हमारे जीवन में नाम की बड़ी अहमियत होती है: साधरामजी
- सांई ने भक्ति रस की गंगा में लगवाई भक्तों की डुबकी
संत हिरदाराम नगर. BDC NEWS
हमारे जीवन में नाम की बड़ी अहमियत होती है नाम से ही उम्मीद है तपस्या, चाहत और नाम कोई ही अगर हम थोड़ा सा अमल करें तो तरक्की अपने आप शुरू हो जाएगी उसमें आशीर्वाद होता है नाम समझ के रखा जाता है और कई परिवार बड़े बुर्जुगों द्वारा के दिए हुए नाम से नामकरण अपने बच्चों के करते हैं।
यह बातें पाकिस्तान से आए सांई साधराम जी ने गुरुवार रात को गुलशन गार्डन में सत्संग सभा के दौरान कही। सांई जी का आगमन नागपुर से भोपाल करीबन रात 9:00 बजे हुआ और सुबह 4:00 बजे तक उन्होंने भक्ति रस की गंगा में लोगों को डुबकी लगाई। सांई जी से आशीर्वाद लेने के लिए दक्षिण पश्चिम विधानसभा के विधायक और भाजपा के प्रदेश महामंत्री भगवान दास सबनानी और मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष भी पहुंचे, इसके साथ ही भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने भी सांईजी से आशीर्वाद लिया। सांईजी ने अपने प्रवचनों में भक्तों से कहा कि आप अपने बच्चों में अच्छे संस्कार नाम के साथ ही डाल सकते हैं माता-पिता अपने बच्चों में अच्छे संस्कार बचपन से ही डालें, बड़ों का आदर सम्मान किसी के प्रति कोई इरशा न रखने जैसे संस्कार बच्चों में शुरू से ही डालने चाहिए। जब आप अपने बच्चों को अच्छे संस्कार देंगे तो ही वह आपका आपके परिवार का आपके शहर का नाम रोशन करेगा। सांईजी ने आगे कहा कि नामकरण में वह शक्ति है जिसे कोई मिटा नहीं सकता नाम से ही व्यक्ति की पहचान होती है और नाम से ही व्यक्ति के डाले गए संस्कार हम सबके सामने आते हैं।
नामकरण से ही मिलता है आशीर्वाद
सांईजी ने सत्संग के दौरान कहा कि जब किसी नए बच्चे का जन्म होता है तो संतो महात्मा को बुलाकर उसका नामकरण किया जाता है संत महात्मा नामकरण के साथ उसे आशीर्वाद देते हैं , आशीर्वाद से ही संतों की तपस्या उसे बच्चों को मिलती है और यही तपस्या उसे ऊंचाइयों तक पहुंचती है।
सांई के भजनों पर झूमे लोग
सत्संग प्रवचन के दौरान साइन जी से आशीर्वाद लेने के लिए हजारों की संख्या में लोग पंडाल में पहुंचे और साइंस से आशीर्वाद लिया सांई से सिंधी समाज के लोगों ने अपनी समस्याओं को लेकर भी चर्चा की और उन समस्याओं का समाधान भी सांई ने एक पर्ची पर लिखकर दिया। सांईजी के इस सत्संग कार्यक्रम में भक्ति रस की गंगा में लोगों ने भी खूब गोते लगाए। भक्त भी सांई के भजनों पर ऐसे झूमक नाचे जैसे भगवान के प्रति उनकी प्रीत लग गई है और साक्षात संतो के माध्यम से भक्तों की भगवान से भेंट हो रही है।