मध्य प्रदेश

नाम के एसपी- कलेक्टर, बजट न दफ्तर

प्रदेश की भाजपा सरकार ने चुनावी फायदे के लिए भले ही छोटे छोटे जिलों का सृजन कर दिया है लेकिन छोटे जिलों में कलेक्टर-एसपी शो-पीस बन गये हैं जिनके पास ना तो ढंग का ऑफिस है और ना बजट। कलेक्टर चाह कर भी किसी गरीब की मदद नहीं कर पा रहे हैं क्योंकि ना तो बजट है ना रेट क्रॉस में निधि। हम बात कर रहे हैं नए बने जिले पांढुर्णा, मैहर और मऊगंज जिलों की, जहां पर कलेक्टर-एसपी तो सरकार ने तैनात कर दिए हैं लेकिन कलेक्टर-एसपी को अपने दैनिक कामकाज निपटने के लिए पूर्ववर्ती जिलों के अधिकारियों पर निर्भर रहना पड़ता है। नए बने इन जिलों में एक-दुक्का विभाग के ही अधिकारी पदस्थ किये गये हैं। ऐसे में सबसे ज्यादा दिक्कत कलेक्टर्स को हो रही है। मसलन यदि कलेक्टर्स को पिछड़ा वर्ग कल्याण या महिला बाल विकास से संबंधित विषयों पर विभाग के अफसर से चर्चा करना है तो किस से चर्चा करें? एसे में नए जिलों के कलेक्टर्स, पूर्ववर्ती जिलों के विभागीय अफसरों से चर्चा के लिए समय मांगते हैं। क्योंकि पूर्ववर्ती जिले के कलेक्टर अपने अधिकारियों को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है। ऐसी स्थिति में अजीब हालात पैदा होते हैं। नई जिलो के पास बजट भी नहीं है कलेक्टर किराये की गाड़ियों के बिल चुका नहीं पा रहे हैं। दफ्तरों की हालत तो बहुत खराब है। कलेक्टर के पास रेड क्रॉस निधि में पैसा ही नहीं है। कलेक्टर्स ने अपनी पीड़ा उच्च स्तर पर पहुंचा दी है। बता दे की 6 साल पहले जिला बना निवाड़ी के भी हालत इसी तरह के हैं।

स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए अब सिंगापुर की यात्रा !

करीब पौने 3 लाख करोड़ के कर्जे में डूबी राज्य सरकार के 120 अधिकारियों का एक दल अगले महीने विदेश यात्रा पर जाने वाला है। लाखों रुपए खर्च कर विदेश यात्रा के लिए मंत्री के समर्थक से लेकर विभाग अधिकारी तक इस मौके का लाभ उठाना चाहते हैं और आखिरी वक्त तक जोर आजमाइश में लगे हुए हैं। स्कूल शिक्षा विभाग के 120 अधिकारियों का लाव लश्कर अगले महीने सिंगापुर जाने वाला है। अधिकारियों का दल दो चरणों में सिंगापुर की यात्रा पर रहेगा। इस दौरान अधिकारियों का दल सिंगापुर के स्कूलों का जायजा लेगा और स्कूली शिक्षा-दीक्षा के पाठ्यक्रमों को समझेगा। अधिकारियों की यात्रा का उद्देश्य मध्य प्रदेश के प्राइमरी स्तर से लेकर हायर सेकेंडरी तक स्कूलों में गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा और बदलाव का है। करीब एक सप्ताह के इस दौरे में विभाग के आला अधिकारियों से लेकर जिलों के अधिकारी तक शामिल हैं। सिंगापुर यात्रा के लिए मुख्यमंत्री स्तर से अनुमति मिल गई है। लेकिन कुछ अधिकारी अभी भी मंत्री स्तर से यात्रा के लिए नाम जुड़वाने का प्रयास कर रहे हैं। बता दें कि सीएम राइजिंग स्कूल, विभाग के अधिकारियों की दक्षिण कोरिया की यात्रा से निकला हुआ नवाचार है।

सरकार की संवेदनशीलता

प्रदेश और देश की विभिन्न अदालतों में चल रहे मध्य प्रदेश राज्य के कर्मचारियों- अधिकारियों के प्रकरणों को लेकर सामान्य प्रशासन विभाग में एक बार फिर विभागों को नसीहत हैं। नसीहत में राज्य सरकार का संवेदनशील रवैया भी सामने आया है। राज्य शासन ने विभागों से स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि न्यायालयीन प्रकरणों में मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव जैसे आला अधिकारी पक्षकार है या बनाया गया है, तो संबंधित विभाग के जिम्मेदार अधिकारी न्यायालय में प्रभावी पक्ष रख कर प्रकरणों से आला अधिकारियों के नाम हटवाये या व्यक्तिगत रुप से न्यायालयों में उपस्थित से छूट रहे। राज्य शासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि न्यायालयीन प्रकरणों में अवमानना की स्थिति ना बने इसके लिए अधिकारी समय पर जवाब दावा प्रस्तुत करें और न्यायालय के प्रकरण को लेकर संजिदगी दिखाएं। राज्य शासन ने यह भी कहा कि सेवानिवृत कर्मचारियों और अधिकारियों के मामले में अनावश्यक न्यायालय प्रकरणों में ना उलझे और जहां तक संभव हो नियमों की परिधि में सेवानिवृत अधिकारी और कर्मचारियों के मामले में संवेदनशील रवैया अपनाए और सेवानिवृत अधिकारी व कर्मचारियों के न्यायालयीन प्रकरणों का सहानुभूति पूर्वक निराकरण करें।

सीएस की बैठक, आलाधिकारी सजग

मुख्य सचिव अनुराग जैन की बैठकों को लेकर अब मंत्रालय में पदस्थ आला अधिकारी भी बेहद सजग हो गए हैं। मुख्य सचिव बैठको में संबंधित विभाग के विषयों पर बारीक से बारीक जानकारी पूछ लेते हैं और उसको लेकर निर्देश भी देते हैं। यही वजह है की मुख्य सचिव की मैराथन बैठकों में आला अधिकारी पूरी तैयारी के साथ जाने लगे हैं। उन्हें यह डर भी सताने लगता है की मुख्य सचिव बैठक में कब कौन सा सवाल जवाब कर लें या नसीहत दे दें। पिछले दिनों महत्वपूर्ण विभाग की बैठक में एक आईएएस अधिकारी पर्याप्त तैयारी के साथ नहीं पहुंचे तो सीएस ने बैठक के दौरान ही कह दिया काम न करने वाले कलेक्ट्री का ख्वाब छोड़ दें।

ओएसडी रेलवे

मुख्यमंत्री सचिवालय में अब एक और विशेष कर्तव्यस्थ अधिकारी (ओएसडी) रेल्वे का पद जल्द ही क्रिएट होने वाला है। मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप इसके लिए किसी विशेषज्ञ अधिकारी को पदस्थ किया जाएगा। रेलवे ओएसडी प्रदेश में चल रही रेल परियोजनाओं को जल्द से जल्द पूरी करने के लिए संबंधित विभागों में कोऑर्डिनेशन का काम करेगा। ओएसडी, प्रदेश सरकार के विभागों से और केंद्रीय मंत्रालय कोऑर्डिनेटर कर रेल परियोजनाओं को पर्यावरणीय स्वीकृति दिलाने में सहायता करेगा। बता दे कि मध्य प्रदेश में एक रेल परियोजना बीते एक दशक से भी अधिक समय से पर्यावरण मंजूरी के लिए अटकी पड़ी थी और उसमें गति आने की उम्मीद है।

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