संस्कार रहित शिक्षा निरर्थक- सिद्धभाऊजी

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सेवासदन नेत्र चिकित्सालय में ऑप्टोमेट्रिस्ट कोर्स की पढ़ाई शुरू

हिरदाराम नगर।

विद्यार्जन के साथ नैतिक मूल्यों का विकास होना आवश्यक है। संस्कार रहित शिक्षा निरर्थक होती है। यह बात संत सिद्धभाऊजी ने कही। वे सेवा सदन नेत्र चिकित्सालय में आप्टोमेट्रिस्ट और ऑफ्थाल्मिक असिस्टेंट पाठयक्रमों के लिए प्रारंभ होने वाली कक्षाओं के ओरियंटेशन सत्र में बोल रहे थे।  राष्ट्रीय व्यवसायिक परिशिक्षण और अनुसंधान परिषद दिल्ली ने इन पाठयक्रमों के शिक्षण -प्रशिक्षण के लिए सेवासदन नेत्र चिकित्सालय में 30-30 सीटस का कोटा निर्धारित किया है।

ओरियंटेशन सत्र में सेवासदन नेत्र चिकित्सालय में कन्सल्टेंट कर्नल डॉ. मदन देशपान्डे, अकादमिक प्रमुख डॉ. हेमन्त सिन्हा, मेडिकल डायरेक्टर डॉ. प्रेरणा उपाध्याय, प्रबंधन ट्रस्टी  एल.सी.जनियानी, कार्यपालन ट्रस्टी हीरो ज्ञानचंदानी, ट्रस्टी तुलसी आडवानी तथा सभी छात्- छात्राएं विषेष रूप से उपस्थित थे।

भाऊजी ने कहा कि चारित्रिक गुणों के विकास हेतु विद्याथियों को अपने माता पिता की सेवा, पषु- पक्षियों को आहार एंव पानी, रोगियों के लिये करूणा और सेवा भाव तथा प्रभु के प्रति कृतज्ञता का भाव रखना आवष्यक है। उन्होंने ओरियंटेषन सत्र में विद्यार्थियों से परिचय प्राप्त करते हुए उनमें विद्यमान नैतिक गुणों के संबध में भी जानकारी ली। संत सिद्ध भाऊजी ने कहा कि माता-पिता और मूक पषु-पक्षियों के आषीर्वाद, प्रभु के प्रति कृतज्ञता का भाव रखने से उनके जीवन में सुख और सफलता के अवसर सुलभ होंगे।

कर्नल मदन देशपान्डे ने कहा कि चिकित्सा संकाय में अध्ययनरत विद्यार्थियों में करूणा और सेवा के गुण होना जरूरी हैं । विद्यार्थियों को अंग्रेजी भाषा में बातचीत करने और कम्प्यूटर चालन का ज्ञान अर्जित करने की सलाह दी । मेडिकल डायरेक्टर डॉ. प्रेरणा उपाध्याय ने कहा कि पैरामेडिकल पाठ्यक्रम चिकित्सा षिक्षा की रीढ़ की हड्डी मानी गयी है । नेत्र रोग विज्ञान की पढ़ाई में ऑप्टोमेट्रिस्ट को संवेदनशील होना चाहिये । उन्होंने कहा कि ऑप्टोमेट्री में रोज़गार के भरपूर अवसर उपलब्ध हैं । अकादमिक प्रमुख डॉ. हेमन्त सिन्हा ने कहा कि चिकित्सा कार्मिक में सेवा भाव, विनम्रता, करूणा के गुण होने चाहिये । कठोर परिश्रम के बगैर ऑप्टोमेट्री की पढ़ाई नहीं हो पायेगी । एलसी जनियानी ने कहा कि संतजी डॉक्टरों को भगवान का प्रतिनिधि मानते थे, जबकि ऑप्टोमेट्रिस्ट उनके सहायक हैं । दृष्टिबाधित व्यक्तियों के दृष्टिदोष की अचूक जांच से ही उनका सही इलाज होना संभव होता है । इसलिये विद्यार्थी अपने लक्ष्य पर ध्यान केन्द्रित कर पूरी लगन के साथ पढ़ाई करें ।

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