BHOPAL NEWS: .. तो स्कूलों पर एफआईआर होगी, जानिए क्यों?
भोपाल. भोपाल डॉट कॉम
प्राइवेट स्कूल में यूनिफार्म, पुस्तकें और अन्य सामग्री खरीदने के लिए दबाव डाला जाए तो शिकायत कीजिए। एफआईआर दर्ज होगी। भोपाल कलेक्टर और जिला मजिस्ट्रेट कौशलेन्द्र विक्रम सिंह ने दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 की धारा-144 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों को प्रयोग में लाते हुए जन सामान्य के हित में सभी निजी विद्यालयों में पुस्तकें एवं यूनिफार्म तथा अन्य सामग्री विक्रय किए जाने के खिलाफ प्रतिबंधात्मक आदेश जारी किए हैं
क्या कहा गया आदेश में
भोपाल जिले में संचालित सभी निजी विद्यालय, जो माध्यमिक शिक्षा मंडल, केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अथवा आई.सी.एस.ई. बोर्ड से सम्बद्ध हैं, पर यह आदेश लागू होगा। इन सभी विद्यालयों को मध्य प्रदेश राजपत्र असाधारण 2 दिसंबर 2020 स्कूल शिक्षा विभाग मंत्रालय वल्लभ भवन भोपाल में उल्लेखित निर्देशों का पालन करना अनिवार्य होगा। सभी अशासकीय विद्यालयों के लिए यह अनिवार्य है कि वे आगामी शिक्षण सत्र प्रारंभ होने के पूर्व लेखक एवं प्रकाशक के नाम तथा मूल्य के साथ कक्षावार पुस्तकों की सूची विद्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करें और शाला के विद्यार्थियों को ऐसी सूची मांगने पर उपलब्ध कराएं, ताकि विद्यार्थी एवं उनके अभिभावकगण इन पुस्तकों को उनकी सुविधा अनुसार खुले बाजार से क्रय कर सकें। प्रत्येक स्कूल प्रबंधक, प्राचार्य अपने स्कूल में प्रत्येक कक्षा में लगने वाली पाठ्य पुस्तकों तथा प्रकाशक की जानकारी को वेबसाइट पर अनिवार्यतः प्रेषित करें।
विद्यालय का नाम न लिखा हो
किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर विद्यालय का नाम अंकित नहीं होना चाहिए। विद्यालय के सूचना पटल पर यह भी अंकित किया जाए कि किसी दुकान विशेष से सामग्री क्रय करने की बाध्यता नहीं है। कहीं से भी पुस्तकें/ यूनिफार्म व अन्य आवश्यक सामग्री क्रय की जा सकती है। पुस्तकों के अतिरिक्त शालाओं द्वारा यूनिफार्म, टाई, जूते, कापियों आदि भी उन्हीं की शालाओं से उपलब्ध, विक्रय कराने का प्रयास नहीं किया जाएगा। विद्यालय की स्टेशनरी, यूनिफार्म पर विद्यालय का नाम प्रिंट करवाकर दुकानों से क्रय करने अथवा एक विशिष्ट दुकान से यूनिफार्म, पाठ्य पुस्तकें बेचना पूर्णतः प्रतिबंधित रहेगा। संबंधित एसडीएम एवं जिला शिक्षा अधिकारी इस आदेश का पालन सुनिश्चित कराएंगे। यह आदेश तत्काल प्रभावशील होगा। इस आदेश का उल्लंघन करने वाले व्यक्ति, विद्यालय के प्राचार्य, प्रबंधक के खिलाफ भारतीय दंड विधान की धारा 188 के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी।