धर्म

पितृपक्ष में यह कतई नहीं करें, नहीं तो….

गुरूदेव तिवारी
पितृपक्ष में पितृतर्पण करने के दौरान भूलकर भी ये गलती न करें। हुई तो आपका विधान पूरा नहीं होगा। चलिए क्या न करें इसे बताने से पहले बताते हैं 2022 में पितृपक्ष कब से कब तक है।
वर्ष 2022 में पितृ पक्ष 10 सितंबर से 25 सितंबर तक रहेगा। 15 दिन तक चलने वाले पितृपक्ष में श्राद्ध भी तिथि के अनुसार किए जाते हैं। मान्यता है कि पितृपक्ष में पूर्वजों की पूजा की जाती है। उनका तर्पण करना चाहिए। पितरों का ऋण श्राद्ध द्वारा ही चुकाया जा सकता है। पितृपक्ष में पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण या पिंडदान किया जाता है। पितृपक्ष में दान, श्राद्ध या तर्पण आदि करना चाहिए।


यह न करें पितृपक्ष में

  • श्राद्ध पक्ष में किसी भी प्रकार का शुभ कार्य न करें। नई शुरूआत, खरीदी ठीक नहीं है।
  • श्राद्ध पक्ष में घर पर सात्विक भोजन बनाना चाहिए। इन दिनों में तामसिक भोजन से दूर रहे। पितरों की मृत्यु तिथि पर पिंडदान करें।
  • लोहे का बर्तन का प्रयोग न करें। लोहे के बर्तन का इस्तेमाल करने से नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। पीतल, तांबा या अन्य धातु के बर्तनों का प्रयोग करें।
  • श्राद्ध कर्म करने वाले बाल और दाढ़ी नहीं कटवाएं। ऐसा किया तो धन की हानि होती है।

कौवा और शुभ संकेत
कौवे को पितरों का प्रतीक माना जाता है और श्राद्ध पक्ष के दिनों में भोजन कराया जाता है। पीपल को भी पितृ का प्रतीक माना जाता है। पितृ पक्ष के दौरान कौवा घर की छत पर बैठकर शुभ या अशुभ संकेत देता है। छत पर बैठे कौवे के चोंच में फूल-पत्ती हो तो मनोरथ पूरा होगा। कौवा गाय की पीठ पर बैठकर अपनी चोंच रगड़ता दिखे तो उसे अच्छे से अच्छा भोजन करना चाहिए। कौवे की चोंच में सूखा तिनका लिए दिखे या अनाज की ढेर पर बैठा दिखे तो धन लाभ होता है। यदि कौवा सूअर की पीठ पर बैठा दिखे, तो धन ही धन प्राप्त होगा।


धीरे-धीरे जल चढ़ाए
पिंडों को मृत व्यक्ति के शरीर का प्रतीक माना जाता है। पिंडों पर अंगूठे की मदद से धीरे-धीरे जल चढ़ाया जाता है। इस संबंध में मान्यता है कि अंगूठे से पितरों को जल देने से वे तृप्त होते हैं और उनकी आत्मा को शांति मिलती है।

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