पहलगाम आतंकी हमला: पर्यटकों को निशाना बनाना, शांति के दुश्मनों की कायराना हरकत
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया बर्बर आतंकी हमला, घाटी में शांति और सामान्य स्थिति की बहाली के प्रयासों पर एक गहरा और दर्दनाक आघात है। यह घृणित कृत्य न केवल निर्दोष आगंतुकों की जान लेता है, बल्कि उस उम्मीद को भी कुचलने का प्रयास करता है जो पर्यटन के फलने-फूलने से स्थानीय अर्थव्यवस्था और लोगों के जीवन में लौट रही थी। इस अमानवीय कृत्य की जितनी भी भर्त्सना की जाए, वह कम है।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब पहलगाम अपनी नैसर्गिक सुंदरता के साथ पर्यटकों का स्वागत करने के लिए तैयार था। देश और दुनिया के कोने-कोने से लोग इस शांत और सुरम्य घाटी की ओर आकर्षित हो रहे थे। पर्यटकों को निशाना बनाना आतंकियों की कायरता और उनकी निराशा का स्पष्ट प्रमाण है। वे विकास और शांति के माहौल को ध्वस्त करना चाहते हैं, डर और हिंसा का राज कायम कर अपनी विघटनकारी विचारधारा को पोषित करना चाहते हैं।
पुलवामा की तरह, पहलगाम में हुआ यह हमला भी हमारी सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक गंभीर चुनौती है। यह सवाल उठाता है कि आखिर क्यों बार-बार पर्यटकों को निशाना बनाया जा रहा है, और इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए क्या ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। यद्यपि सुरक्षा बलों ने तुरंत कार्रवाई करते हुए तलाशी अभियान शुरू कर दिया है, लेकिन यह स्पष्ट है कि खुफिया जानकारी को और अधिक सुदृढ़ करने तथा आतंकवादियों के नेटवर्क को ध्वस्त करने के लिए एक दीर्घकालिक और प्रभावी रणनीति की आवश्यकता है।
स्थानीय समुदाय को भी इस संकट की घड़ी में अपनी भूमिका निभानी होगी। पर्यटन, पहलगाम और पूरे जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। पर्यटकों पर हमला करके, आतंकवादी न केवल निर्दोष लोगों की जान ले रहे हैं, बल्कि स्थानीय लोगों की आजीविका पर भी सीधा प्रहार कर रहे हैं। शांतिप्रिय नागरिकों को आतंकवादियों और अलगाववादी ताकतों के नापाक इरादों को समझने और उनसे दूरी बनाए रखने की आवश्यकता है। प्रशासन के साथ पूर्ण सहयोग करके ही घाटी में स्थायी शांति और विकास का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है।
केंद्र और राज्य सरकार को इस जघन्य हमले को अत्यंत गंभीरता से लेना होगा। पर्यटकों और स्थानीय निवासियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। पर्यटन स्थलों पर सुरक्षा व्यवस्था को अभेद्य बनाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो। इसके साथ ही, विकास परियोजनाओं को तेजी से लागू करके स्थानीय लोगों का विश्वास जीतना और उन्हें शांति प्रक्रिया में भागीदार बनाना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
पहलगाम में हुआ यह हमला निश्चित रूप से निराशाजनक है, लेकिन यह जम्मू-कश्मीर के लोगों की शांति और प्रगति की अटूट इच्छाशक्ति को कमजोर नहीं कर सकता। इस कायराना कृत्य का करारा जवाब एकजुटता, विकास और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प से ही दिया जा सकता है। आतंकवादियों को यह समझना होगा कि वे हिंसा और डर के बल पर इस खूबसूरत धरती के लोगों के हौसले को कभी नहीं तोड़ पाएंगे। पहलगाम फिर से उठेगा, और शांति के साथ पर्यटकों का स्वागत करेगा – यही इस बर्बर हमले का सबसे बड़ा जवाब होगा।
पुलवामा अटैक : ए आई