
— नवनिध की छात्राओं ने लिया दाना—पानी देने का संकल्प
हिरदाराम नगर।
बेटियों को भगवान ने पुरुषों से अधिक करुणा दी है, इसलिए भक्ति में ये सबसे आगे रहती हैं। पशु-पक्षी या किसी अन्य को भी भूखा नहीं देख सकती हैं। माता-पिता से भी इन्हें बहुत लगाव होता है। इस आत्मीय संबंध के कारण ये हमेशा आपकी सेवा करेंगी एवं आपका दुख समझेंगी।
यह विचार संत सिद्धभाऊ ने व्यक्त किए। वे नवनिध हासोमल लखानी पब्लिक स्कूल में छात्राओं और अभिभावकों के लिए पक्षियों को दाना-पानी देने के लिए प्रेरित करने आयोजित विशेष सत्र में बोल रहे थे। कार्यक्रम की शुरूआत परंपरागत तरीके दीप प्रज्ज्वलन एवं संत स्वामी हिरदारामजी की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण के साथ हुई। भाऊ ने कहा कि पक्षियों को दाना-पानी रखने की आदत आपको इनमें बचपन से ही डालनी होगी। फिर धीरे-धीरे यह इनके प्रतिदिन का कार्य हो जाएगा। इससे इनके अंदर सात्विक व दिव्य गुण आएँगे। इनके मन में पशु-पक्षियों के प्रति करुणा जागृत होगी जिससे ये कभी भी मांसाहार का सेवन नहीं करेंगी एवं बीमारियों से बची रहेंगी। संत हिरदाराम साहिब जी हमेशा कहते थे कि सुख चाहो तो सुख दो, दया धर्म का मूल है। जिस व्यक्ति के हृदय में दया नहीं है उसके मन में संवेदनशीलता कभी निवास नहीं कर सकती।
संस्कार का बीज रोपें
संस्था के उपाध्यक्ष हीरो ज्ञानचंदानी ने कहा कि विद्यालय बच्चों को शिक्षा के साथ-साथ संस्कार भी दिए जाते हैं। उच्च पद पर आसीन पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी संस्कार के बिना अपूर्ण है। सचिव एसी साधवानी ने कहा कि हमारे जीवन में संस्कार उतने ही जरूरी हैं जितना की पुष्प में सुगंध। सुगंध संस्कार ही है। इनसे हमारा जीवन महक उठता है।
विद्यालय की प्राचार्य अमृता मोटवानी और कोऑर्डिनेटर रीटा आहूजाने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम का संचालन शिक्षिका अदिति खांडेकर ने किया।