बारूद के ढेर पर बैठी जिंदगियों की परवाह हालहिया तो नहीं
अजय तिवारी
सरकार जागी है… एक्शन में प्रशासन है। पटाखा कारोबारी निगरानी तंत्र के बाद लाइसेंस शर्तों का हासिए पर रख कर कारोबार कर रहे हैं। न स्टॉक की तय सीमा की परवाह है, न प्रतिबंध पटाखों को बेचने का डर। दुकान के साथ गोदाम नहीं होना चाहिए, लेकिन हैं। पटाखा दुकानों पर आग से बचाव के लिए फायर एक्सटिंग्विशर है, चलने लायक है या नहीं इसकी परवाह नहीं। बेपरवाही दुकानदारों की है, जिम्मेदार तो प्रशासन तंत्र भी है। लाइसेंस जारी कर शर्तों की निगरानी की फुर्सत कहां?
27 साल पहले पुराने शहर के रहवासी इलाके पुराने कबाड़खाने से हलालपुर (बैरागढ़)भेजा गया था, कहा गया था- यहां किसी की जान खतरे नहीं रहेगी। लेकिन, समय के साथ थोक पटाखा बाजार के पास बसाहट भी होती गई। यहां तक की आसपास पेट्रोल पंप भी आ गए। बड़े होटल बन गए, मैरिज गार्डन आबाद हो गए। निर्माण को अनुमतियां देते समय जिम्मेदारों ने नहीं सोचा पटाखा बाजार यहां है। हादसा की आशंका उनके मन में नहीं रही होगी, इसलिए परमिशन जारी होती रहीं।
कुंडली तंत्र की भी बने
हरदा के बैरागढ़ गांव हादसे के बाद सरकार सख्त हुई, तो प्रदेशभर में प्रशासन के मुखिया कलेक्टर्स से कहा- 24 घंटे में पटाखा कारोबार की कुंडली भेजो। जिला प्रशासन का अमला थोक पटाखा बाजार की कुंडली बनाने निकला तो दुकानों को सील किया, गोदामों को सील किया। फायर एक्सटिंग्विशर खराब मिले तो जब्त किया। प्रतिवेदन बनाकर कलेक्टर्स को सौंपने की बात कही। माना- शर्तों का पालन नहीं हो रहा है, सुरक्षा के इंतजाम न काफी हैं।
वे तो सुस्त रहते अभी भी
प्रशासन भले कारोबारियों पर कार्रवाई की बात भी कह रहा है, लेकिन निगरानी तंत्र क्या कर रहा था। कितना खतरनाक है थोक पटाखा बाजार, जमुनिया में बने गोदाम यह जानना पहले क्यों चाहा। हरदा हादसा नहीं होता, तो अभी भी कहा मैदान में उतरता प्रशासन। शिफ्टिंग पर विचार करने की बात कर रहे हैं जिम्मेदार। यह भी सच है, कुछ दिन बात आए गए की बात हो जाएगी बारूद बैठे हलालपुर-जमुनिया की बात।
सिस्टम जिम्मेदार यहां भी है
सिस्टम हरदा में भी जिम्मेदार है, राजधानी में कमियों के लिए भी। हादसे के बात जागना कोई नहीं बात नहीं है। पेटलावद हादसे के बाद प्रशासन की सक्रियता पटाखा बाजार में देखी गई थी, लेकिन उसके बाद निगरानी तंत्र सो गया और कारोबारी बेपरवाह हो गए। प्रशासन का दावा है, समय-समय पर कार्रवाई करते हैं। कारोबारी दम भर रहे हैं सुरक्षा की हम पूरी चिंता करते हैं। समय रहते राजधानी में बसाहट से पटाखा बाजार दूर हो जाए तो अच्छा नहीं तो- यह कहने में गुरेज नहीं बड़ा हादसा होगा तभी जागेंगे।