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ताशकंद में जुटा सिंधी समाज भारत सरकार से अपनी अपेक्षाएं रखने

चार दिवसीय हुआ राष्ट्रीय सम्मेलन से लौटे संतनगर से गए प्रतिनिधि


ताशकंद. BDC News
Sindhi Conference Tashkent: अखिल भारतीय सिंधी समाज ने 28वां राष्ट्रीय सम्मेलन फिर विदेशी धरती ताशकंद में सम्मेलन किया। विदेशी धरती से भारत सरकार से वाजिब हकों की मांग की। समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष त्रिलोक दीपानी की अध्यक्षता में आयोजित इस सम्मेलन में देशभर के प्रतिनिधि पहुंचे।

इन मुद्दों पर हुई चर्चा

ताशकंद सम्मेलन में सिंधी समाज ने भारत सरकार से सिंधी लिपि को रोजगार से जोड़ने, राजनीतिक आरक्षण के लिए जहां 5 हजार सिंधी हैं, वहां पार्शद की टिकट, 50 हजार पर विधायक एवं दो लाख सिंधी आबादी हो तो सिंधी भाशी को सांसद का टिकट दिया जाए, भारत में पृथक सिंधी प्रदेश बनाया जाए। सम्मेलन में सरकार से आजादी के 77 साल बाद भी मध्यप्रदेश सहित जिन प्रदेशों में सिंधी विस्थापित परिवारों को उनकी प्रापर्टी का मालिकाना हक नहीं मिला है, उसके लिए भी गंभीरता से प्रयास करने की मांग की गई।
सम्मेलन सिंधी लिपि एवं संस्कृति के उत्थान, देश के अलग अलग राज्यों में अभा सिंधी समाज की की शाखाओं की स्थापना करना, सदस्य संख्या बढ़ाना, इकाइयों का परिचय एवं सामूहिक विवाह सम्मेलन कराने, समाज के सहयोग से जगह जगह सिंधी वृद्धाश्रमों की स्थापना, मृत्यु भोज पर पूरी तरह से रोक, भारत सरकार की जनसंख्या फार्म में सिंधी जाति एवं धर्म के उल्लेख पर चर्चा, पारिवारिक विवाद सुलझाने के लिए फैसला आदि पर चर्चा की गई।

संतनगर से शामिल हुए प्रतिनिधि

संतनगर से राष्ट्रीय महासचिव आनंद सबधाणी, कपड़ा एसोसियेशन के अध्यक्ष कन्हैयालाल इसरानी, समाज सेवी रमेश वाधवानी, मनोज कृपलानी के अलावा रायपुर से महिला राष्ट्रीय अध्यक्ष राधा राजपाल पहुंचने वालों में प्रमुख थे। चार दिवसीय सम्मेलन सोमवार को समाप्त हुआ। सम्मेलन के दौरान प्रतिनिधियों ने ताशकंद के प्रमुख पर्यटन स्थलों की प्रतिनिधियों ने सैर भी की। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा पर पहुंचकर श्रद्धांजलि अर्पित की।

भोपाल डॉट कॉम ब्यूरो

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