सिंधी समाज के बुजुर्ग की पीड़ा… यह कैसी मेहमान नबाजी
भोपाल। पांच दिसंबर 2021
मेहमानों को आठ बजे से बुलाकर … 11 बजे तक दूल्हा-दुल्हन का इंतजार करना अपमान नहीं तो और क्या है… इस अप्रिय स्थिति से सिंधी समाज को बचना चाहिए। जरूरत पड़े तो शादी विवाह के तरीकों में बदलाव होना चाहिए। समाज की प्रतिनिधि संस्थाओं की चुप्पी ठीक नहीं.. वरिष्ठजनों को आंख मूंदना भी ठीक नहीं है। बहस होना चाहिए, जागरूकता अभियान चलाया जाना चाहिए। अव्यय और दिखावे से भी बचाना चाहिए। कोरोना से सिखाया है, बेहद कम से कम में शादी विवाह हो सकते हैं।
यह दर्द है सिंधी समाज के वरिष्ठजनों का… एक समारोह में बुजुर्ग तय समय यानी आठ बजे मैरिज गार्डन में पहुंच गए। गेट पर खड़े शख्स से पूछा क्या देरदार है.. यहां तो न घर वाले दिख रहे हैं। न बाहर वाले। जवाब मिला आप जल्दी आ गए हैं… 10:30 से पहले रिस्पेशन शुरू नहीं होगा। …अरे, हमे तो आठ बजे का समय दिया गया था। समय तो सभी यह देते हैं, लेकिन कारोबारी लोग है, दस बजे दुकान मंगल करने के बाद ही आते हैं। दूल्हा-दुल्हन भी विवाह की रस्म पूरी करने के बाद ब्यूटी पार्लर गए हैं, तैयार होने में, जहां तीन-चार घंटे तो लगना लाजमी है। आप भोजन कीजिए।
बुजुर्ग ने कहा- भाई भाेजन करने नहीं मैं तो आशीर्वाद और व्यवहार देने आया था। साढे दस बजे तक कैसे रूक सकता हूं। 10 किलोमीटर दूर से आया हूं, भोजन करके चला भी जाऊं तो आशीर्वाद और व्यवहार किसे दूंगा। रिस्पेंशन साढे दस बजे से शुरू होना था तो वही समय देते न। भाई यह तो अपमान है, गेट पर खड़े शख्स ने कहा, क्या कर सकते हैं यह तो परंपरा सी हो गई है।
बुजुर्ग बोले- सर्दी के दिन हैं, इतना तो नहीं रूक पाएंगे। सूप पीकर, आपको व्यवहार देकर जा रहा हूं ईमानदारी से भला साहब काे बता देना मैं आया था… व्यवहार देकर चला गया, लेकिन इतना जरूर कह देना यह सही नहीं है। मेहमान नबाजी के लिए सिंधी समाज जाना था, इस तरह का अपमान ठीक नहीं है।
इस मुद्दे पर आपके विचार वाट्सअप पर डाल सकते हैं… समस्या का समाधान भी बदलाइए. हाे सकता है बदलाव हो जाए।