नई दिल्ली। BDC News
देश में थोक मुद्रास्फीति (Wholesale Inflation) ने अक्टूबर 2025 में बड़ी राहत दी है। दालों और सब्जियों जैसे प्रमुख खाद्य पदार्थों के साथ-साथ ईंधन और विनिर्मित वस्तुओं (Manufactured Goods) की कीमतों में आई नरमी के कारण थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति गिरकर शून्य से नीचे 1.21 प्रतिशत दर्ज की गई। यह आँकड़ा पिछले 27 महीनों का सबसे निचला स्तर है।
गिरावट के मुख्य कारण
उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, थोक मुद्रास्फीति में इस उल्लेखनीय गिरावट का मुख्य कारण निम्नलिखित क्षेत्रों में दर्ज की गई नरमी है:
- खाद्य पदार्थ: सब्जियों, दालों और प्याज जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में भारी कमी।
- ईंधन और ऊर्जा: कच्चे पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस और बिजली की कीमतों में नरमी।
- विनिर्मित वस्तुएं: मूल धातुओं और अन्य विनिर्मित उत्पादों की कीमतों में गिरावट।
सितंबर में थोक मुद्रास्फीति 0.13 प्रतिशत थी, जबकि पिछले वर्ष अक्टूबर 2024 में यह 2.75 प्रतिशत थी।
खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर में भारी कमी
आँकड़ों के विश्लेषण से पता चलता है कि खाद्य वस्तुओं की महंगाई दर सितंबर में 5.22 प्रतिशत के मुकाबले अक्टूबर में 8.31 प्रतिशत तक गिर गई। कुछ प्रमुख वस्तुओं की कीमतों में गिरावट इस प्रकार रही:
- सब्जियां: महंगाई दर में 34.97 प्रतिशत की भारी गिरावट (सितंबर में 24.41% थी)।
- दालें: 16.50 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।
- प्याज: कीमतों में 65.43 प्रतिशत की बड़ी कमी आई।
- आलू: कीमतों में 39.88 प्रतिशत की गिरावट आई।
इसके अलावा, ईंधन और बिजली की कीमतों में भी अक्टूबर में 2.55 प्रतिशत की कमी आई।
GST सुधारों का सीधा असर
इस बार मुद्रास्फीति में आई तेज गिरावट का श्रेय माल एवं सेवा कर (GST) दरों में किए गए सुधारों को भी जाता है। 22 सितंबर से प्रभावी हुई जीएसटी दरों में कटौती के कारण थोक मूल्य सूचकांक (WPI) आधारित मुद्रास्फीति में अपेक्षित गिरावट देखी गई। दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर कर दरों को युक्तिसंगत बनाकर, चार-स्तरीय कर ढांचे को पाँच और 18 प्रतिशत की दो श्रेणियों में लाया गया, जिससे वस्तुओं की कीमतें कम हुईं।
कर कटौती और पिछले वर्ष के उच्च मुद्रास्फीति आधार के कारण खुदरा (CPI) और थोक (WPI) दोनों मुद्रास्फीति में कमी आई। अक्टूबर में खुदरा मुद्रास्फीति भी गिरकर 0.25 प्रतिशत के सर्वकालिक निम्न स्तर पर आ गई, जो सितंबर में 1.44 प्रतिशत थी।
आगे की उम्मीद
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के कार्यकारी निदेशक पारस जसराय ने कहा है कि अनुकूल तुलनात्मक आधार (Favourable Base Effect) के चलते, वित्त वर्ष 2025-26 के बाकी समय में थोक मुद्रास्फीति में गिरावट का दौर जारी रहने की उम्मीद है। इंडिया रेटिंग्स का अनुमान है कि नवंबर 2025 में थोक मुद्रास्फीति एक प्रतिशत से भी कम रह सकती है।