सिंधियों की सुनीं, नहीं दिया कमलनाथ ने जवाब
समाज को कांग्रेस से जोड़ने इकट्ठे हुए सिंधी कांग्रेसी… बीजेपी को जमकर कोसा… कमलनाथ ने कहा, धोखेबाज है भाजपा
अजय तिवारी
कांग्रेस के साथ खड़े सिंधी समाज के नेताओं और समाजसेवियों का तीन दिनी जमावड़ा राजधानी के सिंधी बाहुल्य इलाके संत हिरदाराम नगर (बैरागढ़) के पास शुरू हो गया है। नाम दिया गया है सिंधी कल्याण समिति राज्य स्तरीय सम्मेलन। कांग्रेस का प्रायोजित सम्मेलन है, इसलिए शुरूआत भी पार्टी के पीसीसी चीफ कमलनाथ ने की है। बात सिंधियों की हुई, लेकिन उससे ज्यादा भाजपा को कोसा गया। कमलनाथ ने कहा, सिंधी समाज के साथ बीजेपी ने हमेशा धोखा किया है।
एक शादी का वाक्या सुनाना तो कमलनाथ का बहाना था- आडवाणी के सहारे सिंधी समाज को समझना था, बीजेपी सिंधियों की सगी नहीं है। चलो वह वाक्या बताता हूं, जो कमलनाथ ने सुनाया.. कमलनाथ ने कहा साल 2008 में दिल्ली में एक सिंधी परिवार की शादी में गया था, ज्यादातर लोग सिंधी थी। मैंने जब कहा आप कांग्रेस का साथ दें तो 80 फीसदी लोगों ने कहा हम आडवाणीजी के साथ हैं। आडवाणीजी की आज स्थिति बीजेपी में क्या है, कहने की जरूरत नहीं है।
कमलनाथ के इस वाक्य के अर्थ यदि निकालेंगे तो वह कहना चाह रहे थे, जिस आडवाणी ने बीजेपी को बीजेपी बनाया और आडवाणीजी जिस समाज का चेहरा हैं, वह सिंधी समाज है। आडवाणीजी की बीजेपी का आपने (सिंधी समाज) साथ दिया, अब आडवाणीजी की बीजेपी नहीं रही है। आपको तय करना है तोड़ने वालों (बीजेपी) के साथ रहना है या जोड़ने (कांग्रेस) की संस्कृति वाली पार्टी के साथ। सिंधी समाज सबके साथ समरसता के साथ रहने वाला समाज है।
यह तो रही कमलनाथ की बात.. अब बात करते हैं सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सिंधी समाज के सत्ता और संगठन में प्रतिनिधित्व की, जिसे पुरजोर तरीके से सिंधी समाज ने उठाया। लेकिन, कमलनाथ की ओर से सीधा-सीधा जवाब नहीं आया। पट्टा प्रकरण के मामलों का जिक्र करते हुए सिंधी नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा ने एक भी पट्टा नहीं दिया। नवीनीकरण के मामले अटके हुए हैं।
छह सत्र में तीन दिन चलने वाले सम्मेलन को वैचारिक कहा जा रहा है, लेकिन चुनावी साल के अंतिम दौर में यह जमावड़ा कांग्रेस की वोट बैंक तैयार करने की रणनीति का हिस्सा है। इसलिए कांग्रेस ने सिंधी समाज के नेताओं से भाजपा को खूब सुनवाया। 50 जिलों से आए कांग्रेसी सिंधी प्रतिनिधियों ने भरोसा दिलाया, समाज कांग्रेस के साथ है। लेकिन, यह तो आने वाला वक्त बताएगा कि विधानसभा चुनाव 2023 में सिंधी समाज किसके साथ रहता है, क्योंकि उसका रिकॉर्ड भाजपा के साथ खड़ा होने का रहा है।