मध्य प्रदेशमेरी कलम

MP: प्रशासनिक, राजनीतिक हल्कों की हलचल

विजयवर्गीय का बेबाक बयान और मायने !

नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की मेयर इन काउंसिल की मध्य प्रदेश इकाई में की मीटिंग में दी गई नसीहत से विपक्षी पार्टी के महापौर तो सकते में हैं वहीं सत्ता धारी दल के महापौर भी हैरान है। विजयवर्गीय ने निगम में बजट के अनुसार योजनाओं का संचालन करने और लीकेज को खत्म करने की न केवल बात कही बल्कि यहाँ तक सुझाव दिया कि नगर निगम टैक्स बढ़ाने का साहस दिखाएं। जब वह इंदौर के महापौर थे तो उन्होंने दो बार टैक्स बढ़ोतरी की। विजयवर्गीय ने यह बात भी कहीं कि जांच की जाए तो निगम कटघरे में खड़े हो जाएंगे ! विजयवर्गीय जब यह बात कह रहे थे तब मुख्यमंत्री भी वर्चुअल मीटिंग से जुड़े हुए थे। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के महापौरों ने विजयवर्गीय की इस नसीहत पर पलटवार कर कह दिया कि सरकार को जांच करने से किसने रोका है?  सीएम की वर्चुअल मौजूदगी में विजयवर्गीय के इस बयान के लेकर प्रशासनिक व राजनीतिक हल्कों में काफी हलचल है। विजयवर्गीय की नसीयत ने सरकार में कथित मतभेदों को भी उजागर किया है।

खूंटी पर टाँगें आदर्श !

राजधानी भोपाल में हुई एक शाही शादी की चर्चा जोरों पर है। कभी मध्यप्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर रहे माननीय ने इस शादी में जम कर पैसा बहाया। ऐसी शादी सदियों तक याद की जाएगी। प्रदेश में फिजूलखर्ची रोकने के लिए सामूहिक कन्या विवाह योजना को प्रारम्भ किया था और उन्होंने जनप्रतिनिधि रहते हुए भी अपने क्षेत्र में पुण्य कन्या दान कर सामूहिक विवाह के आयोजन कराए थे। वही मानिए अपनी इस सीख को अपने ऊपर लागू नहीं कर पाए। समाज का एक तबका यही सवाल पूछ रहा है कि क्या मध्य प्रदेश की भानजियों की शादी कन्या दान में कराने वाले अपने पुत्र की शादी भी यदि सामूहिक  कराते तो बड़ा आदर्श प्रस्तुत होता। जैसा कि बुन्देलखंड से आने वाले एक कद्दावर मंत्री ने किया भी था। उन्होंने अपने पुत्र की शादी मुख्यमंत्री कन्यादान योजना में ही की थी। शादी का रिकार्ड बनाने वाले माननीय तो सदैव पंडित दीनदयाल उपाध्याय की अन्त्योदय का गुणगान करते रहे और पालन की जनता से आग्रह भी करते रहे लेकिन जब बारी आई तो यह आदर्श खूँटी पर टांग दिया।

काना फुंसी वाला नेता है कौन

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का यह दुर्भाग्य यही है कि एक भी प्रदेश प्रभारी अपना पूरा कार्यकाल मध्य प्रदेश में नहीं कर पाता। राजनीतिक विश्लेषक अब इसकी वजह तलाश रहे हैंl जितेन्द्र सिंह जो कि के करीबी नेता रहे हैं, वे भी अब रुखसत कर दिए गएl लोग इस बात का जवाब तलाश रहे हैं कि आखिर मध्यप्रदेश से कानाफूंसी करने वाला हाईकमान का वो कौन नेता है जो जब भी कांग्रेस पार्टी पटरी पर आना शुरू होती है तब संगठन से प्रदेश प्रभारी बदलवाकर उसको फिर पटरी से उतार दिया जाता हैl ऐसा कहा जा रहा है संगठन प्रभारी मध्यप्रदेश में कुछ ज्यादा ही इंटरेस्ट लेने लगे थे। इसलिए मध्यदेश की भविष्य की राजनीति तय करने वाले राजनेता अपने ही परिवार के व्यक्ति की राजनीति को संकट में होता देख दिल्ली से कलम चलवा देते हैं।

अफसर के मेहमान

महाकौशल के एक जिले के आईएएस अधिकारी की कर प्रणाली इन दिनों चर्चा में बनी हुई है। आईएएस अधिकारी का परिवार राजधानी में सेटल्ड है और वह अपने कर्तव्य वाले जिले में मशगूल है। बताया जाता है कि IAS ने सरकारी निवास में काम करने वाले अधिकांश सरकारी नौकरों को एक निश्चित समय में ही काम पर आने का फरमान दिया है। इसके बाद उनसे मिलने उनके कुछ खास मेहमान आते हैं और वह उनके साथ जिले की चिंता छोड़ मेहमानी में रम जाते हैं।

कहानी कुछ और ……

मध्य प्रदेश के एक कद्दावर मंत्री और कभी संगठन के मुखिया रहे नेता जी के निकटतम रिशतेदार जो कभी कद्दावर मंत्री हुआ करते थे उनके क्षेत्र में सडक़ों के जाल के लिए भारी भरकम राशि स्वीकृत कर दी। लेकिन लेकिन उन्हीं नेता जी ने जब अनुशासनहीनता करते हुए संगठन के खिलाफ़ बयानबाजी की। तब ये कद्दावर मंत्री उन्हें समझा नहीं पाए जबकि वह खुद भी संगठन के मुखिया रह चुके हैं। इसके बावजूद भी उनका मौन क्या वर्तमान अध्यक्ष से अदावत की ओर इशारा करता है या फिर कहानी कुछ और है।

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